बता दें कि आयशा नूरी को उमेश पाल की हत्या करने वाले शूटरों की फरार होने में मदद करने का दोषी पाया गया और उसे भी इस मामले में आरोपी बनाया गया है. उसके पति अखलाक को पुलिस और एसआईटी ने 6 मार्च को ही मेरठ से गिरफ्तार कर लिया था. जांच एजेंसियों ने रजिस्टर में मिले ज्यादातर कोडनेम डीकोड कर लिया हैं, लेकिन पंडित, तोता, बल्ली, माया, शेरू, रसिया ये कुछ कोडनेम अभी भी डीकोड होना बाकी हैं. दरअसल, माफिया अतीक अहमद के साथ ही उसके परिवार के लोगों और गिरोह ने बीएसपी विधायक राजू पाल मर्डर केस के गवाह उमेश पाल की हत्या की साजिश काफी पहले रच ली थी. गुजरात की साबरमती और यूपी की बरेली जेल में रची गई इस साजिश में तय हो चुका था कि वारदात से पहले और बाद में कोई भी अपने मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करेगा.
करीब 10 दिन पहले वारदात में शामिल सभी लोगों को एक-एक आईफोन और तीन-तीन सिम कार्ड दिए गए थे. इसी के साथ यह भी तय किया गया था कि आईफोन पर एप के जरिए बातचीत में कोई भी व्यक्ति एक दूसरे का नाम नहीं लेगा, कोडनेम के जरिए ही बातचीत की जाएगी. इसी आधार पर वारदात में शामिल सभी लोगों के नाम के अलग कोडनेम तैयार किए गए थे. बातचीत में नाम के बदले उन्हीं कोडनेम का इस्तेमाल किया जाता था.