चुनाव के बाद हुई हिंसा मामला: कलकत्ता हाई कोर्ट ने सीएम ममता सरकार की याचिका की खारिज
पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा मामले में ममता बनर्जी की सरकार को कलकत्ता हाईकोर्ट में लगा झटका.
पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा मामले में ममता बनर्जी की सरकार को कलकत्ता हाईकोर्ट में लगा झटका. कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार के चुनाव के बाद की हिंसा पर न्यायालय में पुनर्विचार याचिका को किया खारिज. इसके साथ ही कलकत्ता हाईकोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) को राज्य का दौरा करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश को बहाल रखा है.
हाई कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के पास 541 शिकायत दर्ज हुई है, जबकि राज्य मानवाधिकार आयोग के पास एक भी शिकायत दर्ज नहीं हुई है. चुनाव के बाद भी हिंसा होना चिंता जनक हैं. इस पर बीजेपी एडवोकेट प्रियंका टिबरेवाल ने बताया, ''आज कलकत्ता हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुए जिसमे राज्य सरकार ने रिकॉल के लिए आवेदन किया था की राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जो हैं उनको रोकने के लिए वो आवेदन कलकत्ता हाई कोर्ट ने ख़ारिज कर दी हैं की रिकॉल और परिवर्तन की कोई गुंजाईश नहीं हैं.''
उन्होंने बताया, ''यह जो आर्डर हैं वो किसी भी तरह से नहीं उनको कोई हानि पहुंचता है और नहीं पर्याप्त चोट हैं और दूसरी जो सबसे अहम बात कलकत्ता हाई कोर्ट ने निरीक्षण करी वो यह हैं की इतनी सारी शिकायत जो राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के पास गई, पश्चिम बंगाल सेवा प्राधिकरण के पास गयी मगर पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के तरफ से एक भी शिकायत नहीं आई उन्होंने एक बार भी यह नहीं कहा कोई भी तरह की शिकायत दर्ज की गयी हैं. इसको देखते हुए उन्होंने कहा की यह किसी तरह पक्षपात नहीं करता हैं इसलिए रिकॉल और संशोधन आवेदन दोनों ही ख़ारिज कर दिया गया.'' वहीं टीएमसी के राज्यसभा सांसद, शांतनु सेन ने कहा की जब हिंसा की घटनायें सामने आ रही थी तब कानून व्यवस्था चुनाव आयोग के हाथ में थी.
उन्होंने कहा, ''चुनाव के बाद हिंसा का जो मुद्दा यह लोग उठा रहे हैं वो जब घटना घटी थी तब यह कानून व्यवस्था चुनाव आयोग के हाथ में थी. जबसे ममता बनर्जी ने 5 मई को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली उसके बाद से हाई कोर्ट ने ही सराहना की थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि जबसे मुख्यमंत्री ने जिम्मा लिया तबसे उन्होंने हिंसा को रोकने के लिए जो जो किया वो सराहनीय है. बीजेपी की ओर से फर्जी खबर सिर्फ लोगो को भड़काने के लिए हैं. अभी अगर पूरे देश में देखे तो बंगाल सबसे अच्छी जगह है. यहां पर कानून एवं व्यवस्था का स्थिति बहुत अच्छा हैं.''
चुनाव के बाद हिंसा को लेकर 18 जून को पांच सदस्यीय बेंच ने कहा था कि पहले तो राज्य सरकार लगे आरोपों को मान ही नहीं रही, लेकिन हमारे पास कई घटनाओं की जानकारी और सबूत हैं. इस तरह के आरोपों को लेकर राज्य सरकार चुप नहीं रह सकती. अदालत ने हिंसा की जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक समिति गठित करने का निर्देश दिया था. साथ ही राज्य सरकार को उस समिति का सहयोग करने को कहा था. दूसरी ओर, बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रीतेश तिवारी ने चुनाव के बाद हिंसा को लेकर राज्य सरकार की आलोचना की है.