2015 में 14 साल की लड़की से दुष्कर्म, आरोपी को अदालत से बड़ा झटका
अदालत ने कहा कि अगर किसी नाबालिग के साथ शारीरिक संबंध स्थापित किया जाता है तो यह बलात्कार का अपराध बनता है और इसमें उसकी सहमति महत्वहीन है।
नई दिल्ली: दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने जनवरी 2015 में 14 साल की लड़की से दुष्कर्म करने के आरोपी एक शख्स को दोषी ठहराया है। अदालत ने कहा कि अगर किसी नाबालिग के साथ शारीरिक संबंध स्थापित किया जाता है तो यह बलात्कार का अपराध बनता है और इसमें उसकी सहमति महत्वहीन है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमित सहरावत उस व्यक्ति के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रहे थे, जिस पर बलात्कार के दंडात्मक प्रावधान और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धारा 6 के तहत आरोप लगाया गया था।
अदालत ने आरोपी के साथ स्वेच्छा से शारीरिक संबंध स्थापित करने के कारण गर्भवती होने और बाद में बच्चे को जन्म देने के बारे में लड़की के बयानों पर भी गौर किया। इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने बचाव पक्ष के वकील की इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि घटना के समय लड़की नाबालिग थी। उसने कहा कि पहले के सबूतों के अनुसार वह लगभग 14 साल की थी।
बचाव पक्ष ने पहले ही अभियोजन पक्ष के मामले को शारीरिक संबंधों की सीमा तक स्वीकार कर लिया है। इस प्रकार यदि किसी नाबालिग लड़की के साथ शारीरिक संबंध स्थापित किए जाते हैं तो यह पूरी तरह से बलात्कार की श्रेणी में है और पीड़ित की सहमति महत्वहीन है। कोर्ट ने कहा कि डीएनए प्रोफाइलिंग के मुताबिक आरोपी ही बच्ची का जैविक पिता है।
वहीं, दिल्ली के लोधी कॉलोनी इलाके में 6 जून को अपने घर के पास खेल रही सात वर्षीय मासूम के साथ दुष्कर्म की वारदात सामने आई है। आरोपी मासूम के पड़ोस में रहने वाला 16 वर्षीय नाबालिग है। आरोपी बच्ची को खेलने के बहाने अपने घर ले गया था, जहां उसने वारदात को अंजाम दिया। पुलिस ने पीड़िता की नानी की शिकायत पर केस दर्ज कर नाबालिग को पकड़ लिया। नाबालिग को बाल सुधार गृह भेज दिया गया है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपी पीड़ित बच्ची के पड़ोस में रहता है। दोनों अलग-अलग समुदाय से संबंध रखते हैं।