हिमाचल प्रदेश। हिमाचल प्रदेश में रेड अलर्ट के बीच मंगलवार रात और बुधवार को हुई भारी बारिश ने फिर तबाही मचाई है। खराब मौसम के चलते प्रदेश में एक बच्चे समेत 10 लोगों की मौत हो गई है। छह लोग लापता भी हैं। शिमला के बल्देयां में दंपती की मौत हुई है। जुन्गा में पांच साल के बच्चे पर गेट गिरा है। मंडी में नाना-दोहती, ताई-भतीजी समेत सात की जान चली गई। मंडी के कुकलाह में स्कूल भवन और खोलानाला में 50 बकरियां और दो दर्जन मवेशी बाढ़ में बह गए हैं। प्रदेश में 17 मकान ढह गए, जबकि 105 क्षतिग्रस्त हो गए। राजधानी शिमला में मूसलाधार बारिश और गर्जना ने लोगों को डरा दिया है। शहर के अधिकांश लोगों ने मंगलवार की रात जागकर काटी। मंडी में होटल पर बिजली गिरने से लगी आग से लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। जिला की ग्राम पंचायत कशोड में पांच मकान बह गए। प्रदेश में बुधवार शाम तक पांच नेशनल हाईवे समेत 709 सड़कें बंद रहीं। 1,366 बस रूट और 636 पेयजल योजनाएं बाधित रहीं।
राजधानी शिमला के नजदीक बल्देयां में ढारे (झोपड़ी) पर मलबा गिरने से अंदर मौजूद प्रवासी पति-पत्नी की मौत हुई है। भारी बारिश से जिला मंडी के सराज क्षेत्र में भारी नुकसान हुआ है। यहां पर बाढ़ के मलबे में दबने से अलग-अलग स्थानों पर नाना-दोहती, ताई भतीजी समेत छह लोगों की मौत हो गई। पंचायत जैंशला में पूर्णा देवी पत्नी गुलाब सिंह और ममता देवी पुत्री खेम सिंह निवासी हलेन की भूस्खलन की चपेट में आकर दबने से जान चली गई। दोनों रिश्ते में ताई और भतीजी थीं। दोनों गोशाला में मवेशियों को चारा डालने गई थीं। पंचायत कलहनी के डगैल में परमानंद (65) पुत्र नरसू राम और गोपी (15) पुत्री मीनू राम की मकान गिरने से दबकर मौत हो गई। दोनों आपस में नाना और दोहती थे।
सराज क्षेत्र की अनाह पंचायत के झौट गांव में तेज सिंह के मकान पर मलबा गिरने से उसकी दबकर मौत हो गई। वह घर के पिछले कमरे में था और आगे वाले कमरे में रह रहे बाकी परिजन बाहर निकल गए थे। वहीं, कुकलाह में बड़ा बुनाड गांव के नोक सिंह (22) की गोशाला ढहने के कारण दबकर मौत हो गई। मंडी के ही कोटला कमांद के अरनेहड़ संगलेहड़ गांव में महिला लच्छमी देवी (52) पत्नी तुल्लू राम के नाले में बहने से मौत हो गई। महिला नाले के पानी के रुख को घर की ओर जाने से मोड़ रही थी, तभी पांव फिसलने से नाले के तेज पानी के बहाव में बहने से उसकी मौत हो गई।
ग्राम पंचायत खाहरी के शारटी स्कूल भी क्षतिग्रस्त हुआ है। शहनु और छहमार में भी लोगों के घरों में दरारें पड़ गई हैं। जिला कुल्लू एक बार फिर देश-दुनिया से कट गया है। कुल्लू-मंडी-चंडीगढ़ हाईवे बंद होने के बाद अब तीनों वैकल्पिक मार्ग भी मंगलवार रात को हुई भारी बारिश से अवरुद्ध हो गए हैं। भूस्खलन से वैकल्पिक मार्ग कुल्लू-मंडी वाया पंडोह, कुल्लू-मंडी वाया कमांद तथा कुल्लू-पंडोह-चैलचौक-गोहर-सुंदरनगर भी बंद हो गया है। बजौरा में सैकड़ों गाड़ियां फंस गई हैं।
जिला शिमला के मशोबरा ब्लाॅक की पंचायत पीरन के डुमैहर में निर्माणाधीन गेट गिरने से वहां खेल रहे पांच वर्षीय हर्षित शर्मा पुत्र नारायण दत्त शर्मा की मौके पर मौत हो गई। यह हादसा 22 अगस्त को दोपहर बाद करीब चार बजे पेश आया। बुधवार सुबह बारिश के कारण शिमला-रामपुर नेशनल हाईवे भी बाधित रहा। परवाणू-शिमला फोरलेन पर दिनभर आवाजाही बाधित होती रही। बद्दी-पिंजौर मुख्य मार्ग पर बने पुल का एक पिलर टूटने से यह मार्ग बंद हो गया है। चंडीगढ़ के लिए वाहन वाया ढेरोंवाल मार्ग से डायवर्ट कर दिए गए। सुबाथू-कुनिहार मार्ग पर थड़ी के समीप नाला आने से दो कारें बहने से बचीं। सुबाथू के नया नगर और देवठी में भी दो मकान ढह गए हैं।
उधर, मनाली-चंडीगढ़, मंडी-पठानकोट और जालंधर-मंडी एनएच भी बंद हो गए हैं। जिला कांगड़ा के कोटला में भूस्खलन के चलते घरों में एक फीट तक पानी तथा कीचड़ भर गया। सात घरों को असुरक्षित घोषित कर दिया गया है। 30 घराें को खाली करवा दिया गया है। पठानकोट-मंडी एनएच 32 मील के पास सुबह दो घंटे के लिए बंद रहा। जसूर की जब्बर खड्ड में पानी के तेज बहाव में फंसे दो लोगों को चार घंटे तक चले रेस्क्यू अभियान के बाद सुरक्षित निकाला गया है। बुधवार को भारी बारिश के चलते प्रदेश में विमान सेवाएं ठप रहीं। गगल एयरपोर्ट पर तीन विमान सेवाएं रद्द हो गई हैं। बुधवार सुबह स्पाइसजेट, इंडिगो और एलाइंस एयर की फ्लाइट गगल नहीं पहुंची। शिमला के जुब्बड़हटटी और भुंतर एयरपोर्ट से भी हवाई सेवाएं नहीं हो सकीं। प्रदेश के कई क्षेत्रों में गुरुवार को भी भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी हुआ है। शुक्रवार से बारिश में कुछ राहत मिलने के आसार हैं। बुधवार को राजधानी शिमला सहित प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में दिन भर बारिश का दौर जारी रहा। वहीं, भारी बारिश के बीच बुधवार दोपहर को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू अपने सरकारी निवास ओकओवर से ही अपडेट लेते रहे। सभी उपायुक्ताें से पल-पल की खबरें लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए।
चंबा विधानसभा क्षेत्र में भी 24 को सरकारी, निजी स्कूल, वोकेशनल ट्रेनिग सेंटर, आंगनबाड़ी केंद्र बंद रहेंगे। भटियात उपमंडलाधिकारी ने अधिसूचना जारी की है। कांगड़ा जिले के ज्वालामुखी उपमंडल, इंदौरा, नगरोटा बगवां, कांगडा उपमंडल, जयसिंहपुर, धर्मशाला, बैजनाथ, शाहपुर, पालमपुर व धीरा उपमंडल में भी 24 को शिक्षण संस्थान बंद रहेंगे। इसके अलावा शिमला, हमीरपुर, मंडी, सोलन में भी शिक्षण संस्थान बंद रहेंगे। एचपीयू शिमला व सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी की 24 को प्रस्तावित परीक्षाएं भी नहीं होंगी। वहीं, मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने ब्यास नदी के तट और उसकी सहायक नदियों में स्टोन क्रशर तुरंत प्रभाव से बंद करने का आदेश दिया है। सीएम ने कहा कि बरसात की परिस्थितियों को देखते हुए कांगड़ा जिले में चक्की नदी के अलावा कुल्लू, मंडी, कांगड़ा, हमीरपुर जिलों में ब्यास और इसकी सहायक नदियों के उफान पर होने के कारण यह निर्णय लिया है। अगले आदेश तक बारहमासी और गैर-बारहमासी दोनों नालों के सभी स्टोन क्रशर के संचालन को बंद किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा कैप्टिव (जरूरी) और अस्थायी स्टोन क्रशर इस आदेश के दायरे में नहीं आएंगे। उन्होंने कहा कि पर्यावरण, विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा जलवायु परिवर्तन विभाग को इस प्रकार की विनाशकारी स्थिति उत्पन्न करने वाले कारकों की पहचान करने के लिए आईआईटी, एनआईटी, अनुसंधान एवं विकास संस्थानों और विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों से तुरंत उच्चस्तरीय विशेषज्ञ परामर्श लेने के निर्देश दिए हैं। सीएम सुक्खू ने कहा कि विभाग अवैज्ञानिक और अवैध खनन गतिविधियों के संचयी प्रभाव के मूल्यांकन के लिए एक बहुक्षेत्रीय विशेषज्ञ समिति का गठन करके एक व्यापक वैज्ञानिक अध्ययन भी करेगा। इस अध्ययन के निष्कर्ष के आधार पर दूरी से संबंधित परिसीमाएं फिर से परिभाषित की जाएंगी। इससे नदियों के पास पर्यावरण को संरक्षित करने और राज्य में अन्य ऐसी किसी भी मानवजनित आपदा से बचने के लिए ऐसे कार्यों का विनियमन और प्रबंधन सुनिश्चित हो सके। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि दस दिन के भीतर प्रदेश दूसरी बार आपदा की चपेट में है। सरकार से निवेदन हैं कि किसी भी प्रकार के खतरे के दायरे में आने वाले घरों को तुरंत ख़ाली करवा कर लोगों को सुरक्षित जगहों पर भेजा जाए। खतरा बने पेड़ों को जल्दी से जल्दी काटा जाए। इससे पेड़ों के गिरने होने वाले नुकसान से बचा जा सके। नेता प्रतिपक्ष ने मांग की कि आपदा राहत शिविरों में सभी प्रकार की व्यवस्था की जाए जिससे वहां रहने वाले लोगों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। उन्होंने लोगों से निवेदन किया कि किसी प्रकार से खतरे की जद में आने वाले घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं, जिससे किसी अनहोनी की आशंका से बचा जा सके।