नोएडा। सुपरटेक लिमिटेड के मालिक आरके अरोड़ा को ईडी ने गिरफ्तार किया है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में घंटों की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया है. बता दे करीब एक महीने पहले उन्हें घर खरीदारों का पैसा नहीं लौटाने को लेकर हिरासत में लिया गया था. हालांकि, तब कुछ ही देर बाद उन्हें रिहा कर दिया गया था. आरके अरोड़ा हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में मौजूदगी वाले एक रियल एस्टेट टाइकून हैं. वह कंस्ट्रक्शन कंपनी सुपरटेक के मालिक और प्रबंध निदेशक हैं. नोएडा के सेक्टर 93ए में उन्होंने ट्विन टावर बनाए थे जो दो आवासीय परिसर थे. इन टावरों को पिछले साल 28 अगस्त को ध्वस्त कर दिया गया था.
लंबे समय से ED के निशाने पर अरोड़ा
सुपरटेक के मालिक के यहां ईडी ने 2021 में छापेमारी की थी. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लू) ने कंपनी के मालिक आरके अरोड़ा की कोठी और कार्यालयों में छापामारी की थी. सुपरटेक ग्रुप के खिलाफ ईडी ने मंगलवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए ग्रुप के चेयरमैन आर.के अरोड़ा को दिल्ली स्थित कार्यालय में गिरफ्तार कर लिया है। ईडी द्वारा पिछले तीन दिनों से उन्हें लगातार पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा था। मंगलवार को भी उन्हें समन कर पूछताछ के लिए ही बुलाया गया था। जिसके बाद देर शाम में उनकी गिरफ्तारी कर ली गई। ईडी की ओर से ही उनके परिजनों को देर रात में फोन कर गिरफ्तार किए जाने की सूचना दी गई। जिसके बाद से परिजनों और कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों में हड़कंप मच गया। आर.के.अरोड़ा बिल्डर संगठन नेरेडको के चेयरमैन भी हैं।
दिल्ली पुलिस, हरियाणा पुलिस और उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज विभिन्न एफआईआर के आधार पर सुपरटेक ग्रुप ऑफ कंपनीज और अन्य के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत ईडी ने जांच शुरू की थी। सभी एफआईआर में यह आरोप है कि कंपनी और उसके निदेशक अपनी रियल एस्टेट परियोजनाओं में बुक किए गए फ्लैटों के खिलाफ संभावित खरीदारों से अग्रिम रूप से धन एकत्र कर लोगों को धोखा देने की आपराधिक साजिश में शामिल हैं। सभी आरोपी समय पर फ्लैटों का कब्जा प्रदान करने के लिए अपने सहमत दायित्वों का पालन करने में विफल रहे हैं। प्राथमिकी के अनुसार, कंपनी ने जनता को धोखा दिया।
ईडी द्वारा पीएमएलए के प्रावधानों के तहत की गई जांच से पता चला कि सुपरटेक लिमिटेड और समूह की कंपनियों ने होमबॉयर्स से धन एकत्र किया और फ्लैटों के निर्माण के उद्देश्य से बैंकों से परियोजना विशिष्ट अवधि के ऋण भी लिए। हालांकि, इन फंडों का गबन किया गया और समूह की अन्य कंपनियों के नाम पर भूमि की खरीद के लिए डायवर्ट किया गया, जिन्हें फिर से बैंकों से धन उधार लेने के लिए संपत्ति को गिरवी रखा गया था। ईडी ने कहा, आगे की जांच में पता चला है कि सुपरटेक समूह ने बैंकों/वित्तीय संस्थानों को अपने भुगतान में भी चूक की। वर्तमान में लगभग 1,500 करोड़ के ऐसे लोन एनपीए बन गए हैं। इन मामलों में चल रही जांच में 12 अप्रैल को भी ईडी ने सुपरटेक और उसके निदेशकों की 40 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को एंटी मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत कुर्क किया था। जिसमें उत्तराखंड के रुद्रपुर में स्थित 25 अचल संपत्तियों और उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में मेरठ मॉल को कुर्क किया गया था। इन कुर्क की गई संपत्तियों का कुल मूल्य 40.39 करोड़ रुपये बताया गया था।