मासी बांध का 10 करोड़ रुपए से जीर्णोद्धार, बांध के गेट बिजली से होंगे संचालित
टोंक। टोंक पीपलू उपखंड के 29 गांवों के 30 हजार किसानों के लिए लाइफलाइन एवं निवाई की जनता के लिए पीने के पानी के लिए वरदान मासी बांध का पुनर्वास कई वर्ष पहले किया था। जिसके चलते बांध क्षतिग्रस्त होने लगा था तथा मरम्मत के लिए पर्याप्त बजट नहीं होने से गेट, नाली आदि भी क्षतिग्रस्त हो गए थे जिससे पानी का रिसाव हो रहा था। जल संसाधन विभाग के सहायक अभियंता कानाराम गुर्जर ने बताया कि 28 दिसंबर 2017 को मासी बांध पर डीएसआरपी के अधिकारियों ने बांध परियोजना का दौरा किया। मासी बांध सिंचाई परियोजना के पुनर्वास के प्रावधान लिए गए। जिसको लेकर जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनियर के प्रस्ताव पर राजस्थान सरकार ने इस प्रस्ताव को हरी झंडी प्रदान की गई। जिस पर इस कार्य के लिए 19 जुलाई 2022 को 10 करोड़ 25 लाख 66 हजार 940 रुपए 49 पैसे की तकनीकी स्वीकृति जारी हुई। यह होंगे कार्य: पुनर्वास प्रोजेक्ट के तहत लगभग 50 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। वर्तमान में वर्षाकाल के कारण कार्य बंद है। बांध के मरम्मत, नवीनकरण जीर्णोद्धार के तहत पाल मिट्टी कार्य में शीर्ष चौड़ाई 6 मीटर और ढलान 2:1, शूट ड्रेन कार्य, गाइड दीवार मिट्टी कार्य, निर्माण फेस वॉल, रिप रैप कार्य, गाइड वॉल रिलीविंग प्लेटफॉर्म, चादर पर लेमिना कार्य, टो फिल्टर, स्लुइस गेट्स में स्लुइस कुएं और बैरल का कार्य, बांध के गेटों को हाथ से संचालन को बिजली से संचालन में बदला जाएगा। साथ ही गार्ड कम कंट्रोल रूम भवन का निर्माण होगा। सप्लाई के लिए 180 केवीए डीजी सेट जनरेटर सहित कई कार्य होंगे।
कब कितना आया पानी: सिंचाई विभाग के कनिष्ठ अभियंता मुकेश गुर्जर ने बताया कि दस फीट भराव क्षमता वाला मासी बांध 1991 से लेकर 1999 तक लगातार फुल भरता रहा हैं। इसके बाद बांध में पानी की आवक को ग्रहण लग गई हो। वर्ष 2001 से 2003 बांध में प्रतिवर्ष करीब ढ़ाईफीट पानी की आवक हुई। वर्ष 2004 में बांध में 9 फीट पानी की आवक हुई। इसके बाद 2005 से 2009 तक फिर बांध में करीब 2.95 फीट पानी की आवक हुई हैं। वर्ष 2010 में बांध लबालब हुआ तथा बांध की चादर चली। 2011 में भी बांध भराव क्षमता के मुताबिक पूरा भर गया। 2012 से लेकर 2018 तक बांध पूरी तरह से नहीं भर पाया। मासी बांध से पीपलू क्षेत्र में गहलोद तक 40 किलोमीटर लम्बी मुख्य नहर व दर्जनों वितरिकाएं बनी हुई है। ऐसे में नदी तल से 16 फीट ऊंचाई पर बने शून्य बिन्दू से 10 फीट भराव क्षमता वाले मासी बांध के भरने से इन नहरों में पानी छोड़ा जाता है, तो क्षेत्र में 6985 हैक्टेयर जमीन पर रबी की फसल में सिंचाई की जाती है। जिससे क्षेत्र का किसान समृद्ध व खुशहाल होता है। मासी बांध से पीपलू क्षेत्र के 29 गांवों की 28 हजार एकड़ भूमि को नहरों के जरिए सिंचित करने के लिए पानी मिलता है। ऐसे में बांध के पुनर्वास से क्षेत्र के लोगों को और अधिक फायदा मिलेगा। सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता कानाराम गुर्जर ने बताया कि मासी बांध जिले का चौथा सबसे बड़ा बांध है जिसकी भंडारण क्षमता 48.11 एमसीयूएम है।