झारखंड। झारखंड के देवघर में रोपवे में फंसे लोगों को निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. रविवार शाम करीब 5 बजे रोपवे में ट्रॉली पत्थर से टकराई थी जिसके बाद लोग हवा में ही लटके रह गए. इस हादसे में अब तक दो लोगों की जान जा चुकी है. 32 लोगों को रेस्क्यू कर लिया गया है, जबकि 15 लोग अब भी 3 ट्रॉलियों में वहां फंसे हुए हैं. आईटीबीपी, सेना और एनडीआरएफ की संयुक्त टीम रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही हैं. अभी तक रेस्क्यू किए गए लोगों में कई बच्चे भी शामिल हैं.
दामोदर रोपवे और कंस्ट्रक्शन लिमिटेड कोलकाता के जीएम महेश महतो ने पुष्टि की है कि केबल कार में 14 लोग फंसे हुए हैं, जिनमें एक कमांडो भी शामिल है. महेश महतो का दावा है कि फंसे हुए लोग फोन पर उनके संपर्क में हैं. हालांकि, उनके इस दावे में दम नहीं लगता, क्योंकि त्रिकुट क्षेत्र में फोन का नेटवर्क बेहद खराब है. रेस्क्यू ऑपरेशन में लोगों ने खराब नेटवर्क और कनेक्टिविटी की वजह से खासी परेशानियों का सामना किया है. दहशत की स्थिति में 36 घंटे से भी ज़्यादा समय तक जीवित रहना लोगों के लिए आसान नहीं था. जिन लोगों को हेलिकॉप्टर से बचाया गया, उनसे संपर्क नहीं किया जा सका. हालांकि वर्टिकल लैंडिंग के जरिए बचाए गए लोगों ने अपने अनुभव साझा किए. उन्होंने कहा कि उनका कलेजा उनके मुंह में आ गया था और उन्हें लग रहा था कि वे ज़िंदा नहीं बचेंगे.
सूरज ढलने के बाद, पूरा त्रिकूट सर्किट अंधेरे में ढूब जाता है. जीवन कठिन हो जाता है. ऐसे में केबल कार में फंसे लोगों ने अपनी रात कैसे बिताई होगी इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता. उन्हें ड्रोन के ज़रिए पानी और खाना तो मिल जाएगा, लेकिन अपनी दैनिक क्रियाएं पूरी किए बिना, 24 घंटे भी बिता लेना उनके लिए किसी सज़ा से कम नहीं था. केबल कार में फंसे हुए लोगों के परिवार वालों की भी हालत अच्छी नहीं है. उन्हें इस बात का ज़रा भी अंदाज़ा नहीं है कि उनके अपनों को वहां से सुरक्षित निकाला भी लिया जाएगा या नहीं. खासकर एक पर्यटक की दुर्घटना के बाद, जो रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान हैलीकॉप्टर से गिर गया था और उसकी जान चली गई थी. डर बहुत बड़ा है और जो अब भी फंसे हुए हैं उनके लिए आज रात भी वहां टिके रहना बेहद मुश्किल होगा.