दिल्ली के ऐतिहासिक बिल्डिंगों में बनेंगे रेस्टोरेंट और गेस्ट हाउस

दिल्ली के जिन ऐतिहासिक बिल्डिंगों में कभी सुल्तानों और बादशाहों का आशियाना हुआ करता था,

Update: 2021-07-30 18:31 GMT

नई दिल्ली: दिल्ली के जिन ऐतिहासिक बिल्डिंगों में कभी सुल्तानों और बादशाहों का आशियाना हुआ करता था, उन बिल्डिंगों में अब आप भी एक या दो दिनों तक स्टे करने का लुत्फ उठा सकते हैं। इतना ही नहीं, उन बिल्डिंगों में आप अपने परिवार के साथ खाना भी खा सकते हैं। साउथ एमसीडी ने इन हेरिटेज बिल्डिंगों के कमर्शल इस्तेमाल का प्लान बनाया है, ताकि इनके संरक्षण पर करोड़ों रुपये खर्च करना आसान हो सके। एमसीडी ने महरौली के हाउस टैक्स बिल्डिंग और डिस्पेंसरी को फिलहाल संरक्षित करने का प्लान बनाया है। जिस बिल्डिंग में डिस्पेंसरी चल रही है, वह सल्तनत काल में लोदी वंश के किसी सुल्तान ने बनाया था। इसी तरह से प्रॉपर्टी टैक्स बिल्डिंग को अंग्रेजों ने बनाया था।

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साउथ एमसीडी के एक सीनियर अफसर के अनुसार, दिल्ली सरकार के साल 2010 के नोटिफिकेशन के अनुसार तीनों एमसीडी एरिया में कुल 766 हेरिटेज बिल्डिंग हैं, जिनमें से 475 बिल्डिंग साउथ एमसीडी एरिया में हैं। इनमें से जो ग्रेड-2 में हेरिटेज बिल्डिंग हैं, उनकी मेंटिनेंस एमसीडी ही करती है। लेकिन इसके लिए भारत सरकार के हेरिटेज कंजरवेटिव कमिटी से परमिशन लेना पड़ता है। इन ऐतिहासिक बिल्डिंगों की मेंटिनेंस में स्पेशल मटीरियल और पत्थर का इस्तेमाल होता है। ऐसे में इनका मेंटिनेंस काफी खर्चीला है।
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महरौली में स्थित जिन दो हेरिटेज बिल्डिंगों में एमसीडी की डिस्पेंसरी और प्रॉपर्टी टैक्स सेंटर हैं, उनमें से प्रत्येक बिल्डिंग के संरक्षण पर करीब 4 करोड़ रुपये से अधिक पैसे खर्च होंगे। लेकिन, इतने पैसे एमसीडी के पास नहीं हैं। ऐसे में प्लान बनाया गया है कि जिन हेरिटेज बिल्डिंगों की मेंटिनेंस एमसीडी करती है, उनके कमर्शल इस्तेमाल की अनुमति लोगों को दी जाए। ताकि उससे जो रेवेन्यू एमसीडी को मिलेगा, उससे इन हेरिटेज साइटों का संरक्षण करना आसान हो। ऐसी बिल्डिंगों में कमर्शल एक्टिविटी चलाने के इच्छुक लोगों के लिए न्यूनतम रिजर्व प्राइस 3 लाख रुपये रखा गया है। अधिकतम बोली लगाने वालों को ही कमर्शल एक्टिविटी चलाने का मौका दिया जाएगा।
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अधिकतम बोली लगाने वाले लोग हेरिटेज बिल्डिंगों में रिटेल शॉप, मेडिसिन शॉप, कमर्शल ऑफिस, क्लिनिक, बैंक, एटीएम, गेस्ट हाउस, रेस्टोरेंट, कोचिंग सेंटर, ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, कई चीजें चला सकते हैं। इसके लिए एमसीडी को उन्हें मंथली फीस देनी होगी। अफसरों का कहना है कि भोपाल नगर निगम भी हेरिटेज साइटों के संरक्षण के लिए उनका कमर्शल इस्तेमाल कर रही है। उसी तर्ज पर ही यहां भी हेरिटेज साइटों का कमर्शल इस्तेमाल शुरू करने का प्लान बनाया गया है। प्रस्ताव को स्टैंडिंग कमिटी में रखा गया था, जिसे कमिटी ने पास कर दिया है।


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