बच्ची से दुष्कर्म: रिश्तेदार बना हैवान, फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट से मिला न्याय
गंदी वीडियो दिखाने और किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी देने का आरोप भी लगाया था।
हरिद्वार: अपर जिला जज/एफटीएससी संगीता आर्य की अदालत ने नौ वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म के मामले में आरोपी युवक को दोषी करार दिया है। फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट ने आरोपी युवक को 20 वर्ष का कठोर कारावास और 40 हजार रुपये के अर्थदंड की भी सजा सुनाई है।
अर्थदंड की राशि जमा नहीं करने पर उसे छह माह के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।शासकीय अधिवक्ता भूपेंद्र चौहान ने बताया कि 10 अक्टूबर 2018 को जिले में नौ वर्षीय बच्ची ने स्कूल प्रधानाध्यापिका से अपने पिता पर उसके साथ छेड़छाड़ और बदतमीजी की शिकायत की थी।
प्रधानाध्यापिका की शिकायत पर स्थानीय पुलिस ने बच्ची के पिता के खिलाफ दुष्कर्म और पॉक्सो ऐक्ट में केस दर्ज कर उसे जेल भेज दिया था। मामले की विवेचना पूरी होने के बाद पीड़ित बच्ची के पिता के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल हुई थी।
विचारण कोर्ट ने आरोपी पिता के खिलाफ गंभीर धाराओं में आरोप तय किए। विचारण कोर्ट में पीड़ित बच्ची ने गवाही देकर बताया कि पिता ने उसके साथ कोई गलत काम नहीं किया है। पीड़ित बच्ची ने कोर्ट को बताया कि चार वर्ष पहले एक व्यक्ति की माता ने स्कूल की प्रधानाध्यापिका की ओर से उसके पिता पर झूठा केस दर्ज कराया था।
पीड़ित बच्ची ने बताया कि आरोपी उसका रिश्तेदार लगता है और उसी ने घर पर अकेली होने का फायदा उठाकर गलत काम किया था। यही नहीं, पीड़ित बच्ची ने आरोपी पर गंदी वीडियो दिखाने और किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी देने का आरोप भी लगाया था।
अभियोजन पक्ष के लिखित प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के बाद विचारण कोर्ट ने आरोपी को तलब किया था। इसके बाद आरोपी के विरुद्ध आरोप तय किए गए। दोबारा से अभियोजन साक्षी पेश किए गए। अभियोजन पक्ष ने कुल पांच गवाह पेश किए, जबकि बचाव पक्ष की ओर से दो गवाह पेश हुए। इसके बाद कोर्ट ने आरोपी रिश्तेदार को दोषी पाया।
घटना से पहले पीड़िता अपने माता-पिता के साथ ननिहाल चली गई थी। पीड़िता के माता-पिता मजदूरी आदि का काम कर रहे थे। इसी दौरान आरोपी रिश्तेदार ने बच्ची के साथ अपराध को अंजाम दिया था। केस विचारण के दौरान ही पीड़िता के पिता की मृत्यु हो गई थी।
विचारण कोर्ट ने पीड़िता बच्ची के मानसिक, आर्थिक और पारिवारिक स्थिति को देखते हुए दो लाख रुपये की प्रतिकर राशि दिलाए जाने के आदेश दिए हैं। विचारण कोर्ट ने उक्त निर्णय की एक प्रति डीएम और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को भेजने के निर्देश भी दिए हैं।