पूर्व विदेश सचिव गोखले की बुक पर उठा बवाल: वाम नेताओं ने चीन की नीतियों से प्रभावित होने के दावे को किया खारिज
पूर्व विदेश सचिव विजय गोखले की बुक में किए गए दावों का मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी व भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने खारिज किया है।
पूर्व विदेश सचिव विजय गोखले की बुक में किए गए दावों का मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी व भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने खारिज किया है। दोनों वाम दलों ने मंगलवार को कहा कि गोखले की बुक में किया गया यह दावा आधारहीन है कि भारत-अमेरिकी परमाणु करार का विरोध उन्होंने चीन से प्रभावित होकर किया था। इसी करार को लेकर वामदलों ने 2008 में तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया था।
गोखले ने अपनी बुक 'द लॉन्ग गेम: हाउ द चाइनीज नेगोशिएट विद इंडिया' में वाम दलों की नीतियों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने दावा किया है कि वर्ष 2007 और 2008 के बीच भारत-अमेरिका परमाणु करार का विरोध करने के लिए चीन ने वाम दलों का इस्तेमाल घरेलू विपक्ष के रूप में किया था। गोखले ने यह भी दावा किया कि भाकपा व माकपा के शीर्ष नेताओं ने इलाज के बहाने चीन जाकर वहां उक्त करार को लेकर विचार-विमर्श किया।
वाम दलों के विदेशों से रिश्ते जगजाहिर : मंत्री मुरलीधरन
गोखले के दावे के बारे में जब विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि वाम दलों के विदेशों से रिश्ते जगजाहिर हैं।
येचुरी बोले- अमेरिका से करार सामरिक स्वायत्तता से खिलवाड़ था : येचुरी
वहीं माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने गोखले के दावे को खारिज करते हुए कहा कि वाम दलों ने भारत-अमेरिकी परमाणु करार का इसलिए विरोध किया था, क्योंकि यह देश की सामरिक स्वायत्तता व स्वतंत्र विदेश नीति से खिलवाड़ था। यह करार अमेरिका ने किया था और इसका मकसद भारत को सैन्य व सामरिक गठबंधन में शामिल करना था। इसका भारत की ऊर्जा सुरक्षा से असल में कोई लेना देना नहीं था। यह बात एक दशक बाद सच साबित हुई। इस समझौते के कारण देश में एक मेगावॉट भी परमाणु ऊर्जा उत्पादन नहीं बढ़ा। अलबत्ता भारत अमेरिका का रक्षा सहयोगी जरूर बन गया।
गैरजिम्मेदाराना दावा, वाम दल ज्यादा देशभक्त : विस्वाम
भाकपा नेता बिनॉय विस्वाम ने गोखले के दावे को गैरजिम्मेदाराना करार दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसे गैर-जिम्मेदाराना दावों पर कोई जवाब देने की जरूरत नहीं है। भारत में वाम दल किसी भी अन्य दक्षिणपंथी दल या फिर नौकरशाही के मुकाबले ज्यादा देशभक्त रही हैं।
सत्ताधारी दल अमेरिका व इस्राइल के एजेंट रहे : हन्नान मोल्लाह
उधर, माकपा नेता हन्नान मोल्लाह ने कहा कि देश में सत्ताधारी दल अमेरिका और इस्राइल के एजेंट के तौर पर काम करते हैं। वाम दलों पर कभी किसी विदेशी ताकत प्रभाव नहीं रहा। वाम दलों पर कभी कोई विदेश प्रभाव नहीं रहा।