चंडीगढ़: पंजाब में आम आदमी पार्टी ने भारी बहुमत से सरकार बनाई थी. सत्ता में काबिज होने के बाद भगवंत मान सरकार ने बड़ा फैसला लिया था. ये फैसला था 'वन MLA-वन पेंशन' का. इसमें कहा गया था कि अब एक MLA को एक ही टर्म की पेंशन मिलेगी, इससे सालाना लगभग 19 करोड़ रुपए की बचत होगी. लिहाजा भगवंत मान सरकार ने पूर्व विधायकों को एक पेंशन देने वाले ऑर्डिनेंस की फाइल पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित के पास भेजी. लेकिन राज्यपाल ने इस फाइल पर साइन करने से इनकार कर दिया है.
पंजाब गवर्नर ऑफिस से मिली जानकारी के मुताबिक फाइल में एक नोट लगाकर कहा गया है कि पंजाब में अगले महीने यानी जून में मानसून सत्र होना है, इसलिए सरकार को इसमें आर्डिनेंस लाने की कोई जरूरत नहीं है. वहीं आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता मालविंदर कंग ने कहा कि यह ऑर्डिनेंस रिजेक्ट नहीं हुआ है. इसकी मियाद 6 महीने होती है. इसलिए राज्यपाल ने इसका बिल पास कर भेजने के लिए कहा है, जो सरकार अगले सेशन में इसे राज्यपाल को भेज देगी.
प्रकाश सिंह बादल 5 बार पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उन्हें सबसे ज्यादा करीब पौने 6 लाख की पेंशन मिलनी थी, हालांकि उन्होंने इस आर्डिनेंस से कुछ दिन पहले ही पेंशन लेने से इनकार कर दिया. उनके अलावा 6 बार विधायक रहीं पूर्व CM राजिंदर कौर भट्ठल, लाल सिंह, पूर्व मंत्री सरवण सिंह फिल्लौर को 3.25 लाख, 5 बार विधायक रहे बलविंदर सिंह भूंदड़ और सुखदेव ढींढसा को सवा 2 लाख रुपए पेंशन मिलती है.
पंजाब में सत्ता में काबिज होने के बाद सीएम भगवंत मान ने 'वन MLA-वन पेंशन' का फैसला लिया था. इसके तहत कहा गया था कि अब एक MLA को एक ही टर्म की पेंशन मिलेगी. इसमें ये मुद्दा नहीं होगा कि कोई व्यक्ति कितनी बार MLA बना है. इससे सालाना 19.53 करोड़ की बचत का दावा किया था. अभी तक MLA को हर टर्म के लिए पेंशन मिलती थी.
आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनाव के दौरान पंजाब में पूर्व विधायकों को एक पेंशन देने का वादा किया था. भगवंत मान सरकार कैबिनेट में एक प्रस्ताव को लेकर आई थी. कैबिनेट ने 2 मई को एक बिल पास किया था. इसके तहत पंजाब स्टेट लेजिस्लेटर मेंबर्स (पेंशन एंड मेडिकल फैसेलिटीज) एक्ट 1977 में संशोधन किया गया था.