गुजरात और मुंबई तक पहुंची हाथरस के टमाटर की लालिमा, दिल्‍ली में भिंडी की धाक

परंपरागत खेती से हटकर किसान अब सब्जियों के उत्पादन से मोटा मुनाफा कमा रहे हैं

Update: 2022-04-16 16:54 GMT

परंपरागत खेती से हटकर किसान अब सब्जियों के उत्पादन से मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। हाथरस के किसान टमाटर, भिंडी की पैदावार कर इसकी सप्लाई स्थानीय बाजार की अपेक्षा बड़े शहरों में कर रहे हैं। वहां सब्जियों के अच्‍छे दाम मिल जाते हैं। कई सब्जियां यहां से सीधे फाइव स्टार होटलों में पहुंचती है।

सीजन में महज 20 से 30 रुपये किलो तक बिकने वाली भिंडी इन इनों 50 से 80 रुपये किलो तक में फुटकर बिक रही है। सिकंदराराऊ ब्लाक के गांव नगला भूड़ निवासी किसान बहोरी सिंह बताते हैं कि वे तीस वर्षों से भिंडी की सब्जी पैदा कर रहे हैं। भिंडी की फसल में कभी नुकसान नहीं हुआ। पहले वह भिंडी को स्थानीय बाजार में बेचते थे, अब इसे आजादपुर मंडी दिल्ली भेजते हैं। वहां अच्‍छे दाम मिल जाते हैं। भिंडी की खेती में 10 हजार रुपये प्रति बीघा की लागत आती है, और 50 हजार रुपये प्रति बीघा तक दाम इसके मिल जाते हैं। इधर टमाटर, भिंडी और खीरे के बीज में सब्सिडी से किसानों का अतिरिक्त फायदा हो रहा है।
सिकंदराराऊ के दो दर्जन गां में होती है भिंडी की पैदावार
कम लागत में कई गुना मुनाफा देती है। इसलिए सिकंदराराऊ ब्लाक के दो दर्जन से अधिक गांवों में इसकी पैदावार होती है। अगसौली के आसपास आठ से 10 गांवों में भिंडी की पैदावार हो रही है। इसके अलावा मुरसान के कई गांवों में भिंडी की पैदावार हो रही है।
बाहर की मंडियों में टमाट के मिल रहे हैैं अच्‍छे रेट
भले ही बाजार में टमाटर 30 रुपये किलो मिल रहा हो, मगर दिल्ली समेत अन्य राज्यों में रेट अच्‍छे मिल रहे हैं। सिकंदराराऊ के गांव अगसौली निवासी किसान अंबरीश सिंह बताते हैं कि टमाटर की खेती में करीब आठ हजार रुपये प्रति बीघा लागत आती है और बड़े शहरों की मंडी में 30 हजार रुपये बीघा के दाम किसानों को मिल जाते हैं। सीजन की शुरुआत में सब्जी की पैदावार होगी तो उसके रेट भी बाजार में अ'छे मिलते हैं।
100 हेक्टेयर में खीरा की खेती
हाथरस के लगभग सभी ब्लाक क्षेत्र के ग्रामों में खीरा की खेती हो रही है। 100 हेक्टेयर के करीब खीरा की पैदावार हाथरस में है। मुरसान के किसान रामसेवक सिंह बताते हैं कि प्रति बीघा पांच हजार रुपये की लागत आती है और 15 हजार रुपये तक एक बीघा पर मिल जाता है। वहीं कई किसान पालीहाउस बनाकर खीरे का उत्पादन कर रहे हैं। उनकी सप्लाई बड़े शहरों के होटलों तक है।
इनका कहना है
भिंडी, टमाटर, खीरे की फसल के लिए पहले आओ और पहले पाओ के आधार पर सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है। हाथरस की भिंडी, टमाटर और खीरा दूसरे शहरों में सप्लाई हो रहा है, जिससे यहां के किसान भरपूर मुनाफा पा रहे हैं।
-अनीता सिंह, जिला उद्यान अधिकारी हाथरस।
ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई 8.12 करोड़ का प्रस्ताव भेजा
जिले में किसान अब स्प्रिंकलर विधि द्वारा खेतों में ङ्क्षसचाई कर रहे हैं। इस विधि से किसानों के लिए पानी की बचत के साथ समय की बचत और धन की भी बचत होती है। साथ ही सरकार की तरफ से किसानों को स्प्रिंकलर मशीन खरीदने पर 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी भी मिल रही है। उद्यान विभाग की ओर से इस बार भी 8.12 करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया है। जिला उद्यान अधिकारी अनीता सिंह ने बताया कि स्प्रिंकलर विधि से सिंसचाई अब किसानों को पसंद आ रही है। फव्वारा सिंचाई विधि में पानी का लगभग 80 प्रतिशत भाग पौधों द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है। जबकि पारंपरिक विधि में सिर्फ 30 प्रतिशत पानी का ही उपयोग होता है। कृत्रिम वर्षा चूंकि धीमे-धीमे की जाती है, इसलिए न तो कहीं पर पानी का जमाव होता है और न ही मिट्टी दबती है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2022-23 के लिए शासन को ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई 8.12 करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया है। इसमें 715.50 हेक्टेयर हार्टीकल्चर और 969.95 हेक्टेयर के लिए प्रस्ताव है। एक हेक्टेयर सिस्टम लगाने पर 1.40 लाख की लागत आती है और इस पर 80 फीसद सब्सिडी तब मिलती है जब सिस्टम का सत्यापन शासन की टीम आकर कर लेती है। हालांकि पिछली बार 1.60 करोड़ की मंजूरी शासन से इस योजना के लिए मिली थी।
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