प्रोफेसर देवसमृद्धि अरोड़ा को अंटार्कटिका अभियान का हिस्सा बनने के लिए चुना गया

Update: 2022-12-19 07:36 GMT

लखनऊ: इलाहाबाद विश्वविद्यालय (एयू) की सहायक प्रोफेसर देवसमृद्धि अरोड़ा को अंटार्कटिका अभियान का हिस्सा बनने के लिए चुना गया है। वह दिसंबर 2022 से अप्रैल 2023 तक अंटार्कटिका में रहेंगी और महाद्वीप पर पाई जाने वाली चट्टानों का अध्ययन करेंगी। देवसमृद्धि अंटार्कटिका में चल रहे 42वें भारतीय वैज्ञानिक अभियान की सदस्य हैं। वह इस साल अप्रैल में एयू के नेशनल सेंटर ऑफ एक्सपेरिमेंटल मिनरलॉजी एंड पेट्रोलॉजी (एनसीईएमपी) में शामिल हुईं।

उन्होंने कहा कि यह पहल भारत के नेतृत्व वाले बहुराष्ट्रीय भूवैज्ञानिक कार्यक्रम का एक हिस्सा है। अपने प्रवास के दौरान वह अपने शोध इनसाइट्स इन द जियोलॉजिकल फ्रेमवर्क एंड टेक्टोनो-थर्मल इवोल्यूशन ऑफ द प्रिंसेस एलिजाबेथ लैंडएमरी आइस शेल्फ सेक्टर, ईस्ट अंटार्कटिका के हिस्से के रूप में क्षेत्र की पहाड़ी चट्टानों का अध्ययन करेंगी। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के तहत राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र (एनसीपीओआर) को प्रस्तुत किया गया।

यह देवसमृद्धि की अंटार्कटिका की दूसरी यात्रा होगी। अंटार्कटिका की उनकी पहली यात्रा 2015-16 में 35वें आईएसईए के दौरान हुई थी, जब वह दिल्ली विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग में पीएचडी की छात्रा थीं। उस समय उसने पूर्वी अंटार्कटिका के प्रिंसेस एलिजाबेथ लैंड (ढएछ) के तटीय क्षेत्रों में फील्ड वर्क किया था। उन्होंने कहा, सात साल बाद मैं पीईएल के अंतदेर्शीय क्षेत्रों और एमरी आइस शेल्फ (एआईएस) के नुनातक में फील्ड वर्क करने की योजना बना रही हूं। देवसमृद्धि ने कहा कि उनका इस जमे हुए महाद्वीप का दौरा पूर्वी अंटार्कटिका के पीईएल-एआईएस सेक्टर के उप-बर्फ भूविज्ञान की खोज के वैज्ञानिक उद्देश्य से प्रेरित है।

अंटार्कटिका में शोधकतार्ओं के जीवन के बारे में बात करते हुए वह कहती हैं, अंटार्कटिका में फील्ड वर्क इस मायने में विचित्र है कि हमें हेलीकॉप्टर से यात्रा करने, सुपर हवादार और बेहद ठंडे वातावरण में काम करने और सुन्न हाथों से फील्ड डायरी में एंट्री करने का मौका मिलता है। 35 सदस्यीय टीम 24 दिसम्बर को केप टाउन के लिए रवाना होगी और अंटार्कटिका की अपनी यात्रा शुरू करने से पहले केप टाउन में पांच दिनों तक क्वारंटीन में रहेगी।

Tags:    

Similar News

-->