S-400 Air Defence Missile System: 2021 के अंत तक भारत को S-400 देगा रूस, पूरी दुनिया खाती है खौफ, क्या है इसकी खूबियां?

Update: 2021-08-24 06:37 GMT

भारत को इसी साल आसमानी कवच मिल जाएगा. रूस से एक बड़ी खबर ये आई है कि वो इस साल के अंत तक भारत को एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम (S-400 Air Defence Missile System) की पहली खेप दे देगा. इस मिसाइल सिस्टम को बनाने वाली रूसी डिफेंस कंपनी अलमाज-आंते के प्रमुख ने यह बात कही. इस एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम के आने के बाद देश की सुरक्षा अभेद्य हो जाएगी. पाकिस्तान और चीन युद्ध करने या हवाई हमला करने से पहले कई बार सोचेंगे. क्योंकि ये दुनिया का सबसे बेहतरीन महाबली हथियार है. 

अलमाज-आंते (Almaz-Antey) के डिप्टी सीईओ व्याचेसलाव जिरकान ने कहा कि मैं इस बात की पुष्टि कर सकता हूं कि हमारी कंपनी एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम (S-400 Air Defence Missile System) की पहली खेप तय समय पर इस साल के अंत तक भारत को दे देगी. जिरकान एक इंटरनेशनल मिलिट्री-टेक्निकल फोरम 'ARMY-2021' में बोल रहे थे. 
जिरकान ने बताया कि भारतीय मिलिट्री के अधिकारियों की ट्रेनिंग चल रही है, जो एस-400 मिसाइल सिस्टम (S-400 Air Defence Missile System) को ऑपरेट करेंगे. इस मिसाइल को चलाने के लिए भारतीय सैन्य अधिकारियों की पहली खेप ट्रेनिंग पूरी कर चुकी है. दूसरे समूह की ट्रेनिंग अभी चल रही है. मैं इस बारे में नहीं बता सकता कि कितने भारतीय सैन्य अधिकारियों को इसकी ट्रेनिंग दी जा रही है. लेकिन इस मिसाइल सिस्टम के प्रशिक्षण के दौरान भारतीय अधिकारियों ने उच्च स्तर का प्रदर्शन किया है. 
जिरकान ने कहा कि मुझे दूसरे भारतीय समूह से भी यही उम्मीद है. वो बेहद काबिल और ऊर्जावान हैं. ट्रेनिंग के दौरान भारतीय सैन्य अधिकारियों ने जिस तरह का प्रदर्शन किया है, उससे लगता है कि भारत की सेना दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं में से एक है. इस प्रशिक्षण के बाद और कितने प्रशिक्षण होंगे ये बता पाना अभी मुश्किल है. लेकिन भारत को जरुरत होगी तो हम और लोगों को ट्रेनिंग देंगे. 
एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम (S-400 Air Defence Missile System) हथियार नहीं महाबली है. इसके सामने बड़े से बड़ा दुश्मन कांपने लगता है. इसके सामने किसी की भी साजिश नहीं चलती. यह आसमान से घात लगाकर आते हमलावर को पलभर में राख में बदल देता है. इसके सामने दुनिया का सबसे तेज उड़ने वाला खतरनाक फाइटर जेट F-35 भी दुम दबाकर भाग जाता है. 
इसके तैनात होने के बाद देश के दुश्मन आसमान से हमला करने से पहले सोचेंगे. वो घबराएंगे क्योंकि इस महाबली के सामने दुनिया का कोई भी बाहुबली हथियार काम नहीं करता. एस-400 मिसाइल सिस्टम (S-400 Air Defence Missile System) को दुनिया की सबसे सक्षम मिसाइल प्रणाली माना जाता है. पाकिस्तान और चीन भारत के लिए हमेशा से चुनौती रहे हैं. भारत का इन देशों से युद्ध भी हो चुका है. शक्ति का संतुलन बनाए रखने के लिए ऐसी मिसाइल प्रणाली की देश को जरूरत थी. 
भारत को एस-400 सिस्टम मिलने से भारतीय वायुसेना की ताकत में इजाफा होगा. बता दें कि भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस के साथ ऐसे पांच सिस्टम खरीदने का करार किया था जिसकी लागत 5 अरब डॉलर यानी 33,000 करोड़ रुपये है. चीन हो या पाकिस्तान S-400 मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम के बल पर भारत न्यूक्लियर मिसाइलों को अपनी जमीन तक पहुंचने से पहले ही हवा में ही ध्वस्त कर देगा. 
S-400 से भारत चीन-पाकिस्तान की सीमा के अंदर भी उस पर नजर रख सकेगा. जंग के दौरान भारत S-400 सिस्टम से दुश्मन के लड़ाकू विमानों को उड़ने से पहले निशाना बना लेगा. चाहे चीन के जे-20 फाइटर प्लेन हो या फिर पाकिस्तान के अमेरिकी एफ-16 लड़ाकू विमान. यह मिसाइल सिस्टम इन सभी विमानों को नष्ट करने की ताकत रखता है. रूस ने साल 2020-2024 तक भारत को एक-एक कर ये मिसाइल सिस्टम देने की बात कही थी. 
S-400 एक बार में एक साथ 72 मिसाइल छोड़ सकती है. इसके सबसे खास बात ये है कि इस एयर डिफेंस सिस्टम को कहीं मूव करना बहुत आसान है क्योंकि इसे 8X8 के ट्रक पर माउंट किया जा सकता है. S-400 को नाटो द्वारा SA-21 Growler लॉन्ग रेंज डिफेंस मिसाइल सिस्टम भी कहा जाता है. माइनस 50 डिग्री से लेकर माइनस 70 डिग्री तक तापमान में काम करने में सक्षम इस मिसाइल को नष्ट कर पाना दुश्मन के लिए बहुत मुश्किल है. क्योंकि इसकी कोई फिक्स पोजिशन नहीं होती. इसलिए इसे आसानी से डिटेक्ट नहीं कर सकते. 
एस-400 मिसाइल सिस्टम (S-400 Air Defence Missile System) में चार तरह की मिसाइलें होती हैं जिनकी रेंज 40, 100, 200, और 400 किलोमीटर तक होती है. यह सिस्टम 100 से लेकर 40 हजार फीट तक उड़ने वाले हर टारगेट को पहचान कर नष्ट कर सकता है. एस-400 मिसाइल सिस्टम (S-400 Air Defence Missile System) का रडार बहुत अत्याधुनिक और ताकतवर है. 
इसका रडार 600 किलोमीटर तक की रेंज में करीब 300 टारगेट ट्रैक कर सकता है. यह सिस्टम मिसाइल, एयरक्राफ्ट या फिर ड्रोन से हुए किसी भी तरह के हवाई हमले से निपटने में सक्षम है. शीतयुद्ध के दौरान रूस और अमेरिका में हथियार बनाने की होड़ मची हुई थी. जब रूस अमेरिका जैसी मिसाइल नहीं बना सका तो उसने ऐसे सिस्टम पर काम करना शुरू किया जो इन मिसाइलों को टारगेट पर पहुंचने पर पहले ही खत्म कर दे. 
1967 में रूस ने एस-200 प्रणाली विकसित की. ये एस सीरीज की पहली मिसाइल थी. साल 1978 में एस-300 को विकसित किया गया. एस-400 साल 1990 में ही विकसित कर ली गई थी. साल 1999 में इसकी टेस्टिंग शुरू हुई. इसके बाद 28 अप्रैल 2007 को रूस ने पहली एस-400 मिसाइल सिस्टम को तैनात किया गया, जिसके बाद मार्च 2014 में रूस ने यह एडवांस सिस्टम चीन को दिया. 12 जुलाई 2019 को तुर्की को इस सिस्टम की पहली डिलीवरी कर दी. 

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