महिला वकील से दुष्कर्म, केस में आरोपी अधिवक्ता को मिली जमानत

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Update: 2023-04-14 00:53 GMT

दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने एक वकील को जमानत दे दी है, जिस पर एक महिला वकील से दुष्कर्म का आरोप लगाया गया था। अदालत ने यह देखते हुए कि कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं है और पुलिस ने हिरासत में लेने की मांग नहीं की है। अदालत ने आरोपी जितेंद्र कुमार गुप्ता उर्फ सुमित को राहत दी, जिसके खिलाफ एक महिला अधिवक्ता ने बारा हिंदूराव थाने में दुष्कर्म की प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

आरोपी की ओर से पेश वकील दीपक शमा ने दलील दी कि आरोपी को मौजूदा मामले में झूठा फंसाया गया है। शर्मा ने तर्क दिया, आवेदक-आरोपी और अभियोक्त्री दोनों वकालत कर रहे हैं। अभियोक्त्री और अभियुक्त-आवेदक 2019 से एक-दूसरे को जानते हैं और अक्टूबर 2022 तक संबंध में थे। अभियोक्त्री अभियुक्त के परिवार से अच्छी तरह परिचित है। उन्होंने आगे तर्क दिया कि पीड़िता ने पुलिस में आरोपी के बारे में झूठी शिकायत की है कि वह उसका पति है और लापता है। शर्मा ने कहा कि वह केवल उस पर शादी करने का दबाव बनाना चाहती थी, जबकि उसने किसी और के साथ शादी कर ली थी। उन्होंने कहा, मेरे मुवक्किल ने डीसीपी, सिविल लाइंस, दिल्ली के समक्ष एक अभ्यावेदन दायर किया था और उसके बाद अभियोजिका ने प्राथमिकी दर्ज की। मेरे मुवक्किल के खिलाफ 2019 से मार्च, 2023 तक कोई शिकायत नहीं है। उसकी गर्भावस्था को समाप्त करने के संबंध में कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस ने आरोपी की कस्टोडियल रिमांड नहीं मांगी। अदालत राहत देते हुए कहा, आरोपी सीआरपीसी की धारा 438 का लाभ पाने का हकदार है। आवेदन को स्वीकार किया जाता है और यह आदेश दिया जाता है कि आरोपी जितेंद्र कुमार गुप्ता उर्फ सुमित की गिरफ्तारी की स्थिति में उसे 25,000 रुपये के निजी मुचलके इतनी ही राशि की एक जमानती पर रिहा किया जाए। अभियुक्त पुलिस द्वारा आवश्यक होने पर जांच में शामिल होगा और वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मामले के तथ्यों से परिचित किसी भी व्यक्ति को कोई प्रलोभन, धमकी नहीं देगा या वादा नहीं करेगा।

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