पानी की आपूर्ति नहीं होने पर विरोध प्रदर्शन, 7 साल बाद 5 महिलाओं को कोर्ट ने किया बरी

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Update: 2022-04-24 02:19 GMT

मुंबई: पानी की आपूर्ति नहीं होने पर विरोध प्रदर्शन करने वाली चेंबूर की 5 महिलाओं को मुंबई की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने सात साल बाद बरी कर दिया है. महिलाओं पर अपने पड़ोस में पानी की आपूर्ति की कमी के विरोध में ईस्टर्न एक्सप्रेस फ्रीवे पर अवैध रूप से इकट्ठा होने का आरोप लगाया गया था.

कुर्ला कोर्ट के मजिस्ट्रेट आरएस पाजानकर ने महिलाओं को बरी करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक देश में शांतिपूर्ण आंदोलन करना नागरिक का मौलिक अधिकार है. महिलाएं आंदोलन कर रही थीं क्योंकि उनके क्षेत्र में कुछ दिनों से पानी की आपूर्ति नहीं हो रही थी. पुलिस ने उन्हें समझा-बुझाकर घर भेजा, इसलिए पुलिस के पास उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और बाद में उन्हें गिरफ्तार करने का कोई कारण नहीं था.
2015 में मुंबई के ईस्टर्न फ्रीवे पर इकट्ठा हुईं थी महिलाएं
बता दें कि महिलाएं कथित तौर पर 2015 में मुंबई के ईस्टर्न फ्रीवे पर इकट्ठा हुई थीं. उन्हें यातायात में बाधा डालने के आरोप में हिरासत में लिया गया था. 5 महिलाओं में से 2 बुजुर्ग थीं. इन सभी को भारतीय दंड संहिता के तहत गैरकानूनी रूप से इकट्ठा होने के आरोप में 2015 में पुलिस ने हिरासत में लिया था. एफआईआर भी खुद एक पुलिसकर्मी ने दर्ज कराई थी.
जांच अधिकारी के सबूतों की नहीं हुई पुष्टि
अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में 10 गवाह पेश किए थे. अभियोजन पक्ष के साक्ष्यों की समीक्षा करने के बाद अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि जांच अधिकारी के साक्ष्य की पुष्टि नहीं हुई थी. मौके पर मौजूद अधिकारी ने दो गवाहों का उल्लेख किया, लेकिन उन्होंने दावा किया कि जब घटना हुई तब वे वहां नहीं थे.
कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रथम सूचना रिपोर्ट दाखिल करने में देरी हुई और रिपोर्ट में इसका कारण नहीं बताया गया. कोर्ट ने यह भी सवाल किया कि घटना के दिन केवल एक महिला को ही क्यों गिरफ्तार किया गया, अगर कथित तौर पर 35 से 40 महिलाएं इकट्ठी थीं.
मजिस्ट्रेट ने कहा, "यह अजीब है कि घटना के समय 35 से 40 महिलाएं मौके पर मौजूद थीं और पुलिस ने उस दिन केवल एक आरोपी को गिरफ्तार किया और अन्य महिलाओं को गिरफ्तार नहीं किया."
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