रेप केस: CRPF सुरक्षा हटाने की मांग, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
ट्रांसफर किया गया था केस.
नई दिल्ली: उन्नाव रेप केस की पीड़िता और इस मामले से जुड़े 13 लोगों को मिली सीआरपीएफ की सुरक्षा को वापस लेने के लिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. केंद्र सरकार ने कहा है कि पीड़िता और उसके परिवार को खतरे के आकलन के अनुसार सुरक्षा की जरूरत नहीं है. इसको लेकर अब शीर्ष अदालत ने पीड़िता और उसके परिजनों से जवाब मांगा है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के इस आवेदन पर मंगलवार को पीड़िता और उसके परिजनों को नोटिस जारी किया है, जिसमें अगस्त 2019 के आदेश में संशोधन की मांग की गई है. केंद्र ने मांग की है कि उन्नाव मामले के 14 लोगों को सीआरपीएफ द्वारा प्रदान किया गया केंद्रीय सुरक्षा कवर का आदेश वापस ले लिया जाए.
इसके साथ ही केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि शीर्ष अदालत राज्य सरकार को स्थानीय खतरे की धारणा के आधार पर इन व्यक्तियों को उचित सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया जाए. हालांकि हालांकि में पीड़िता और उससे जुड़े 13 लोगों के खतरे का आकलन किए जाने के बाद किसी विशेष खतरे का सबूत नहीं मिला है.
केंद्र ने अदालत को बताया है कि वर्तमान में इन व्यक्तियों को सुरक्षा देने में तैनात सीआरपीएफ के जवानों को अपने कर्तव्यों का पालन करने में प्रतिकलूताओं का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा उनके सुरक्षा कवर का दुरुपयोग भी किया जा रहा है. सरकार ने आगे कहा है कि इसके अलावा सीआरपीएफ सुरक्षा कवर में शामिल प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए सार्वजनिक खजाने पर भारी खर्च होता है जो इस स्तर पर न तो आवश्यक है और न ही जरूरी है.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में क्या तर्क दिए?
- केंद्र सरकार द्वारा तैनात सीआरपीएफ जवानों के पास उचित और पर्याप्त आवास, शौचालय/बाथरूम और अन्य सुविधाएं नहीं हैं.
- सुरक्षा प्राप्त लोगों को नियंत्रित करने में कठिनाई होती है क्योंकि वे अपने झगड़ों के दौरान एक-दूसरे के साथ शारीरिक रूप से मारपीट करते हैं.
- उनकी सुरक्षा में कोई स्थानीय पुलिसकर्मी नहीं है. पुरुष के साथ-साथ महिला प्रतिनिधि की भी अनिवार्य आवश्यकता बनी हुई है.
- आवेदन में कहा गया है कि सीआरपीएफ ने भारत सरकार को इस संबंध में सूचित कर दिया है.
- कई बार पीड़ित परिवार बिना सुरक्षाकर्मियों को बताए ही चले जाते हैं और वो उनके साथ गाली-गलौज करते हैं और झूठे मुकदमों में फंसाने की धमकी देते हैं. इतना ही नहीं वो नियमित रूप से सुसाइड करने की धमकी देते हैं.
यूपी से दिल्ली ट्रांसफर किया गया था केस
सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव रेप कांड के संबंध में दर्ज सभी 5 मामलों को 2019 में लखनऊ की कोर्ट से दिल्ली की एक अदालत में ट्रांसफर कर दिया था. केस की सुनवाई दैनिक आधार पर करने और 45 दिन में पूरा करने के निर्देश दिए थे. कोर्ट ने यूपी सरकार को भी निर्देश दिया था कि वह अंतरिम मुआवजे के रूप में पीड़िता को 25 लाख रुपये दे. बता दें कि इस मामले में दोषी पाया गया कुलदीप सिंह सेंगर उम्रकैद की सजा काट रहा है.