प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने दिया पीएम मोदी के पत्र का जवाब, कही यह बात

Update: 2022-04-17 02:36 GMT

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद अब पाकिस्तान के नए वजीर-ए-आजम ने भी शांति की बात कही है। खबर है कि शरीफ ने शनिवार को पीएम मोदी के पत्र का जवाब दिया और कहा है कि वह भारत के साथ शांतिपूर्ण और सहयोगी संबंध चाहते हैं। पीएम मोदी ने ट्वीट पर बधाई देने के बाद शरीफ के नाम पत्र भी लिखा था। उस दौरान उन्होंने आतंक मुक्त क्षेत्र की बात कही थी। बीते रविवार को इमरान खान को सत्ता से बाहर करने के बाद सोमवार को शरीफ ने पीएम पद संभाला था।

इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, संडे एक्सप्रेस को पता चला है कि शनिवार को पाकिस्तान की तरफ से प्राप्त पत्र में शरीफ ने कहा कि उनका मुल्क 'क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा' के लिए प्रतिबद्ध है। खबर है कि उन्होंने पत्र में भारत के साथ 'शांतिपूर्ण और सहयोगी' संबंधों की मांग करते हुए लिखा है कि यह 'सार्थक बातचीत' से हासिल किया जा सकता है।
पीएम मोदी ने ट्वीट के जरिए शरीफ को बधाई दी थी और शांति की बात कही थी। उन्होंने ट्वीट किया, 'मियां मुहम्मद शहबाज शरीफ को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में चुने जाने पर बधाई। भारत आतंक मुक्त क्षेत्र में शांति और स्थिरता चाहता है, ताकि हम अपनी विकास चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित कर सकें और अपने लोगों की भलाई और समृद्धि को सुनिश्चित कर सकें।' इसके जवाब में शहबाज ने ट्वीट किया था, 'भारत के साथ पाकिस्तान शांतिपूर्ण और सहयोगी रिश्ते चाहता है। जम्मू और कश्मीर समेत कई मुद्दों का शांतिपूर्ण निपटारा बेहद जरूरी है। आतंक के खिलाफ पाकिस्तान के बलिदान को सभी जानते हैं। शांति सुनिश्चित करते हैं और अपने लोगों के सामाजिक-आर्थिक विकास पर ध्यान लगाते हैं।'
शरीफ के सत्ता संभालते ही नई दिल्ली की नजरें इस्लामाबाद, रावलपिंडी और लाहौर के घटनाक्रमों पर हैं। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि शासन में बदलाव 'राजनयिक शुरुआत' की पेशकश कर सकता है। अधिकारियों का मानना है कि शहबाज द्विपक्षीय वार्ता दोबारा शुरू करने के लिए तैयार हैं। कहा जा रहा है कि भारत के साथ बेहतर कारोबारी रिश्ते पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए जरूरी हैं।
फरवरी 2019 में पुलवामा हमले के बाद हुई बालाकोट एयर स्ट्राइक और उसी वर्ष अगस्त में जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त होने के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में दरार आ गई थी। दोनों देशों ने उच्चायोग कम कर दिए थे और फिलहाल, दोनों राजधानियों में पूर्णकालिक उच्चायोग नहीं हैं।

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