ऑक्सिजन जेनरेटर मशीन: जिसको इस्तेमाल करती है अमेरिकी सेना, वही आएंगे भारत, जाने इनके बारे में...

Update: 2021-04-27 06:02 GMT

कोविड-19 महामारी पर नियंत्रण पाने के लिए भारत ने दोस्तों और सहयोगियों से बात की तो अमेरिका ने हाथ बढ़ा दिया। वहां के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जैक सुलिवान ने एक मीटिंग बुलाई जिसमें गृह और रक्षा के साथ-साथ कई मंत्रालयों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। मीटिंग में भारत में ऑक्सिजन की कमी पर गंभीर चर्चा हुई और इसकी आपूर्ति का रास्ता निकालने पर विचार हुआ। अमेरिकी सेना जिन पोर्टेबल ऑक्सिजन जेनरेटर का इस्तेमाल करती है, उसे भारत को विमान से तुरंत पहुंचाने की संभावना तलाशी गई। आइए जानते हैं क्या है या ऑक्सिजन जेनरेटर और कैसे करता है काम...

​पोर्टेबल ऑक्सिजन जेनरेटर क्यों रखता है अमेरिका?
अमेरिका विभिन्न देशों में सैन्य अभियान चलाता रहता है। इसलिए, उसकी सेना को कहीं भी, कुछ वक्त में बुनियादी ढांचा खड़ा करके जरूरी सुविधाएं जुटाने की दरकार पड़ती रहती है। वह अपने सैनिकों के लिए झटपट फील्ड हॉस्पिटल तैयार करने में माहिर है। इन अस्पतालों में आईसीयू बेड भी तैयार किए जाते हैं। अमेरिकी सेना ने इन साधनों में बड़ा निवेश किया है। उसने ऑक्सिजन जेनरेटर पर भी खूब पैसे खर्च किए। दरअसल, अग्रिम मोर्चों पर तैनात सैनिकों के लिए इसकी बहुत जरूरत पड़ती है जो अस्पतालों एवं स्वास्थ्य केंद्रों से बहुत दूर-दराज के इलाकों में तैनात रहते हैं। उनके लिए यह ऑक्सिजन जेनरेटर आसानी से ढोने योग्य होता है। अमेरिकी सेना भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान में भी इसका इस्तेमाल करती है।
​पोर्टेबल ऑक्सिजन जेनरेटर के दो प्रकार
अमेरिकी सेना अग्रिम मोर्चों पर तैनात अपने सैनिकों के लिए दो तरह के ऑक्सिजन जेनरेटरों का उपयोग करती है। बड़ा ऑक्सिजन जेनरेटर एक्सपेडीशनरी डिप्लॉयेबल ऑक्सिजन कंसंट्रेशन सिस्टम (EDOCS) 120बी कहा जाता है। इसे सिर्फ बिजली की जरूरत पड़ती है और यह एक साथ 40 मरीजों को पर्याप्त ऑक्सजिन की आपूर्ती कर सकता है। यानी, 200 बेड के एक अस्पताल को ऑक्सिजन आपूर्ति के लिए सिर्फ पांच ईडीओसीएस 120बी पर्याप्त हैं।
​हवा से ऑक्सिजन निकाल लेते हैं ये जेनरेटर
दूसरे तरह का जेनरेटर युद्धभूमि में ऑक्सिजन की जरूरत की पूर्ति करता है। यह एक मरीज को प्रति मिनट 2 से 3 लीटर ऑक्सिजन की सप्लाई कर देता है। अमेरिकी सेना ने युद्धभूमि में तैनात अपने सैनिकों के लिए ऐसे हजारों जेनरेटर खरीदे हैं। इनका इस्तेमाल युद्धभूमि से अस्पताल तक पहुंचाते वक्त घायल सैनिकों को सांसें देने में भी होता है। इन जेनरेटरों को कभी कच्चे माल की कमी नहीं होती है क्योंकि यह वायुमंडल की हवा से ऑक्सिजन निकालता है।
​इन्हें भारत लाने में कोई दिक्कत तो नहीं?
इन जेनरेटरों को आपतकालीन इस्तेमाल के लिए भारत लाने पर चर्चा हो रही है। इसके लिए भारत को अमेरिका के साथ लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) लागू करना होगा। अब यह भी देखना होगा कि अमेरिकी सेना के पास इस्तेमाल से इतर यह कितनी बड़ी संख्या में है। दूसरी बात यह है कि इसे भारत के अस्पतालों में लगाने के लिए अमेरिकी सैनिकों को यहां आना होगा। हालांकि, अमेरिकी सेना युद्धाभ्यास के दौरान भारतीय सैनिकों को इसका नियमित प्रशिक्षण देते रहती है, लेकिन जब कोई नया उपकरण आता है तो उसे हैंडल करने की जानकारी भारतीय सैनिकों को नहीं मिल पाती है। हाल के वर्षों में किसी भी मेडिकल इमर्जेंसी में ऐसे उपकरणों को तैनात नहीं किया गया है।
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