राहुल गांधी फिर बनेंगे कांग्रेस अध्यक्ष? पार्टी की मीटिंग में कही ये बड़ी बात
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ शनिवार को बैठक की. सोनिया गांधी के आवास 10 जनपथ पर हुई मीटिंग में पार्टी के 20 नेता शामिल हुए. सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं ने कहा कि राहुल गांधी को पार्टी की कमान संभालनी चाहिए. इस पर राहुल गांधी ने कहा कि पार्टी जो भूमिका तय करेगी, उसे निभाऊंगा. उन्होंने कहा कि चुनाव तय करेंगे कि नेता कौन होगा.
कांग्रेस की ये अहम बैठक करीब 5 घंटे चली. इसमें पार्टी को मजबूत बनाने के मसले पर चर्चा हुई. कांग्रेस नेता पवन बंसल ने कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर नेताओं के बीच कोई असंतोष नहीं है. बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि हम एक बड़ा परिवार हैं. पार्टी को मजबूत करने के लिए हमें साथ काम करने की जरूरत है. सोनिया गांधी ने कहा कि हम जल्द चिंतन शिविर करेंगे, जिसमें बीजेपी से लड़ने के लिए रणनीति बनाई जाएगी.
10 जनपथ पर हुई मीटिंग के लिए कांग्रेस के सीनियर नेता पहुंचे. इनमें पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पृथ्वीराज चव्हाण, पी चिदंबरम, भूपिंदर सिंह हुड्डा, अंबिका सोनी, मनीष तिवारी, गुलाम नबी आज़ाद, आनंद शर्मा, कमलनाथ आदि शामिल हुए.
कांग्रेस के अंदरूनी कलह पर लगाम लगाने और पार्टी के नए अध्यक्ष के चुनाव की चुनौतियों का रास्ता निकालने के लिए सोनिया गांधी ने यह बैठक बुलाई थी. सोनिया गांधी ने इस बैठक में पार्टी के उन नाराज नेताओं से भी मुलाकात की जिन्होंने चार महीने पहले कांग्रेस अध्यक्ष को चिट्टी लिखकर पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाए थे. इस पत्र के बाद कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की बैठक में भी सियासी घमासान मचा था.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने बताया कि पार्टी के 20 नेताओं ने करीब करीब 5 घंटे तक बैठक की. पार्टी की मजबूती के लिए सभी नेताओं ने अपनी बात रखी. आगे और भी बैठकें होंगी. पचमढ़ी और शिमला जैसा चिंतन शिविर भी होगा. जिन नेताओं ने भी पार्टी को मजबूत बनाने को लेकर बात कही उन सभी सुझावों पर गौर किया जाएगा. अच्छे वातावरण में बातचीत हुई. कांग्रेस अध्यक्षा ने मीटिंग को संबोधित किया.
वहीं कांग्रेस नेता हरीश रावत ने बताया कि सौहार्दपूर्ण वातावरण में बातचीत हुई. हमने संगठनात्मक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए फिर से मिलने का फैसला किया है. हम किसानों के साथ कृषि कानूनों के खिलाफ उनकी लड़ाई में उनके साथ हैं.