रेलवे ने जारी किया 58 वन्दे भारत ट्रेनों का टेंडर, चलेंगी 102 वन्दे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें
नई दिल्ली: रेलवे ने 58 वन्दे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को बनाने के लिए एक नया टेंडर जारी किया है. ये ट्रेनें प्राईवेट कम्पनी टेंडर पाने के बाद अपने निवेश से बनवाएंगी लेकिन इसका निर्माण रेलवे की ही तीनों कोच फैक्टरियों रायबरेली, कपूरथला और आईसीएफ़ चेन्नई में होगा.
44 वन्दे भारत ट्रेन सेट का टेंडर पहले ही दिया जा चुका है
44 बंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें बनाने का टेंडर पहले ही दिया जा चुका है. 2,211 करोड़ रूपए का यह टेंडर मेधा सर्वो ड्राइवज़ नाम की कंपनी को मिला था. इन 44 ट्रेनों में से प्रत्येक ट्रेन सेट में कुल 16 डिब्बे होंगे. यानी इस टेंडर के अंतर्गत सभी ट्रेनों को मिलाकर कुल 704 डिब्बे बनने हैं.
अगस्त 23 तक तैयार हो जाएंगे 75 वन्दे भारत ट्रेन सेट
रेल मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक 75 ट्रेनों का उत्पादन 15 अगस्त 2023 तक कर लिया जाएगा. मार्च 2024 तक 102 वंदे भारत एक्सप्रेस भारत के कोने कोने को जोड़ने के लिए भारतीय रेलवे के ट्रैक पर उतार दी जाएंगी
प्रधानमंत्री मोदी ने रेलवे को दे रखा है निर्देश
प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले से 15 अगस्त 2021 को 75 नई वंदे भारत एक्सप्रेस 15 अगस्त 2023 तक चलाने का ऐलान किया था. रेलवे के लिए ये चुनौती है कि वो जल्द नए टेंडर फ़ाइनल करके इस डेडलाइन तक 75 वन्दे भारत एक्सप्रेस ट्रेन सेट पटरी पर ला दे. चूंकि आठ महीने पहले भी 44 वन्दे भारत एक्सप्रेस ट्रेन सेटों का टेंडर दिया जा चुका है इसलिए रेलवे का दावा है कि वो समय से सभी 75 ट्रेनों को चला देगी.
रेलवे का टार्गेट - 2024 तक चलेंगी 102 वन्दे भारत ट्रेनें
रेलवे ने 2024 तक 102 वन्दे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को पटरी पर उतारने का टारगेट निर्धारित किया है. इस टार्गेट को पूरा करने के लिए सभी 102 ट्रेनों के लिए टेंडरिंग का काम शुरू हो चुका है. इनमें से 44 ट्रेनों का टेंडर जनवरी में ही दिया जा चुका है.
टेंडर पाने वाली प्राइवेट कम्पनी मेधा सर्वो ड्राइवज़ रेलवे की तीनों कोच फैक्टरियों के साथ मिलकर इन ट्रेन सेटों के निर्माण कर रही है. बची हुई सभी 58 ट्रेनों का टेंडर खुलने के साथ ही रेलवे को उम्मीद है कि जल्द से जल्द टेंडरिंग की ये प्रक्रिया भी पूरी कर ली जाएगी ताकि नया प्राईवेट पार्टनर जल्द काम शुरू कर सके.
हालांकि इन 58 नई ट्रेनों के लिए मेधा सर्वो भी टेंडर डालेगा लेकिन रेलवे को उम्मीद है कि इस बार पहले से ज़्यादा प्राईवेट कम्पनियां इस टेंडर में दिलचस्पी दिखाएंगी.