मुंबई। राज्यसभा की 16 सीटों पर चार राज्यों में 10 जून को वोटिंग होनी है. इनमें हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक और महाराष्ट का नाम शामिल है. यहां एक-एक सीट फंस रही है और मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है. दोनों दल सियासी दांवपेंच से लेकर रिजॉर्ट पॉलिटिक्स तक कर रहे हैं. चुनाव से पहले ही इन राज्यों में विधायकों को साधने के लिए बाड़ेबंदी तक कर दी गई है.
महाराष्ट्र में ढाई साल बाद एक बार फिर विधायकों की बाड़ेबंदी की गई है. यहां छह सीटों पर चुनाव होने जा रहे हैं. इनमें दो सीटें बीजेपी आसानी से जीतने जा रही है. जबकि एक-एक सीट पर शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की जीत तय है. छठी सीट पर पेंच फंस गया है और घमासान तेज हो गया है. शिवसेना से संजय पवार और बीजेपी से धनंजय महादिक के बीच मुकाबला है.
महाराष्ट्र में राज्यसभा में एक उम्मीदवार को जीतने के लिए करीब 42 वोट की जरूरत होती है. मौजूदा समीकरण को देखें तो बीजेपी की विधानसभा में 106 सीटें हैं. ऐसे में वो 2 सीटों पर आसानी से जीत सकती है. इसके अलावा, पार्टी के पास 22 वोट भी हैं. छठवें कंडीडेट को जिताने के लिए 7 निर्दलीयों ने भी समर्थन देने का भरोसा दिया है.
पार्टी ने इन निर्दलीय विधायकों को अपने साथ ले लिया है. हालांकि, ये इतना आसान नहीं है. अभी जीत के लिए पार्टी को 13 वोटों की और जरूरत है. कहा जा रहा है कि बीजेपी ने छोटे दलों के विधायकों से भी संपर्क किया है. अगर उनका साथ मिल जाता है तो बीजेपी ये मुकाबला आसानी से जीत सकती है.
जबकि महा अघाड़ी गठबंधन की बात करें तो वह भी मुकाबले में कड़ी टक्कर दे रही है. शिवसेना के विधानसभा में कुल 55, एनसीपी के 54 और कांग्रेस के कुल 44 विधायक हैं. गठबंधन के तीनों दल एक-एक सीट आसानी से जीत रहे हैं. उसके बाद शिवसेना के 13, एनसीपी के 12 और कांग्रेस के 2 वोट बचते हैं.
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे खुद सभी विधायकों के संपर्क में हैं. इन विधायकों के साथ सरकारी आवास पर मीटिंग बुलाई. उसके बाद गठबंधन के विधायक, खासतौर पर कांग्रेस के एमएलए को भी साध रहे हैं. उद्धव की नजर निर्दलीयों पर भी है. इसके लिए पार्टी खास प्लान बना रही है. कहा जा रहा है कि कुछ निर्दलीयों ने शिवसेना के साथ आने पर हामी भी भर दी है. पार्टी इन विधायकों को फाइव स्टार होटल में ठहरा रही है.
राज्य में बहुजन विकास अघाड़ी के तीन, AIMIM के दो, पीजेपी के दो, सपा के दो, केएसपी का एक, पीडब्ल्यूपी का एक, एसएसएस का एक, आरएसपी का एक, जेएसएस का एक, सीपीआई का एक, MNS का एक और 13 विधायक निर्दलीय हैं. यानी 16 विधायक छोटे दलों से आते हैं. जबकि 13 निर्दलीयों को जोड़ा जाए तो ये संख्या 29 पहुंच रही है. बीजेपी और शिवसेना इन्हीं विधायकों को अपने पाले में लाने की कवायद में जुटी है.