राहुल गांधी बोले- किस बात की माफी? संसद में जनता की बात उठाने की? बिलकुल नहीं!...उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू बोले रद्द नहीं होगा सांसदों का निलंबन
नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन सांसदों के निलंबन को लेकर जमकर हंगामा हुआ. विपक्षी सांसदों ने 12 सांसदों के निलंबन को गैरकानूनी बताते हुए लोकसभा और राज्यसभा से वॉकआउट कर दिया. इसके बाद विपक्षी नेताओं ने राज्यसभा अध्यक्ष वेंकैया नायडू के साथ मुलाकात कर निलंबन वापस लेने की अपील की. इस दौरान उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने साफ कर दिया कि बिना माफी के निलंबन वापस नहीं होगा.
दरअसल, 11 अगस्त को राज्यसभा में हंगामा हुआ था. इसे लेकर शीतकालीन सत्र में 12 सांसदों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है. यानी ये सांसद सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं हो सकेंगे. इस मुद्दे पर सदन में जमकर हंगामा हुआ. विपक्षी सांसदों ने वॉकआउट के बाद सदन में गांधी प्रतिमा के बाद विरोध प्रदर्शन किया.
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में 8 विपक्षी पार्टियों के नेता वेंकैया नायडू से मिले और सांसदों के निलंबन को वापस लेने की अपील की. हालांकि, वेंकैया नायडू ने साफ कर दिया कि बिना माफी के यह संभव नहीं है.
उधर, मल्लिकार्जुन खड़गे ने बताया कि जिन 12 सदस्यों को निलंबित किया गया उन्हें वापस लेने के लिए आज हम अध्यक्ष महोदय से मिले और उनसे अपील की. पिछले सत्र में जो घटना हुई थी, उसे उठाकर फिर से सदस्यों को निलंबित करना गैरकानूनी है और नियमों के खिलाफ है. सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा, पूरा विपक्ष एकजुट है. सभी सांसदों का निलंबन वापस होना चाहिए. ये लोकतंत्र की हत्या है. हम मजबूती से सदन में अपना पक्ष रखेंगे.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने साफ कर दिया कि कांग्रेस के निलंबित सांसद माफी नहीं मांगेंगे. राहुल ने ट्वीट किया, किस बात की माफी? संसद में जनता की बात उठाने की? बिलकुल नहीं!
ये सांसद हुए निलंबित
एलामरम करीम (सीपीएम), छाया वर्मा (कांग्रेस), रिपुन बोरा (कांग्रेस), बिनय विश्वम (सीपीआई), राजामणि पटेल (कांग्रेस), डोला सेन (टीएमसी), शांता छेत्री (टीएमसी), सैयद नासिर हुसैन (कांग्रेस), प्रियंका चतुर्वेदी (शिवसेना), अनिल देसाई (शिवसेना), अखिलेश प्रसाद सिंह (कांग्रेस) को निलंबित किया गया है.
क्यों निलंबित हुए सांसद?
11 अगस्त को बीमा बिल पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ था. संसद के अंदर खींचातानी भी होने लगी थी. आलम ये हो गया था कि मामले को शांत कराने के लिए मार्शलों को बुलाना पड़ गया था. उस दिन हुए हंगामे पर राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा था कि 'जो कुछ सदन में हुआ है, उसने लोकतंत्र के मंदिर को अपवित्र किया है.'