नई दिल्ली: उत्तर-पश्चिम भारत के कई हिस्सों में बीते 13 से 15 दिनों तक लगातार लू चल रही है। भारत मौसम विज्ञान विभाग(IMD) ने अनुमान लगाया है कि 12 अप्रैल के आसपास लू से मामूली तौर पर राहत मिल सकती है, जो अगले 4-5 दिन तक रहेगी। अगले 2 दिनों में पंजाब, दक्षिण हरियाणा-दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में लू गंभीर स्तर तक भी पहुंच सकती है।
दिल्ली में रविवार को लगातार चौथे दिन लू का प्रकोप जारी रहा। मौसम विभाग ने दिल्ली में सोमवार के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। आईएमडी मौसम संबंधी चेतावनी के लिए चार तरह के अलर्ट जारी करता है। ग्रीन अलर्ट में किसी कार्रवाई की आवश्यकता नहीं होती। येलो अलर्ट में सतर्क, जबकि ऑरेंज अलर्ट में तैयार रहने को कहा जाता है। रेड अलर्ट जारी होने पर कार्रवाई करने की आवश्यकता होती है।
मैदानी इलाकों में लू उस वक्त घोषित की जाती है जब अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक और सामान्य से कम से कम 4.5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहता है। तापमान सामान्य से 6.4 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहता है तो भीषण लू घोषित की जाती है। स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स स्टेशन शहर का सबसे गर्म स्थान रहा, जहां अधिकतम तापमान 44.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। अधिकतर स्थानों पर तामपान 42 डिग्री से ज्यादा रहा।
मौसम विभाग ने कहा कि उत्तर पश्चिम भारत और मध्य भारत के आसपास के हिस्सों में अप्रैल में अधिक भीषण और निरंतर लू की स्थिति रहने का अनुमान है। 'स्काईमेट वेदर' के उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन) महेश पलावत ने कहा कि अनुमान है कि अप्रैल के पहले 10 दिनों में उत्तर पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में अधिकतम तापमान 45 डिग्री के निशान को पार कर गया है। पलावत ने कहा कि इस बात का अनुमान है कि दिल्ली में अप्रैल में लू के दिनों की संख्या सामान्य से अधिक हो सकती है।
महेश पलावत ने कहा, "यह उत्तर-पश्चिम भारत में एक बहुत ही असामान्य और लंबे समय तक चलने वाली गर्मी की लहर लू व शुष्क मौसम है। आम तौर पर 4-5 दिनों के बाद कुछ प्री-मानसून बौछारों से हीट वेव स्पेल बाधित होता है। लेकिन इस बार उत्तर-पश्चिम भारत के कई हिस्सों में लगभग बिना बारिश और लगातार गर्मी की लहर के बिना एक पखवारा बीत गया है।"
प्री-मानसून सीजन 1 मार्च से शुरू हुआ है। इस दौरान देश भर में 46% बारिश कम हुई है। उत्तर-पश्चिम भारत में 91% की कमी है, मध्य भारत पर 82%, दक्षिण प्रायद्वीप पर 2% और पूर्व और पूर्व व उत्तर भारत में कोई कमी नहीं है। 36 अनुमंडलों में से 20 अनुमंडलों और 60% अनुमंडल क्षेत्रों में वर्षा में 60% से अधिक की कमी दर्ज हुई है।