प्रोफेसर को गिरफ्तारी से मिली राहत, विवादित पुस्तक पर हो रहा बवाल
जानें पूरा मामला
एमपी। इंदौर के गवर्नमेंट न्यू लॉ कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल प्रोफेसर इनामुर्रहमान की अग्रिम जमानत मंजूर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनको गिरफ्तारी से भी राहत दी है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने प्रोफेसर रहमान के खिलाफ इंदौर के भवर कुआं थाने में FIR दर्ज कराई थी.
ABVP ने उनकी किताब 'कलेक्टिव वायलेंस एंड क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम' सहित तीन किताबों को राष्ट्र विरोधी बताते हुए आंदोलन चलाया हुआ है. प्रोफेसर रहमान की ये किताबें साल 2014 में प्रकाशित हुई थी और कॉलेज के पुस्तकालय में रखी हैं. हाल ही में छात्रों ने उन्हें पढ़ा तो इसका बड़े पैमाने पर विरोध शुरू हो गया. एलएलएम के एक छात्र ने किताब को सबूत के तौर पर पेश कर इंदौर पुलिस में FIR दर्ज करा दी. FIR में कहा गया है कि किताब में लिखे गए तथ्य झूठे, फर्जी, अतार्किक और अधारहीन हैं. इन फर्जी और राष्ट्र विरोधी तथ्यों से जनता के बीच नफरत फैलने और शांति भंग होने का अंदेशा है. ये किताब हिंदू विरोधी है. देश की एकता और अखंडता के लिए भी खतरा हैं. इस विरोध प्रदर्शन के उग्र होने के बाद प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया गया था.
इस बीच मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी किताब को आरएसएस के खिलाफ जानबूझ कर नफरत फ़ैलाने का औजार बताते हुए किताब के लेखक को गिरफ्तार करने की बात कही थी. इसके बाद प्रोफेसर रहमान अग्रिम जमानत के लिए पहले इंदौर जिला अदालत गए. वहां अर्जी नामंजूर होने पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में अपील की. वहां से राहत न मिलने और निराशा ही हाथ लगने पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. यहां चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष प्रोफेसर रहमान के वकील एके जोसफ ने शीघ्र सुनवाई के लिए ये मामला मेंशन किया.
पीठ ने शुरुआती दलीलें सुनते ही उनको फौरन राहत दे दी क्योंकि दलीलों में कहा गया कि जिन किताबों को मुद्दा बनाया गया है वो तो प्रोफेसर रहमान के प्रिंसिपल नियुक्त होने से कई साल पहले लिखी और प्रकाशित हुई हैं. ये दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि अगर हाईकोर्ट ने उनको राहत नहीं दी तो हम उनको संरक्षा देंगे. पीठ ने उनको तीन हफ्ते के लिए गिरफ्तारी से संरक्षा देते हुए यह भी कहा कि उनकी याचिका पर क्रिसमस की छुट्टियों के बाद यानी जनवरी के अंतिम हफ्ते में सुनवाई होगी.