राष्ट्रपति ने झारखंड हाईकोर्ट का किया उद्घाटन, देखें LIVE VIDEO...
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झारखंड। झारखंड हाईकोर्ट के उद्घाटन सह लोकार्पण समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने न्यायपालिका और सरकार से कहा कि ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि लोगों को न्याय मिले. सही मायने में उन्हें न्याय मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि बहुत से लोग उनके पास आते हैं. फैसला उनके पक्ष में होता है. फिर भी उन्हें न्याय नहीं मिलता. ऐसे लोगों को सही मायने में कैसे न्याय मिल सकता है, सरकार और न्यायपालिका को मिलकर इसकी व्यवस्था करनी चाहिए. लोगों को न्याय मिले यह आपकी जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश, झारखंड के मुख्य न्यायाधीश के अलावा केंद्रीय कानून मंत्री, सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के जजों के साथ-साथ विद्वान वकील भी यहां मौजूद हैं. आपलोग इसका रास्ता तलाशिए. कानून बनाना पड़े, तो बनाइए, लेकिन यह सुनिश्चित होना चाहिए कि लोगों को न्याय मिले.
राष्ट्रपति ने बुधवार को राजधानी रांची के धुर्वा स्थित झारखंड हाईकोर्ट की नयी बिल्डिंग के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि बहुत से केस हाईकोर्ट में फाइनल होते हैं. बहुत से केस का फैसला सुप्रीम कोर्ट से आता है. जिनके पक्ष में फैसला आता है, वे खुश होते हैं. 5-10 या 20 साल के बाद उनकी खुशी गायब हो जाती है, क्योंकि जिसके लिए वे खुश थे, वो उनको मिलता ही नहीं. जिसके लिए समय, रुपये और रातों की नींद बर्बाद कर दी, वो खुशी उन्हें नहीं मिलती, तो वे फिर से दुखी हो जाते हैं.
राष्ट्रपति ने कहा कि मैं एक छोटे-से गांव से आयी हूं. मैं फैमिली काउंसलिंग सेंटर की सदस्य थी. कुछ केस फाइनल होने के बाद हम उनके घर जाते थे. यह देखने के लिए कि जिस केस को हमने फाइनल किया, वह परिवार ठीक है या नहीं. बहुत से लोग अपने कोर्ट से अपने पक्ष में आये फैसले लेकर मेरे पास आते थे कि फैसला तो हमारे पक्ष में आ गया, लेकिन हमें न्याय नहीं मिला. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मुझे नहीं मालूम कि सुप्रीम कोर्ट के आगे कुछ होता है. मैं यह भी नहीं जानती कि ऐसे लोगों का कुछ हो सकता है या नहीं.
राष्ट्रपति ने कहा कि चीफ जस्टिस डॉ डीवाई चंद्रचूड़ ने मुझे अभी बताया कि ऐसे मामले होते हैं. लोग कंटेम्प्ट में जा सकते हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आगे कहा कि आप सभी जज बैठे हैं, वकील बैठे हैं, कानून मंत्री यहां बैठे हैं. इसका कोई रास्ता है या नहीं, मुझे नहीं मालूम. इसका रास्ता होना चाहिए. अगर नहीं है, तो आप सबको इसका रास्ता निकालना चाहिए. लोगों को सही मायने में न्याय मिले, ये जिम्मेदारी आप सबकी है. उन्होंने कहा कि अगर नियम नहीं है, तो नियम बनाना चाहिए. उन्होंने जोर देकर कहा कि लोगों को न्याय मिलना चाहिए.
इसके पहले भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डॉ डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्याय व्यवस्था को नागरिकों तक पहुंचना होगा. हिंदी में भाषण देते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि न्यायपालिका के भवन का विस्तार होने से न्यायपालिका की प्रतिष्ठा बढ़ती है. भारतीय नागरिक अपने वादों (मुकदमों) को लेकर न्यायपालिका के द्वार में प्रवेश करते हैं, तब उनकी आस्था को कायम रखना हम सबका उत्तरदायित्व है. सर्वोच्च न्यायालय के 7 साल के निजी अनुभव में मुझे न्याय और अन्याय की छवि का एहसास हुआ है. सजा होने के पहले हजारों नागरिक छोटे अपराध के लिए कारागृहों में बंद रहते हैं. अक्सर महीनों या सालों तक. न उनके पास साधन है, न साक्षरता. अगर न्यायपालिका से शीघ्र उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, तो उनका भरोसा कैसे कायम होगा.