स्वतंत्रता दिवस से पहले इतिहास की याद, इस परिवार ने संजोकर रखा है ऐतिहासिक झंडा, आइए जाने
इस 15 अगस्त को भारत (India) अपनी आज़ादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर जाएगा, ऐसे में आज़ादी से जुड़ी कई यादें ताज़ा हो रही हैं. उत्तर प्रदेश के मेरठ (Meerut) में एक व्यक्ति के पास अभी भी वो झंडा मौजूद है, जो आज़ादी से पहले कांग्रेस के अधिवेशन में फहराया गया था. इस झंडे का रिश्ता आज़ाद हिन्द फौज से भी है. आज़ादी से पहले हुए कांग्रेस के अधिवेशन में इस तिरंगे को विक्टोरिया पार्क में फहराया गया था, जिसे अबतक नागर परिवार ने संजोकर रखा है.
दरअसल, 23 नवंबर 1946 को आजादी के पहले मेरठ के विक्टोरिया पार्क में आयोजित कांग्रेस (Congress) अधिवेशन के दौरान कराया 14 फीट लंबा और 9 फीट चौड़ा तिरंगा फहराया गया था. यह झंडा मेरठ जिले के हस्तिनापुर (Hastinapur) निवासी देव नागर के पास मौजूद है, इस ऐतिहासिक झंडे से देश के चंद महत्वपूर्ण लोगों की यादें जुड़ी हैं.
द्वितीय विश्व युद्ध में आजाद हिंद फौज के डिवीजन के कमांडर रहे स्वर्गीय कर्नल गणपतराम नागर के परिवार के लिए यह झंडा किसी अमूल्य धरोहर से कम नहीं है.
मेरठ के हस्तिनापुर में रहने वाले गुरू नागर (61) स्वर्गीय कर्नल गणपतराम नागर के पौत्र हैं. यह बताते हैं कि आजादी के पहले विक्टोरिया पार्क में इस तिरंगे को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष आचार्य जेबी कृपलानी द्वारा ही झंडा फहराया गया था और झंडारोहण के समय उन के दादा गणपतराम नागर भी मौजूद थे. कांग्रेस के इस अधिवेशन में फहराया गया झंडा आज भी मेरठ के हस्तिनापुर में मेजर जनरल गणपतराम नागर के पौत्र देव नागर ने बड़े हिफाजत से संभाल कर रखा हुआ है.
मेजर जनरल गणपतराम नागर का जन्म 16 अगस्त 1905 को मेरठ के रहने वाले पंडित विष्णु नागर के घर हुआ था. मेरठ कालेज से पढ़ाई की, उसके बाद वे ब्रिटिश आर्मी में 1928 में किंग अफसर के पद पर नियुक्त हुए. इसके बाद 1939 में आजाद हिंद फौज में भर्ती हो गए और सुभाष चंद्र बोस के काफी नजदीक होने पर उन्हें मेजर जनरल की पोस्ट से नवाजा गया था.
इतने साल बाद भी इस तिरंगे की हिफाज़त करने वाला नागर परिवार इसको लेकर कहता है कि उनके दादाजी को ये तिरंगा कांग्रेस के अधिवेशन समाप्त होने के बाद नेहरू जी ने यादगार के तौर पर दिया था. उन्होंने यह कहते हुए दिया था कि इस तिरंगे की हिफाजत का जिम्मा अब तुम्हारा. उसके बाद से आज तक यानि आजादी के 75 साल बाद भी देश का ये पहला तिरंगा नागर परिवार ने बड़े हिफाजत के साथ सुरक्षित रखा हुआ है.
पहले यह तिरंगा उनके दादा गणपतराम नगर के पास रहा फिर यह तिरंगा उनके पिता सूरज नागर के पास रहा, जो कि आर्मी में थे. अब यह तिरंगा उनके और भाई देव नागर पास है और इसके बाद इस तिरंगे की हिफाजत का जिम्मा उनके बेटे विक्रांत नागर के पास रहेगा. नागर परिवार का कहना है कि वे इस तिरंगे की देखभाल करते हैं.
परिवार के लोग कहते हैं कि धरोहर के रूप में देश का पहला तिरंगा झंडा संजो कर रखना उनकी खुशकिस्मती है. इसलिए इसके मान और सम्मान के साथ ही इसकी सुरक्षा का पूरा ख्याल रखती हैं. वे इसको हमेशा ऐसे स्थान पर रखती हैं जहां पर इसको संविधान के अनुसार सम्मान मिले और इसकी सुरक्षा होती रहे.
75 साल से ये तिरंगा अपने उसी स्वरूप में है. लेकिन अब और तक के इस तिरंगे में फर्क इतना है कि उस समय इसमें गांधी जी का चरखा बीच में था. और अब इसके बीच में चक्र बना हुआ है. ये परिवार तिरंगे की साफ-सफाई का भी पूरा ख्याल रखता है. गुरू नागर यह भी बताते हैं कि उनके पिताजी से इस तिरंगे को कई लोगों ने मांगा लेकिन उनके पिताजी ने यह झंडा देने से मना कर दिया. अगर उनका पूरा परिवार इस बात पर सहमत हो जाता है कि यह झंडा किसी म्यूजियम में जाना चाहिए, तो वह इस झंडे को म्यूजियम में भेज देंगे लेकिन अगर परिवार का एक सदस्य भी मना करता है तो वह इस झंडे को अपने पास ही रखेंगे.