लखनऊ: अपराध की दुनिया में D शब्द का नाम आते ही हमारे और आपके दिमाग में एक ही चेहरा और नाम आता है. वो नाम है अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और उसकी D कंपनी. लेकिन पुलिस के दस्तावेजों में इस शब्द के दूसरे ही मायने होते हैं. हर जिले में D से ही पेशेवर अपराधियों की कुंडली शुरू होती है.
हाल ही में भदोही पुलिस ने पूर्व विधायक विजय मिश्रा को D12 गैंग में रजिस्टर किया. ऐसे ही मुख्तार अंसारी मऊ पुलिस में IS 191 के तौर पर रजिस्टर कर रखा है. अमूमन जिलों में पेशेवर अपराधियों की कानूनी दस्तावेजों में कुंडली D के नाम से ही दर्ज होती है.
दरअसल हर जिले में अपराधियों का वर्गीकरण कर हर थाने के रजिस्टर no 8 में नाम पता लिखा होता है. शातिर चेन स्नेचर, लुटेरा, नकबजन, वाहन चोर, हत्यारा, डकैत, सुपारी किलर, दंगाई बलवा, शोहदा, ऐसे तमाम कॉलम में अपराधियों के नाम पता लिखे होते हैं. थानेवार अपराधियों का नाम पता लिखने के साथ जिले में भी एक लिस्ट बनाई जाती है. दरअसल जो अपराधी नहीं सुधरने वाले होते हैं बार-बार अपराध में नाम आता है और उनके गैंग में कई लोग जुड़ते जाते हैं.
ऐसे अपराधियों के नाम का बाकायदा गैंग चार्ट बनाया जाता है और उस गैंग चार्ट में उस गैंग का नाम पता, गैंग के सदस्यों का नाम पता हो लिया परिवार का ब्यौरा रिश्तेदारी आ प्रमुख रिश्तेदारों का ब्यौरा अपराध करने का तरीका कैसे अपराध करने में माहिर है. यह सब पूरा विवरण लिखा होता है. जिस अपराधी के गैंग में जिला स्तरीय मेंबर होते हैं, उसका नाम D यानी डिस्ट्रिक्ट और फिर सीरियल no 1,2,3, के हिसाब से लिखा होता है.
जिस अपराधी के गैंग मेंबर और अपराध का दायरा दूसरे राज्यों में फैला होता है, उसका विवरण IS यानी inter state के तौर पर दर्ज होता है. अपराधियों के गैंग के रजिस्ट्रेशन पर रिटायर्ड आईपीएस और डीजीपी मुख्यालय के एसपी क्राइम रहे जीपी चतुर्वेदी का कहना है, जिन लोगों पर गैंगस्टर एक्ट लगा हो उनका गैंग चार्ट भी बने यह जरूरी नहीं होता है. तमाम अफसर घोटालेबाजों के साथ मिलकर घपला करते हैं उनके ऊपर गैंगस्टर एक्ट लगता है, लेकिन उनका जिले में गैंग रेजीस्ट्रेशन हो यह जरूरी नहीं. D और IS के नाम से रजिस्ट्रेशन उन्हीं अपराधियों का किया जाता है, जिनके सुधरने की संभावना खत्म हो जाती है. बार-बार एक ही तरह का अपराध करते हैं और कई बार जेल से छूटने के बाद भी अपराध नहीं छोड़ते.