दिल्ली-NCR में नहीं थम रही प्रदूषण, नोएडा-फरीदाबाद में भी एक्यूआई 400 के पार
दिल्ली में हवा की गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | दिल्ली में हवा की गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार राजधानी में एयर क्वालिटी इंडेक्स(एक्यूआई) गंभीर श्रेणी में बना हुआ है। रविवार को आंनद विहार में एक्यूआई 431, जहांगीरपुरी में 465, पंजाबी बाग में 426 और रोहिणी में 424 सभी गंभीर श्रेणी में दर्ज किए गए।
पश्चिमी दिल्ली निवासी राजेश ने बताय कि मायापुरी में कई प्लास्टिक के कारखाने चल रहें हैं। इसके कारण यहां प्रदूषण बढ़ रहा है। इसकी वजह से हमें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। हम ठीक से सांस नहीं ले पा रहे हैं। एक और स्थानीय निवासी ने कहा कि प्रदूषण के कारण मुझे गले में समस्या हो रही है। सांस लेने में भी दिक्क्त हो रही है। इससे बचने के लिए और फिट रहने के लिए मैं सुबह सैर करता हूं।
नोएडा, ग्रेटर नोएडा में एक्यूआई 400 के पार
वायु प्रदूषण के आगे पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) का ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) भी बेअसर साबित हो रहा है। इसका मुख्य कारण प्राधिकरण और प्रशासन के स्तर पर बरती जा रही लापरवाही है। प्रदूषण फैलाने वालों पर कार्रवाई की जा रही है, लेकिन अपने स्तर पर रोकथाम की कार्रवाई नहीं की जा रही है। यहीं कारण है कि रविवार को भी नोएडा का एक्यूआई 428 और ग्रेटर नोएडा का एक्यूआई 440 रहा है। दिन भर आसमान में धुंध छाई रही।
सर्दी का मौसम शुरू होने के साथ ही दिल्ली एनसीआर की आबोहवा जहरीली होना शुरू हो जाती है। हर बार की तरह इस बार भी 15 अक्तूबर से ग्रेप लागू कर दिया गया। ग्रेप का पालन जिला प्रशासन के साथ-साथ तीनों प्राधिकरण को कराना है, लेकिन सभी जगह केवल सीमित कार्रवाई की जा रही है। उसी का असर है कि रोजाना वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।
पिछले चार दिन से वायु प्रदूषण बेहद खतरनाक स्तर पर चल रहा है। लोगों का कहना है कि पिछले साल वायु प्रदूषण बढ़ने के बाद अभियान चलाकर पेड़ों को धोया गया था। उसका असर भी हुआ था, लेकिन इस बार ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। वहीं ईपीसीए ने सप्ताह में दो बार धूल भरी सड़कों को धोने का आदेश दिया था, लेकिन करीब एक माह बाद भी किसी भी प्राधिकरण ने सड़कों की धुलाई नहीं की है।
वहीं धूल उड़ने से रोकने के लिए कैमिकल युक्त पानी का छिड़काव किया जाना है। वह भी नहीं किया जा रहा है। कच्ची सड़कों को भी ठीक नहीं कराया गया है।