प्रख्यात ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट कल्कि सुब्रमण्यम ने किया समलैंगिक विवाह का समर्थन

Update: 2023-04-23 10:50 GMT

फाइल फोटो

अरुण लक्ष्मण
चेन्नई (आईएएनएस)| भारतीय ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता, लेखक, चित्रकार, कवि और प्रेरक वक्ता कल्कि सुब्रमण्यम सहोधारी फाउंडेशन की संस्थापक हैं जो ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों के लिए काम करता है। उन्होंने देश के भीतर और बाहर विभिन्न विश्वविद्यालयों में दस लाख से अधिक छात्रों से भी बात की है।
कल्कि उन प्रमुख व्यक्तियों में से एक हैं जिन्होंने समुदाय के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी और 2014 में उच्चतम न्यायालय में एक ऐतिहासिक जीत हासिल की, जिसने उन्हें 'थर्ड जेंडर' का अधिकार दिया और पुरुष, महिला या तीसरे लिंग के रूप में खुद की पहचान करने का अधिकार भी दिया।
देश के अग्रणी ट्रांस एक्टिविस्ट ने समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर आईएएनएस से बात की। कुछ अंश:
आईएएनएस: समलैंगिक विवाह पर आपकी क्या राय है?
कल्कि: यह एक व्यक्तिगत अधिकार है और मैं इसका 100 फीसदी समर्थन करती हूं।
आईएएनएस: समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से समलैंगिक और समलैंगिक समुदायों पर क्या फर्क पड़ेगा?
कल्कि: हमारा देश एक लोकतंत्र है जिसका संविधान व्यक्ति के अधिकार का सम्मान करता है। जिन लोगों को बहिष्कृत होने की आशंका थी, वे राहत महसूस करेंगे और खुश होंगे।
आईएएनएस: क्या समलैंगिक विवाह देश के सामाजिक ताने-बाने को अपूरणीय क्षति पहुंचाएगा, जैसा कि इस विचार के आलोचकों द्वारा आरोप लगाया जा रहा है?
कल्कि: नहीं, इससे मौजूदा तंत्र को कोई नुकसान नहीं होगा। दशकों पहले लोग कहते थे कि महिलाओं को शिक्षित नहीं होना चाहिए, देखिए क्या हुआ। आज अधिक से अधिक महिलाएं शिक्षित हो रही हैं और स्वतंत्र हो रही हैं जो बिल्कुल अच्छा है और एक सभ्य समाज यही करता है। महिलाएं हमारे देश के विकास में बहुत बड़ा योगदान देती हैं।
उसी तरह, यदि समलैंगिक विवाह को वैध कर दिया जाता है, तो गे और लेस्बियन लोग देश की विकास गाथा में और भी अधिक योगदान दे सकते हैं।
आईएएनएस: क्या समलैंगिक विवाह ट्रांस कम्युनिटी को प्रभावित करेगा?
कल्कि: समलैंगिक शादियों का ट्रांसजेंडर समुदाय पर कोई असर नहीं पड़ेगा। हमारे पास कई मुद्दे हैं जो हमारे लिए प्राथमिकता रखते हैं। ट्रांसजेंडर समुदाय में गरीबी व्यापक है। रोजगार, आजीविका, स्वास्थ्य, आवास, समावेशन मुद्दे हैं। हालांकि हम समलैंगिक विवाह का समर्थन करते हैं, लेकिन हमारे मुद्दे अलग हैं। ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए वे मुद्दे शादी से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।
हमारा अस्तित्व ही एक मुद्दा है। समावेशन, हमारी सुरक्षा, नौकरी और आजीविका के साधन, स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच, ये सब अभी भी हमारे लिए अनिश्चित हैं। वे हमारी प्राथमिकताएं हैं। शिक्षा और नौकरी में आरक्षण हमारी प्राथमिकता है। हमें ट्रांसजेंडर लोगों के लिए क्षैतिज आरक्षण की आवश्यकता है। वही हमारा भविष्य है। विवाह बेशक बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन हम ट्रांसजेंडर लोगों की चिंताएं गहरी हैं। बहरहाल, हम समलैंगिक विवाह का समर्थन करते हैं और इसके लिए खड़े होते हैं।
आईएएनएस: क्या अदालतें समलैंगिक विवाह जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक मामलों पर निर्णय ले सकती हैं?
कल्कि: कानूनी सुरक्षा के लिए हमें निश्चित रूप से अदालतों के हस्तक्षेप की जरूरत है। यह एक प्रमुख कारण है कि हमें सर्वोच्च न्यायालय से समलैंगिक विवाह के संबंध में कानून की आवश्यकता है।
आईएएनएस: समलैंगिक विवाह का समर्थन करने वाले लोग पश्चिम के कुछ देशों में कानून द्वारा मान्यता प्राप्त प्रथा की ओर इशारा करते हैं। आपकी टिप्पणियां?
कल्कि: वास्तव में पश्चिमी देशों को इंगित करने की कोई आवश्यकता नहीं है। महाभारत और कामसूत्र जैसे हमारे प्रसिद्ध महाकाव्यों में भी हम समलैंगिक प्रेम और विवाह के संदर्भ देखते हैं।
आईएएनएस: कई प्रमुख धर्म और आध्यात्मिक व धार्मिक नेता समलैंगिक विवाह के खिलाफ हैं। उनके लिए आपका क्या संदेश है?
कल्कि: मैं उन्हें बताना चाहती हूं कि समलैंगिक प्रेम और विवाह का विरोध हमारे देश में औपनिवेशीकरण की देन है। मैं उन्हें बताना चाहता हूं पीछे मुड़कर अपनी जड़ों को देखें, आप एक ऐसे देश से संबंधित हैं जो प्राचीन काल में भी विविधता और समावेश में विश्वास करता था। औपनिवेशीकरण के कारण अआप एलजीबीटी समुदायों के अधिकारों का विरोध कर रहे हैं।
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