नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आम बजट को लेकर अपनी पहली प्रतिक्रिया दी। उन्होंने केंद्र के आम बजट को 'कुर्सी बचाओ बजट' बताया। इसके साथ ही उन्होंने सरकार के बजट को 'कॉपी पेस्ट' भी कहा।
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ''कुर्सी बचाओ बजट। सहयोगियों को खुश करने की कोशिश की गई है। अन्य राज्यों की कीमत पर उनसे खोखले वादे किए गए। इसमें आम भारतीय को कोई राहत नहीं दी गई।'' उन्होंने बजट को कांग्रेस के घोषणापत्र और पिछले बजट का कॉपी पेस्ट भी बताया।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी सकार के बजट पर निशाना साधते हुए लिखा, ''कांग्रेस के न्याय के एजेंडे को ठीक तरह से कॉपी भी नहीं कर पाया मोदी सरकार का "नकलची बजट"। मोदी सरकार का बजट अपने गठबंधन के साथियों को ठगने के लिए आधी-अधूरी "रेवड़ियां" बांट रहा है, ताकि एनडीए बची रहे। ये "देश की तरक्की" का बजट नहीं, "मोदी सरकार बचाओ" बजट है। 10 साल बाद उन युवाओं के लिए सीमित घोषणाएं हुईं हैं, जो सालाना दो करोड़ नौकरियों के जुमले को झेल रहे हैं। किसानों के लिए केवल सतही बातें हुईं हैं, डेढ़ गुना एमएसपी और आय दोगुना करना - सब चुनावी धोखेबाज़ी निकली।''
उन्होंने लिखा, ''ग्रामीण वेतन को बढ़ाने का इस सरकार का कोई इरादा नहीं है। दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग, अल्पसंख्यक, माध्यम वर्ग और गांव-गरीब लोगों के लिए कोई भी क्रांतिकारी योजना नहीं है, जैसी कांग्रेस-यूपीए ने लागू की थी। "गरीब" शब्द केवल स्वयं की ब्रांडिंग करने का ज़रिया बन गया है, ठोस कुछ भी नहीं है। महिलाओं के लिए इस बजट में ऐसा कुछ नहीं है, जिससे उनकी आर्थिक क्षमता बढ़े और वो वर्कफोर्स में अधिक से अधिक शामिल हों। उल्टा महंगाई पर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है, जनता की गाढ़ी कमाई लूटकर वो पूंजीपति मित्रों में बांट रही है।''
उन्होंने लिखा, ''कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, जन-कल्याण और आदिवासियों पर बजट में आवंटन से कम खर्च किया है, क्योंकि ये भाजपा की प्राथमिकताएं नहीं हैं। इसी तरह कैपिटल एक्सपेंडिचर पर 1 लाख करोड़ कम खर्च किया है, तो फिर नौकरियां कहां से बढ़ेंगी? शहरी विकास, ग्रामीण विकास, आधारभूत संरचना , मैन्युफैक्चरिंग, एमएसएमई, इन्वेस्टमेंट, ईवी योजना - सब पर केवल डॉक्यूमेंट, पॉलिसी, विजन, रिव्यू आदि की बात की गई है, पर कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई है। आए दिन रेल हादसे हो रहें हैं, ट्रेनों को बंद किया गया है, कोच की संख्या घटी है, आम यात्री परेशान हैं पर बजट में रेलवे के बारे में कुछ नहीं कहा गया है, कोई जवाबदेही नहीं है।''
खड़गे ने आगे लिखा, ''जनगणना व जातिगत जनगणना पर भी कुछ नहीं बोला गया है, जबकि ये पांचवा बजट है, जो बिना जनगणना के प्रस्तुत किया जा रहा है! ये हैरान कर देने वाली अप्रत्याशित नाकामी है - जो लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ है ! 20 मई 2024, यानि चुनाव के दौरान ही, पीएम मोदी ने एक साक्षात्कार में दावा किया था कि 100 दिनों का एक्शन प्लान हमारे पास पहले से ही है। जब एक्शन प्लान, दो महीने पहले था, तो कम से कम बजट में ही बता देते। बजट में न कोई प्लान है, और भाजपा केवल जनता से धोखेबाजी करने के एक्शन में व्यस्त है।''
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ''केंद्रीय बजट और कुछ नहीं बल्कि 'सरकार बचाओ बजट' है, जो इस लंगड़ी सरकार के अस्तित्व को बचाने की राजनीतिक मजबूरियों से प्रेरित है। इससे महंगाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा, किसानों की समस्या का समाधान नहीं होगा और मध्यम वर्ग के लिए तो कुछ भी नहीं होगा। पिछले 10 बजटों की तरह यह केंद्रीय बजट भी आम भारतीय की चिंताओं से कोसों दूर है।''
उन्होंने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए लिखा, ''हालांकि, सरकार ने देर से ही सही, यह तो मान लिया है कि रोजगार सृजन समय की मांग है, लेकिन उसकी तथाकथित घोषणाएं पूरी तरह से कपटी और गैर-गंभीर हैं। वे हमारे न्याय पत्र की ठीक से नकल भी नहीं कर पाए। केवल बड़ी-बड़ी सुर्खियां बनाना, जबकि वास्तविकता में बहुत कम जानकारी देना, भारत के युवाओं के भविष्य के साथ क्रूर मजाक के अलावा और कुछ नहीं है। इस बजट के बाद भारतीय समाज का हर वर्ग और भी बदतर स्थिति में पहुंच जाएगा और लोगों के दर्द से पूरी तरह कटी यह सरकार सिर्फ अपने अस्तित्व की चिंता करेगी।''