कोरोना के बढ़ते मामले: महाराष्ट्र और केरल सरकार हुए 'फेल', अब केंद्र इस तरह से करेगा संक्रमण को कंट्रोल
कोरोना के मामलों को कंट्रोल करने के मामले में महाराष्ट्र और केरल की राज्य सरकारें फेल हो गई हैं।
कोरोना के मामलों को कंट्रोल करने के मामले में महाराष्ट्र और केरल की राज्य सरकारें फेल हो गई हैं। यही वजह है कि इन दोनों राज्यों में न सिर्फ मामले बढ़े बल्कि मौतें भी बढ़ती गईं। दोनों राज्यों में हालात का जायजा लेने के लिए केंद्र ने अपने विशेषज्ञों की टीम भेजी। वहां से वापस आने के बाद टीम ने सिफारिश की कि केंद्र सरकार को इन दोनों राज्यों में हस्तक्षेप करना होगा। सोमवार से इन सिफारिशों को मानते हुए केंद्र ने हस्तक्षेप कर माइक्रो कंटेनमेंट जोन बना कर हालात को कंट्रोल करने समेत कई हिदायतें इन दोनों राज्यों में को दी हैं।
देश में इस वक्त सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र और केरल हैं। इसके अलावा दक्षिण भारत के कुछ और राज्य भी हैं लेकिन वहां पर हालात इन दोनों राज्यों की तुलना में फिलहाल बेहतर हैं। हालात का जायजा लेने के लिए और स्थिति को बेहतर करने के लिए केंद्र सरकार ने अपने विशेषज्ञों की टीम को दोनों राज्यों में भेजा था। सूत्रों का कहना है कि टीम ने कोरोना को कंट्रोल करने के लिए किए जाने वाले प्रयासों में कई स्तर पर सुधार की गुंजाइश पाई। विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को अब दोनों राज्यों में हस्तक्षेप कर रोजाना निगरानी करनी चाहिए। इन सिफारिशों के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने महाराष्ट्र और केरल राज्य में कोरोना को कंट्रोल करने के लिए नए दिशा निर्देश सोमवार को जारी कर दिए।
नई व्यवस्था के मुताबिक महाराष्ट्र और केरल में एक बार फिर से माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाने की सिफारिश की गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाने का फैसला देश में कोरोना वायरस के प्रसार की रफ्तार को कम करने के लिए प्रभावी रहा है। महाराष्ट्र और केरल में माइक्रो कंटेनमेंट जोन के साथ-साथ कॉन्टैक्ट ट्रैसिंग को बढ़ाने के लिए न सिर्फ जोर दिया है बल्कि रोजाना उसकी रिपोर्ट भी करने को कहा है।
महाराष्ट्र, केरल में लगातार बिगड़ते हालात के चलते देश में अभी भी कोरोना के मामलों की संख्या 40 से 50 हजार मरीजों के बीच बनी हुई है। कोरोना के मामलों को कंट्रोल करने और दिशानिर्देश देने वाली कमेटियों के विशेषज्ञों के मुताबिक दोनों राज्यों में बहुत ज्यादा सतर्कता बरतने की जरूरत है। इस टीम के सदस्य डॉ एनके अरोड़ा कहते हैं कि सबसे ज्यादा जरूरत महाराष्ट्र में है। डॉक्टर अरोड़ा के मुताबिक जब पूरे देश में कोरोना के मामले अप्रैल और मई के महीने में चरम पर थे, तो महाराष्ट्र में भी कमोबेश हालात कुछ वैसे ही थे। लेकिन देश के दूसरे ज्यादा आबादी वाले प्रदेशों में अब कोरोना संक्रमण न के बराबर है लेकिन महाराष्ट्र में अभी भी हालात बेहतर नहीं हुए हैं। इसलिए इस राज्य की बहुत ज्यादा निगरानी मॉनिटर करने की आवश्यकता है। डॉक्टर अरोड़ा कहते हैं इसी वजह से अब महाराष्ट्र और केरल में केंद्र सरकार की रेगुलर मॉनिटरिंग होगी, जिससे न सिर्फ केस कम होंगे बल्कि हालात भी बेहतर हो सकेंगे।.
पूरे देश में सोमवार को 40 हजार से ज्यादा मामले कोरोना के सामने आए। इसमें से पचास फीसदी मामले सिर्फ केरल से हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि केरल में जितने मामले अभी तक सामने आ रहे हैं वह सभी डेल्टा वेरिएंट के ही हैं। चूंकि अप्रैल और मई के महीने में जब पूरे देश में डेल्टा वैरिएंट के मामले चरम पर थे, तो केरल में ये मामले उस अनुपात में नहीं बढ़ रहे थे। अब केरल में डेल्टा वैरिएंट का प्रसार हुआ है और नतीजतन वहां पर मामले लगातार बढ़ रहे हैं। हालांकि सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को मिले केरल और महाराष्ट्र के आंकड़ों से पता चलता है कि केरल में संक्रमण से होने वाली मौत का प्रतिशत न सिर्फ कम हुआ है बल्कि उस पर बहुत हद तक कंट्रोल भी किया गया है। लेकिन महाराष्ट्र में मौतों को लेकर अभी भी वही हालात हैं जो बीते सप्ताह थे.