प्रियंका गांधी का सियासी भविष्य, 2024 में कहां से लड़ेंगी चुनाव

Update: 2023-08-12 14:25 GMT
2024 लोकसभा चुनाव में अभी भी छह महीने से अधिक का वक्त बचा है। इससे पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष की ओर से तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। कौन कहां से चुनाव लड़ेगा इसे लेकर भी पार्टियां मंथन कर रही हैं। इस बीच, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा ने अपनी पत्नी के चुनावी मैदान में उतरने को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने शनिवार को कहा है निश्चित रूप से प्रियंका को लोकसभा में होना चाहिए। इस बयान के बाद कयास लग रहे हैं कि प्रियंका रायबरेली या अमेठी से चुनाव मैदान में उतर सकती हैं।
इससे पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी ने भी प्रियंका गांधी से उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ने की अपील की गई है। इस बीच हमें जानना जरूरी है कि आखिर रॉबर्ट वाड्रा ने प्रियंका को लेकर क्या बयान दिया है? अमेठी और रायबरेली सीटों की चर्चा क्यों होती है? इन सीटों का सियासी इतिहास क्या है? प्रियंका के यूपी से चुनाव लड़ने से कांग्रेस को क्या फायदा हो सकता है?
रॉबर्ट वाड्रा ने प्रियंका को लेकर क्या बयान दिया है?
रॉबर्ट वाड्रा ने पत्नी प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने की वकालत की है। समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि प्रियंका को संसद में होना चाहिए। उन्हें निश्चित रूप से लोकसभा में होना चाहिए। उनके पास वो सभी योग्यताएं हैं, जो एक अच्छे नेता में होनी चाहिए। वह वहां अच्छा काम करेंगी। वह वहां होने की हकदार हैं। इसलिए मैं निश्चित रूप से चाहूंगा कि कांग्रेस पार्टी इस पर विचार करेगी और उनके लिए बेहतर तैयारी करेगी।'
अमेठी और रायबरेली सीटों की चर्चा क्यों होती है?
इस बयान से उन कयासों को और भी जोर मिल गया है जिसमें कहा जा रहा है कि प्रियंका गांधी रायबरेली या अमेठी से चुनाव लड़ सकती हैं। जुलाई में ही उत्तर प्रदेश कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष बृजलाल खाबरी ने कहा था कि सोनिया गांधी का चुनाव लड़ना तय है। प्रियंका से भी उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ने की अपील की गई है। पार्टी प्रदेश में पूरी सक्रियता से चुनावी तैयारी कर रही हैं। रायबरेली और अमेठी में टीमें डटी हुईं हैं। इन दोनों सीटों के अलावा प्रियंका गांधी के लिए दूसरी सीटों का भी आंकलन किया जा रहा है। हर पहलू पर रिपोर्ट तैयार करके जल्द ही प्रियंका गांधी को रिपोर्ट सौंपी जाएगी।
अमेठी सीट का सियासी इतिहास क्या है?
उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट गांधी परिवार की परंपरागत सीट मानी जाती है। अमेठी संसदीय सीट पर अबतक 17 लोकसभा चुनाव और दो उपचुनाव हुए हैं। इनमें से कांग्रेस ने 16 बार जीत दर्ज की है। 1977 में लोकदल और 1998 और 2019 में भाजपा को यहां से जीत मिली है। 1967 में परिसीमन के बाद अमेठी लोकसभा सीट वजूद में आई और कांग्रेस के विद्याधर वाजपेयी सासंद बने। 1971 में फिर जीते, लेकिन 1977 में नए प्रत्याशी बनाए गए संजय सिंह चुनाव हार गए। 1980 में इंदिरा गांधी ने बेटे संजय गांधी को रण में उतारा और तब से यह गांधी परिवार की पारंपरिक सीट हो गई। 1980 में ही दुर्घटना में संजय के निधन के बाद उनके भाई राजीव गांधी अमेठी से सांसद बने।
1984 में 'गांधी' के सामने थीं 'गांधी'
1984 में राजीव गांधी और संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी के बीच चुनावी टक्कर हुई थी। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति की लहर राजीव गांधी के पाले में गई। मेनका चुनाव हार गईं और अमेठी के मतदाताओं ने तीन लाख से भी ज्यादा अंतर से राजीव गांधी को जिताया।
सोनिया ने बेटे राहुल के लिए छोड़ी सीट
1989 और 1991 में राजीव गांधी फिर चुनाव जीते, लेकिन 1991 के नतीजे आने से पहले उनकी हत्या हो गई। इसके बाद कांग्रेस के कैप्टन सतीश शर्मा चुनाव जीते। 1998 में वह भाजपा के संजय सिंह से हार गए। 1999 में अमेठी से सोनिया ने आम चुनाव में कदम रखा और पहली बार सांसद बनीं। 2004 में उन्होंने बेटे राहुल गांधी के लिए यह सीट छोड़ दी और रायबरेली चली गईं। राहुल गांधी ने 2019 के पहले तीन चुनाव यहां से जीते, लेकिन 2019 में स्मृति ईरानी ने गांधी परिवार का अजेय किला भेद दिया।
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