राजस्थान। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच जारी खींचतान की वजह से राजस्थान में एक बार फिर राजनीतिक नियुक्तियां अटक गई है। गहलोत कैबिनेट के फेरबदल के बाद कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार था। इंतजार में 3 साल बीत गए। कांग्रेस नेताओं को अभी तक राजनीतिक नियुक्तियां नहीं मिली है। राज्य में करीब 40 बड़ी राजनीतिक नियुक्तियां और 15 के आस-पास संसदीय सचिवों की नियुक्ति दी जानी है।
सीएम अशोक गहलोत पायलट गुट के किसी भी विधायक को राजनीतिक नियुक्तियां देने के लिए राजी नहीं है। जबकि पायलट कैंप संख्या के अनुपात में ज्यादा प्रतिनिधित्व देने की मांग कर रहा है। दोनों नेताओं के बीच खींचतान को कम करने के लिए राजस्थान प्रदेश प्रभारी अजय माकन सुलह फार्मूले पर काम करने में जुटे हैं। बगावत को रोकने के लिए मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने से नाराज चल रहे विधायकों को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजनीतिक नियुक्तियां देकर खुश करना चाहते हैं। सीएम गहलोत चाहते हैं कि संसदीय सचिव पूरी तरह से विधायकों को ही बनाया जाएगा। राजनीतिक नियुक्तियों में हारे हुए विधायकों को भी एडजस्ट किया जाएगा। पायलट चाहते हैं कि उसके समर्थकों को राजनीतिक नियुक्तियो में बराबर की भागीदारी दी जाए।
सचिन पायलट खेमे से संसदीय सचिव बनाने में शेयरिंग पैटर्न पर बात अटक गई है। अब तक पायलट कैंप को राजनीतिक नियुक्तियां में उनकी मांगों के हिसाब से सहमति नहीं बनी है। गहलोत शेयरिंग पैटर्न को मानने के लिए तैयार नहीं है। जबकि पायलट कैंप अपनी मांग पर अड़ा हुआ है। माना जा रहा है कि सहमति बनते ही कांग्रेस नेताओं को राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियां मिल सकेंगी। पायलट यह भी चाहते हैं कि बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों को संसदीय सचिव नहीं बनाया जाए। इसी बात को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच ठनी हुई है। पायलट चाहते हैं कि राजनीतिक नियुक्तियों में कांग्रेस बैकग्राउंड से जुड़े विधायकों को वरीयता दी जाए। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चाहते हैं कि बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए नगर विधायक वाजिब अली को मेवात विकास बोर्ड और लाखन मीणा को डांग विकास बोर्ड का चेयरमैन बनाया जाए। इसके अलावा राजनीतिक नियुक्तियों में निर्दलीय विधायकों को भी वरीयता दी जाए। सीएम गहलोत अपनी मंशा से राजस्थान इंचार्ज अजय माकन को अवगत करा चुके हैं.
साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे और तत्कालीन पीसीसी चीफ सचिन पायलट ने दावा किया था कि सत्ता में आते ही सरकार बनाने में अहम योगदान देने वाले कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सत्ता में भागीदारी दी जाएगी। कार्यकर्ताओं और नेताओं को राजनीतिक नियुक्तियों का तोहफा दिया जाएगा, लेकिन गहलतो सरकार ने अपने 3 वर्ष के कार्यकाल में कांग्रेस नेताओं को राजनीतिक नियुक्तियां नहीं दी है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का समय इंतजार में ही निकल गया। जबकि गहलोत सरकार 1 जनवरी से चौथे साल में प्रवेश करने जा रही है। राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर सीएम गहलोत और पायलट खेमा एक बार फिर आमने-सामने है। राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियां देना नई बात नहीं है। पिछली वसुंधरा सरकार ने भी विभिन्न बोर्डो और निगमों में 300 से ज्यादा नेताओं को जगह दी थी।