दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के लिए पंजाब जिम्मेदार: यूपी के पर्यावरण मंत्री अरुण कुमार
नोएडा (आईएएनएस)| दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है और एयर क्वालिटी इंडेक्स अब सबसे खतरनाक निशान पर पहुंच चुका है। इसके चलते लोगों को घर से बाहर निकलते ही सांस लेने में दिक्कत हो रही है। आंखों में जलन के साथ कई और दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार भी अब ग्रेप के 4 चरण के नियमों को लागू कर चुकी है। जिसके चलते किसी भी तरीके का कोई भी कंस्ट्रक्शन नहीं किया जा सकता। डीजल गाड़ियों पर बैन लगाया जा रहा है और खुले में कूड़ा नहीं जलाया जा सकता है। इसके साथ तमाम तरीके के और नियमों को सख्त किया जा रहा है। ताकि इस बढ़ते प्रदूषण से लोगों को बचाया जा सके।
प्रदूषण से जुड़े तमाम मुद्दों पर उत्तर प्रदेश सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ अरुण कुमार से आईएएनस ने खास बातचीत की जिसमें उनसे बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम पर्यावरण को स्वच्छ रखने के तरीके समेत कई और सवाल पूछे।
सवाल - आप खुद एक एमबीबीएस डॉक्टर हैं। कितना खतरनाक मानते हैं आप इस बढ़ते प्रदूषण को आम जनता के लिए?
जवाब - यह बढ़ता हुआ प्रदूषण बच्चों और बुजुर्गों के लिए काफी ज्यादा हानिकारक है। प्रदूषण से सांस लेने, त्वचा संबंधी कई बीमारियां हो सकती हैं। इसके साथ साथ शरीर के अंदरूनी भाग को भी यह काफी ज्यादा नुकसान पहुंचाता है।
सवाल - बढ़ते प्रदूषण के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार किसे मानते हैं?
जवाब - दिल्ली एनसीआर में खासतौर पर बढ़ते हुए प्रदूषण के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार पंजाब को मानते हैं। क्योंकि पंजाब में लगातार पराली जलाई जा रही है। वहां पर प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। पंजाब की तरफ से आने वाली हवा दिल्ली, नोएडा समेत पूरे एनसीआर को दूषित कर रही है। और पंजाब सरकार इस पर कोई भी रोक नहीं लगा रही है। उल्टा अरविंद केजरीवाल ही कहते हैं कि यूपी सरकार प्रदूषण फैलाती है जबकि सबसे ज्यादा प्रदूषण पंजाब से हो रहा है। पंजाब में आप सरकार ने पराली जलाने पर रोक नहीं लगाई है। प्रदूषण का कारण पंजाब की पराली सबसे ज्यादा है। पिछले साल से भी ज्यादा इस बार पराली जलाई गई है। पंजाब की हवा दिल्ली आती है और फिर यूपी के निकटवर्ती इलाकों में खास तौर पर पश्चिमी यूपी में प्रदूषण फैलता है।
सवाल - क्या यूपी में भी ऑड-इवन लागू किया जा सकता है?
जवाब - ऑड-इवन एकदम बेकार योजना है। ऐसा कोई भी डाटा नहीं मिला है जो यह बताए कि यह योजना सफल रही है। इसीलिए इसे यूपी में लागू करने की कोई भी योजना नहीं बनाई गई है। दिल्ली सरकार इसे लागू करके क्या हासिल करती है। वह जनता के सामने बताए। पोलूशन में और बढ़ते एयर क्वालिटी इंडेक्स में कोई भी गिरावट दर्ज नहीं की जाती है। जब तक ऑड इवन योजना लागू रहती है।
सवाल - उत्तर प्रदेश सरकार नोएडा गाजियाबाद और आसपास के इलाकों में बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के लिए क्या काम कर रही है?
जवाब - प्रदूषण को लेकर समीक्षा बैठक की गई है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आदेशों का पालन करवाया जा रहा है। 19 स्वीपिंग मशीन लगाई जा रही हैं। लगातार पानी का छिड़काव करवाया जा रहा है। सड़कों के किनारे जहां पर धूल मिट्टी है, वहां पर अब घास और टाइल्स लगवाने की योजना अमल में लाई जाएगी। 80 एंटी स्मोक गन दी जा रही हैं। जिनसे जगह-जगह पर पानी की बौछार की जाएगी। सड़क को गड्ढा मुक्त बनाने का अभियान चलाया जा रहा है। नोएडा गाजियाबाद में कचरा प्रबंधन चल रहा है। 60 ऐसी परियोजनाएं थीं, जिन पर काम चल रहा था और वह नियमों का उल्लंघन कर रही थी उन्हें बंद करा दिया गया है। निर्माण स्थल पर ग्रेप 4 के नियम लागू कर दिए गए हैं। बच्चों के स्वास्थ्य को देखते हुए स्कूल को बंद करा दिया गया है।
सवाल - पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रदूषण का असर सबसे ज्यादा रहता है इसके लिए खास तौर पर क्या उपाय किए जा रहे हैं?
जवाब - पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए कोयला लकड़ी जलाने पर पूरी तरीके से लोग रोक लगा दी गई है। वायु प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों की निगरानी की जा रही है। ज्यादा से ज्यादा बिजली सप्लाई की जा रही है ताकि जनरेटर ना चले और प्रदूषण न फैले। वाहन प्रदूषण रोकने के लिए 15 साल और 10 साल का पंजीकरण रद्द किया जा रहा है। खुले में कूड़ा जलाने पर पूरी तरीके से प्रतिबंध है और जुर्माना लगाया जा रहा है।