विरोध किया, CAA को लेकर अब आई ये खबर

Update: 2022-08-17 08:11 GMT

न्यूज़ क्रेडिट: हिंदुस्तान

गुवाहाटी: विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ बुधवार को पूरे पूर्वोत्तर में 20 महीने के लंबे अंतराल के विरोध प्रदर्शन हुआ। इसमें कई छात्र संगठनों ने इस कानून को लागू करने का विरोध किया है। सीएए के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले बांग्लादेश, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदुओं, बौद्धों, सिखों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को नागरिकता देने का प्रावधान है। पूर्वोत्तर के कई समूहों को ऐसा लगता है कि उनके राज्यों में इससे अवैध प्रवासियों की संख्या बढ़ जाएगी।

इस कानून के खिलाफ वर्ष 2019 के दिसंबर महीने में विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया था। पुलिस फायरिंग में पांच लोगों की मौत हो गई थी।
असम और इस क्षेत्र के अन्य राज्यों में कई समूहों को लगता है कि सीएए के कारण बांग्लादेश से अवैध प्रवासी उनके राज्यों में आ जाएंगे। उन्हें उनके आने से अपने नुकसान का भी डर है। दिसंबर 2020 में 18 संगठनों द्वारा नए सिरे से इस कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया था। हालांकि, इसके बाद यह शांत हो गया था।
उत्तर पूर्व छात्र संघ (एनईएसओ) के अध्यक्ष सैमुअल जिरवा ने कहा, "हम अपने उस रुख पर अडिग हैं कि सीएए असम और क्षेत्र के अन्य राज्यों के हितों के खिलाफ है। हमारे पहले के विरोधों के बावजूद केंद्र सरकार ने आगे बढ़कर यह कानून बनाया है।" उन्होंने आगे कहा, "बुधवार को हम सीएए और असम, मेघालय और त्रिपुरा में इनर-लाइन परमिट शासन की घोषणा जैसे अन्य मुद्दों के खिलाफ क्षेत्र के सभी राज्यों की राजधानियों में अहिंसक धरना प्रदर्शन आयोजित करेंगे।'' उनका दावा है कि इन राज्यों ने सीएए का सबसे अधिक खामियाजा उठाया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस महीने की शुरुआत में पश्चिम बंगाल के एक भाजपा प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत की थी। इसमें उन्होंने कहा था कि COVID-19 टीकाकरण का चरण समाप्त होने के बाद सीएए को लागू किया जाएगा। उन्होंने इस साल मई में भी ऐसा ही बयान दिया था।
असम भाजपा प्रमुख भाबेश कलिता ने कहा, "भारत एक लोकतांत्रिक देश है और सभी को विरोध करने का अधिकार है। यह देखना होगा कि ताजा विरोध प्रदर्शनों पर लोग क्या प्रतिक्रिया देते हैं। मुझे उम्मीद है कि जनता भावनाओं से प्रभावित नहीं होगी। साथ विघटनकारी और हिंसक कृत्यों में शामिल नहीं होगी।"
असम में पुलिस ने छात्र संगठनों से विरोध प्रदर्शन से दूर रहने की अपील की है। विशेष डीजीपी (कानून व्यवस्था) जीपी सिंह ने मंगलवार को कहा, "हम विरोध से निपटने के लिए तैयार हैं। राज्य में विकास का माहौल देखने को मिल रहा है। हमें इसे विरोध प्रदर्शन से बाधित नहीं करना चाहिए। हमने 2019 के विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुए नुकसान को देखा है। मैं लोगों से हिंसक विरोध प्रदर्शन से बचने की अपील करता हूं।"

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