नई दिल्ली: कश्मीर में राहुल भट्ट की हत्या के बाद एक बार फिर से कश्मीरी पंडित डरे हुए हैं. आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़ने को कहा है. बीजेपी का भी कहना है कि घाटी में आतंकियों की ओर से लगातार हो रही हिंदुओं की हत्याओं के बाद कश्मीरी पंडितों में 'असुरक्षा' की भावना बढ़ गई है. जम्मू-कश्मीर बीजेपी के अध्यक्ष रविंद्र रैना ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात के बाद कहा कि अगर कश्मीरी पंडित कर्मचारी घाटी छोड़ते हैं तो ये 'भयावह कदम' होगा.
12 मई को जम्मू-कश्मीर के बड़गाम में एक तहसील दफ्तर के अंदर घुसकर आतंकियों ने राजस्व अधिकारी राहुल भट्ट की हत्या कर दी थी. राहुल भट्ट की हत्या के बाद कश्मीरी पंडितों ने अपनी सुरक्षा को लेकर प्रदर्शन किया. इन प्रदर्शनों के दौरान सरकार विरोधी नारे भी लगे. इन प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े गए. बीजेपी ने प्रदर्शन कर रहे कश्मीरी पंडितों पर बल प्रयोग करने की आलोचना की है.
राहुल भट्ट की हत्या के बाद कश्मीरी पंडित कर्मचारी दूसरी जगह ट्रांसफर करने की मांग कर रहे हैं. इसी बीच उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने ऐलान किया है कि सभी कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को जिला और तहसील हेडक्वार्टर में तैनात किया जाएगा.
इसी बीच आतंकी संगठन लश्कर-ए-इस्लाम ने कश्मीरी पंडितों को खुलेआम धमकी दी है. लश्कर-ए-इस्लाम ने धमकाते हुए कहा है कि कश्मीरी पंडित या तो घाटी छोड़ दें या फिर मरने के लिए तैयार रहें. आतंकी संगठन ने पोस्टर में लिखा, 'सभी प्रवासी और आरएसएस के एजेंट घाटी छोड़ दो या मरने के लिए तैयार रहो. ऐसे कश्मीरी पंडित जो कश्मीर में एक और इजरायल चाहते हैं और कश्मीरी मुस्लिमों को मारना चाहते हैं, उनके लिए यहां कोई जगह नहीं है. अपनी सुरक्षा दोहरी या तिहरी कर लो, टारगेट किलिंग के लिए तैयार रहो. तुम मरोगे.'
जम्मू-कश्मीर बीजेपी अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा कि कश्मीरी पंडित, हिंदू और सिख जैसे सभी अल्पसंख्यक यहां कश्मीरियों की सेवा कर रहे हैं, वो और किसी काम में शामिल नहीं हैं. न उनके पास हथियार हैं. उनको मारकर, आतंकी 1990 जैसी दहशत और खौफ पैदा करना चाहते हैं. उन्हें कामयाब न होने दें. हालांकि, रैना ने ये भी कहा कि 1990 की गलती दोबारा नहीं होगी.
1990 के दशक में आतंकियों के डर से कश्मीरी पंडितों ने घाटी छोड़ दी थी. कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए सरकार ने 2008 में पैकेज का ऐलान किया था, जिसके तहत कश्मीरी पंडितों को घाटी में सरकारी नौकरी दी जा रही थी. इसी रोजगार पैकेज के तहत 2010-11 में राहुल भट्ट को नौकरी मिली थी. उनकी अब आतंकियों ने हत्या कर दी.
राहुल भट्ट की हत्या के बाद कश्मीर पंडित कर्मचारी डरे हुए हैं. वो अपनी सुरक्षा की मांग कर रहे हैं. इसी बीच घाटी में काम कर रहे कश्मीर पंडित कर्मचारियों को सुरक्षित जगह पर शिफ्ट करने की मांग भी उठ रही है. कश्मीरी पंडित कर्मचारी भी उन्हें कश्मीर से बाहर पोस्ट करने की मांग कर रहे हैं.
रविवार को जम्मू-कश्मीर बीजेपी अध्यक्ष रविंद्र रैना ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात की थी. इसके बाद उन्होंने बड़गाम के प्रवासी कैम्प का दौरा किया, जहां उन्होंने कश्मीरी पंडित कर्मचारियों से मुलाकात की. इस प्रवासी कैम्प में ठहरे कर्मचारी कश्मीर से बाहर ट्रांसफर करने की मांग कर रहे हैं.
रविंद्र रैना ने बताया कि ये बड़ा मुद्दा है और इसे उपराज्यपाल के सामने उठाया गया है. उन्होंने बताया कि 10 दिन के भीतर उपराज्यपाल इस कैम्प का दौरा करेंगे और इस पर फैसला लेने से पहले आपकी प्रतिक्रिया लेंगे. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की ये चिंता वास्तविक है और प्रशासन को इस पर ध्यान देने की जरूरत है.
रैना ने कहा कि उपराज्यपाल एक बड़ी घोषणा करेंगे. अगर आपको लगता है कि उपराज्यपाल की घोषणा आपके लिए फायदेमंद है, तो हम आपके साथ हैं. और अगर आप इससे खुश नहीं होते, तो भी हम आपके साथ रहेंगे.
बीजेपी ने कश्मीरी पंडितों को केंद्रीय सेवा में नियुक्त करने की वकालत भी की है. बीजेपी का कहना है कि कश्मीरी पंडितों को सुरक्षित जगहों पर तैनात किया जाना चाहिए और एलजी ऑफिस में नोडल सेल बनाई जानी चाहिए, ताकि उनके प्रमोशन, पोस्टिंग और आवास से जुड़ी समस्याओं का समाधान हो सके.
बीजेपी ने ये भी कहा कि कश्मीर में नौकरी के लिए कश्मीरी पंडित कर्मचारियों से साइन कराया जाने वाला बॉन्ड भी हटाया जाना चाहिए क्योंकि ये भेदभावपूर्ण, असंवैधानिक और मानवाधिकारों का उल्लंघन है.