38 साल से जारी है अनाथों का लालन-पालन, बेसहारा बच्चों के लिए किया जीवन समर्पित, जानें इनकी स्टोरी

Update: 2022-05-14 09:30 GMT

नोएडा: एक बुजुर्ग महिला के आसपास आपको हंसते-मुस्कुराते बच्चे-बच्चियां दिख रहे हैं न.. लेकिन आपको ये जानकर दुख होगा कि इन बच्चों का इस दुनिया में कोई नहीं सिवाय इन्हीं अंजिना राजगोपाल के. अंजिना जी की उम्र यूं तो दादी वाली हो चली है, लेकिन उनके यहां मौजूद छोटा-बड़ा हर कोई उन्हें मम्मी कहकर बुलाता है. क्योंकि इन सब बच्चों को मां का प्यार अंजिना जी ने ही दिया है. दिल्ली से सटे यूपी के नोएडा सेक्टर-12 में अंजिना जी 'साईं कृपा' नाम से एक अनाथालय चलाती हैं. बच्चों का सहारा बनने की उनकी यात्रा 38 साल पहले शुरू हुई थी. दिव्यांग बच्चे को पिटते देखा तो घर ले आईं...

अंजिना बताती हैं कि वह शुरू से ही यह काम करना चाहती थीं. लेकिन घर में पिता की तबीयत ठीक नहीं थी, इसके लिए पढ़ाई के बाद नौकरी शुरू की, लेकिन फिर पिता की मौत के बाद उन्होंने अपने मन का काम करने की ठान ली. अंजिना याद करते हुए बताती हैं कि पहला बच्चा जो वह अपने पास लेकर आई थीं, वह भी फैसला अचानक ही हुआ. वह रास्ते में जा रही थीं, तभी उन्होंने देखा कि एक आदमी एक दिव्यांग बच्चे को मार रहा था. अंजिना ने यह देखा और उस बच्चे को लेकर अपने पास आ गई.
अनाथ बच्चों को अपने पास रखने का अंजिना का एक अलग जज्बा था. वह बताती हैं कि एक छोटी बच्ची जो कुछ ही दिन की थी, उसकी हालत बहुत खराब थी और वह अस्पताल में एडमिट थी. डॉक्टर ने कहा यह बच्ची ज्यादा दिन तक जिंदा नहीं रहेगी और अगर जी गई तो इसे कोई ना कोई डिसेबिलिटी हो जाएगी. कई लोगों ने अंजिना को इस बच्चे को गोद लेने के लिए मना किया, लेकिन वो नहीं मानीं और उस बच्ची को लेकर आ गई. आज वह बच्ची 27 साल की हो चुकी है और एकदम ठीक है.
अंजिना ने बच्चों की परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देने की कोशिश की और फिर उन्हें नौकरी भी दिलाई. कहीं बच्चों की शादी भी की. ऐसी ही एक अनाथ बेटी राधिका बचपन से ही यहीं पर है. राधिका फिलहाल एक बड़ी प्राइवेट यूनिवर्सिटी से फूड टेक्नोलॉजी में ग्रेजुएशन कर रही है और कहती है कि उसका सपना है कि वह विदेश जाकर अपनी मास्टर डिग्री ले और मम्मी ने इसके लिए इंतजाम भी कर दिया है.
राधिका की तरह ही राजेंद्र सिंह जब 4 साल के थे तो यहां आए थे. आज उनकी उम्र 39 साल हो चुकी है. यहीं पर उन्होंने पढ़ाई की डिग्री हासिल की और फिर होटल मैनेजमेंट में डिप्लोमा किया. राजेंद्र ने कई जगह नौकरी भी की है, लेकिन कोविड के बाद से वह पूरी तरह से इस अनाथालय की सेवा में ही लगे हुए हैं. वह नए बच्चों को ट्रेनिंग देने का काम भी करते हैं.
इस अनाथालय में कई बच्चे पढ़-लिखकर काबिल हो चुके हैं, लेकिन तरक्की की ओर बढ़ते इन बच्चों ने अब अंजिना राजगोपाल जैसी सोच तय कर ली है. ये बच्चे हमेशा अब जरूरतमंद बच्चों के लिए खड़े रहते हैं.
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