सीबीआई की वायरल रिपोर्ट में खुलासा: ना वसूली वाली बात, ना ही वाजे संग कोई मीटिंग....पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को क्लीन चिट?

Update: 2021-08-29 06:04 GMT

फाइल फोटो 

वसूली कांड ने महाराष्ट्र की राजनीति में तो भूचाल लाया ही, इसके अलावा पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को पद से इस्तीफा देना पड़ा. कई मामलों में बुरी तरह फंस चुके अनिल देशमुख को लेकर अब सीबीआई की एक कथित रिपोर्ट चर्चा का विषय बन गई है. ये रिपोर्ट कितनी सटीक है अभी कहा नहीं जा सकता लेकिन इस कथित रिपोर्ट के मुताबिक सीबीआई द्वारा अनिल देशमुख को क्लीन चिट दी गई है. ये कथित क्लीन चिट सीबीआई द्वारा प्राथमकि जांच के बाद दी गई है.

सीबीआई की प्राथमिक जांच में क्या सामने आया?
वायरल सीबीआई डॉक्युमेंट में कहा गया है कि अनिल देशमुख द्वारा कोई संज्ञेय अपराध ( Cognizable Offence) नहीं किया गया है. अब सवाल ये उठ रहा है कि अगर सीबीआई की प्रारंभिक जांच में ही अनिल देशमुख को क्लीन चिट दे दी गई थी, तो फिर बाद में किस आधार पर उन्हीं के खिलाफ FIR दर्ज की गई? अब जानकारी के लिए बता दें कि ये कथित सीबीआई रिपोर्ट Dy SP आरएस गुंज्याल द्वारा तैयार की गई है. इस रिपोर्ट में केस से जुड़े कई पहलुओं पर बात की गई है. सजिन वाजे की भूमिका पर भी काफी कुछ कहा गया है.
वाजे-देशमुख के बीच कोई मीटिंग नहीं?
इस कथित रिपोर्ट के 60वें पेज पर प्वाइंट चार में सचिन वाजे की भूमिका के बारे में बताया गया है. लिखा गया है- सजिन वाजे सीधे मुंबई सीपी को रिपोर्ट करते थे. एंटीलिया केस के बाद तब के गृहमंत्री को खबर लगी थी कि कई संवेदनशील मामले परमबीर सिंह के कहने पर सचिन वाजे को दे दिए गए थे. इसके बाद प्वाइंट 5 में काफी बड़ी बात लिख दी गई है. दावा किया गया है कि सचिन वाजे और अनिल देशमुख के बीच हुई मीटिंग का कोई सबूत नहीं है. लिखा गया है- हर जरूरी मीटिंग में वाजे के साथ परमबीर सिंह होते थे. ये मीटिंग सीएम आवास पर होती थीं. प्वाइंट 6 में आगे लिखा है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि सचिन वाजे की तब के गृहमंत्री संग कोई मीटिंग हुई थी. कुछ औपचारिक बैठकें जरूर हुई थीं, लेकिन तब दूसरे तमाम अधिकारी भी मौजूद थे.
वसूली के कोई सबूत नहीं
अब इसी कथित रिपोर्ट में प्वाइंट 8 में भी ऐसा दावा कर दिया गया है जो केस के तमाम समीकरण बदलकर रख देगा. कहा गया है कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि तब के गृहमंत्री या फिर उनके पीएस संजीव पलांडे ने किसी हुक्का बार के मालिक से पैसा इकट्ठा करने की बात कही थी. वहीं ये भी कहा गया है कि इस मामले में एसीपी संजय पाटिल और डीसीपी भुजपाल ने अपनी तरफ से पुष्टि कर दी है. उन्होंने भी यही बताया है कि कोई पैसों की डिमांड नहीं की गई थी.
जानकारी के लिए बता दें सीएम उद्धव ठाकरे को एक चिट्ठी लिख परमबीर सिंह ने दावा किया था कि अनिल देशमुख 100 करोड़ की वसूली का काम कर रहे थे. उन्होंने एक टारगेट सेट कर रखा था. लेकिन अब इस सीबीआई डॉक्यूमेंट में उस आरोप को ही गलत बता दिया गया है
इस वायरल रिपोर्ट के प्वाइंट 11 में भी इस बात पर जोर दिया गया है कि सचिन वाजे और तब के गृहमंत्री के बीच कोई मीटिंग नहीं हुई थी. बता दें कि इस रिपोर्ट की सत्यता की पुष्टि अबतक नहीं हो पाई है. इस कथित रिपोर्ट के मुताबिक सचिन वाजे को लगातार परमबीर सिंह का समर्थन मिल रहा था. इसके बाद प्वाइंट 25 में परमबीर सिंह की नीयत पर भी सवाल उठा दिए गए हैं. सवाल पूछा गया है कि जब परमबीर सिंह को इसी साल फरवरी-मार्च में तब के गृहमंत्री के भ्रष्टाचार की जानकारी मिल गई थी, तो फिर वे इतने समय तक शांत क्यों रहे? जब उनका ट्रांसफर आ गया, उसी समय क्यों ये आरोप लगाया गया?

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