राष्ट्रपति चुनाव की सुगबुगाहट, भाजपा को करनी पड़ेगी मशक्कत, मौजूदा समीकरण जानिए

Update: 2022-03-16 04:27 GMT

Presidencial Election 2022: पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के बाद अब इसी साल देश के राष्ट्रपति का चुनाव होना है. बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को भरोसा है कि राष्ट्रपति के चुनाव में उनके चुने हुए व्यक्ति को ही बहुमत मिलेगा. लेकिन हाल ही में यूपी, उत्तराखंड और बाकी राज्यों के चुनाव से समीकरण थोड़ा बदल गए हैं. जिनके बाद अब बीजेपी को अपने पसंद का राष्ट्रपति चुनने के लिए बाहरी दलों का सहारा लेना पड़ सकता है.

हर बार राष्ट्रपति चुनाव में सबसे अहम भूमिका यूपी की होती है, क्योंकि यहां से चुने गए विधायकों का वोट वैल्यू सबसे ज्यादा होता है. क्योंकि यूपी जनसंख्या के लिहाज से सबसे बड़ा राज्य है, ऐसे में राज्य का वोट वैल्यू भी सबसे ज्यादा है. भले ही बीजेपी ने यूपी में एक बार फिर भारी बहुमत के साथ सरकार बनाई हो, लेकिन पार्टी को कई सीटों का नुकसान हुआ है. जिसका सीधा असर राष्ट्रपति चुनाव पर पड़ सकता है. इस बार यूपी में बीजेपी को 57 सीटों का नुकसान हुआ है. वहीं उत्तराखंड में भी 9 सीटें कम मिली हैं. इससे पहले जहां बीजेपी बहुमत के आंकड़े के काफी ज्यादा करीब थी, वहीं अब इसमें थोड़ा सा अंतर बढ़ गया है.
अब जैसा कि हमने आपको बताया था कि यूपी राष्ट्रपति चुनाव में सबसे अहम भूमिका अदा करता है, इसके क्या समीकरण हैं हम आपको बताते हैं. राष्ट्रपति चुनाव में विधानसभा के कुल 4120 सदस्य हिस्सा लेते हैं, वहीं 776 संसदीय सदस्य इस वोटिंग में शामिल होते हैं. राज्यसभा के मनोनीत सदस्यों को इस प्रक्रिया में हिस्सा लेने का अधिकार नहीं है. अब इन सभी वोटों की एक वैल्यू तय की जाती है. ये वैल्यू राज्य की आबादी पर निर्भर होती है. इस वैल्यू को निकालने के लिए राज्य की कुल जनसंख्या को 1000 से भाग देकर उसे कुल विधायकों की संख्या से गुणा किया जाता है. इसके बाद जो संख्या निकलकर सामने आती है, वो एक विधायक की वैल्यू होती है. जैसे यूपी के एक विधायक की वैल्यू 208 है, वहीं दिल्ली के एक विधायक की वोट वैल्यू 58 होती है. इसी तरह अन्य राज्यों की जनसंख्या के हिसाब से विधायकों की वोट वैल्यू होती है. यानी यूपी में जिस पार्टी के पास जितने ज्यादा विधायक होंगे, उसे राष्ट्रपति चुनाव में उतना ही फायदा होगा.
वहीं इसी तरह संसदीय सदस्यों के वोट की वैल्यू भी तय होती है. लेकिन इसका फॉर्मूला अलग है. इसके लिए कुल विधायकों की वैल्यू को सांसदों की कुल संख्या से भाग दिया जाता है. इसके हिसाब से एक सांसद की वोट वैल्यू 708 होती है. सांसदों और विधायकों की वैल्यू को मिलाकर कुल 10,98,903 वोट होते हैं. इनमें से किसी भी उम्मीदवार को जीत के लिए 50 फीसदी से ज्यादा वोटों की जरूरत होती है.
हालांकि भले ही राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी बहुमत के आंकड़े से थोड़ा का दूर होती दिख रही है, लेकिन इसके बावजूद बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए अपना उम्मीदवार चुनने में सफल हो सकता है. क्योंकि एनडीए के बाहर भी कुछ ऐसे दल हैं, जिनका बीजेपी को समर्थन मिल सकता है. फिलहाल एनडीए बहुमत से करीब 1.2% दूर है. विधानसभा चुनावों से पहले ये दूरी महज 0.5 फीसदी की थी. बताया जा रहा है कि बीजेपी आंध्र प्रदेश के सीएम जगनमोहन रेड्डी और ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक की पार्टी का समर्थन लेते हुए आसानी से बहुमत हासिल कर सकती है. वहीं बीजेपी फिलहाल ये चाह रही है कि राष्ट्रपति का चुनाव निर्विरोध तरीके से हो जाए. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल इस साल जुलाई में खत्म होगा, जिसके बाद इस पद के लिए अगले उम्मीदवार का ऐलान किया जाएगा. हालांकि फिलहाल विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति चुनाव को लेकर कुछ नहीं कहा गया है.

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