हनुमानगढ़। हनुमानगढ़ बैजनाथ बिहाणी ट्रस्ट की दुकानों को लेकर दुकानदारों के साथ विवाद में बीते बरस दवा विक्रेता पर रॉड से हमले के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। डबवाली पुलिस के अनुसार दवा विक्रेता पर हमला करने वाले किराए के गुंडे थे। इस वारदात की साजिश पीड़ित व्यापारी के साथी ने ही रची थी। उसकी शह पर पैसे देकर हमला करवाया गया। खास बात यह कि दवा विक्रेता पर पिछले साल मई में हुए हमले को लेकर जंक्शन थाने में दर्ज प्रकरण में पुलिस ने अब तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया है। जबकि सदर डबवाली पुलिस की पूछताछ में अफीम तस्करी में गिरफ्तार आरोपी महीनों पहले ही दवा विक्रेता पर हमले के प्रकरण में उक्त बातें स्वीकार कर चुका है। जंक्शन थाने में दर्ज इस प्रकरण के जांच अधिकारी एएसआई शिवनारायण ने बताया कि प्रकरण पुराना है। अभी मामले में गिरफ्तारी का ध्यान नहीं है। सदर डबवाली पुलिस ने 19 मई 2022 की रात कार सवार से डेढ़ किलोग्राम अफीम बरामद की थी। इस मामले में पुलिस ने हनुमानगढ़ जंक्शन निवासी कार चालक अनिल गक्खड़, जितेंद्रसिंह बेदी एवं सद्दाम हुसैन के खिलाफ मामला दर्ज किया था। व्यापारी अनिल गक्खड़ को तस्करी के मामले में फंसाने के इस प्रकरण में गिरफ्तारी के दौरान आरोपी सद्दाम हुसैन ने पुलिस पूछताछ में स्वीकारा था कि अनिल व जितेन्द्र के कहने पर उसने रमेश नामक लड़के की मदद से मेडिकल स्टोर संचालक अनिल धींगड़ा को पिटवाया था। इसके एवज में उसे 20 हजार रुपए दिए गए थे। उसका चाचा पुलिस में था जिसकी मृत्यु हो चुकी है।
गौरतलब है कि अफीम तस्करी प्रकरण में आधा दर्जन से अधिक जनों का चालान हो चुका है। एक तरफ नगर परिषद मास्टर प्लान के अनुरूप बाइपास पर बस स्टैंड का निर्माण करने की तैयारी कर रही है तो दूसरी तरफ रोडवेज आगार डिपो में ही बस स्टैंड का निर्माण कराने की बात कह रहे हैं। इस संबंध में रोडवेज आगार के पास पांच कंपनियों ने बीओटी के तहत प्रोपोजल भी भेजा था। बाद में यह सभी कंपनियां बैकफुट पर चली गई। वहीं रोडवेज मुख्यालय ने भी बस स्टैंड निर्माण के लिए पर्याप्त बजट नहीं होने का हवाला दे दिया है। उधर, नगर परिषद की ओर से नए बस स्टैंड के लिए जो ड्राइंग तैयार की थी। उसमें रोडवेज बस डिपो के लिए भी जगह का निर्धारण किया गया है। रोडवेज डिपो के अधिकारी इस प्रोपेजल को स्वीकार नहीं करेंगे। इनकी माने तो बाइपास में डिपो की जगह के लिए रोडवेज आगार अपनी भूमि को हैंडओवर नहीं करेगा। रोडवेज के पास बजट नहीं होने के कारण (बीओटी) बिल्ट ऑपरेट ट्रांसफर के तहत आवेदन मांगे गए थे। इसके तहत पांच कंपनी ने आवेदन किया था। इस बीओटी के माध्यम से चयन होने वाले एक कंपनी की ओर से बस स्टैंड का निर्माण कर बस स्टैंड का संचालन कर लागत को वसूल किया जाना था। पांचों कंपनी अपना आवेदन वापस ले चुकी हैं। फिलहाल रोडवेज के पास बस स्टैंड के निर्माण के लिए अतिरिक्त बजट नहीं है।