नई दिल्ली: महाराष्ट्र में ठाणे पुलिस ने बुधवार को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के मुंबई के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े से उनके खिलाफ दर्ज जालसाजी मामले में आठ घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की. एक अधिकारी ने ये जानकारी दी है. महाराष्ट्र में पुलिस ने 1997 में नवी मुंबई में अपने रेस्तरां और बार के लिए शराब लाइसेंस हासिल करते हुए कथित जालसाजी और जानबूझकर गलत बयानी के आरोप में वानखेड़े के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी.
नवाब मलिक की गिरफ्तारी साथ- साथ
दिलचस्प बात यह है कि पुलिस ने वानखेड़े से उसी दिन पूछताछ की जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक को गिरफ्तार किया. मलिक को पीएमएलए कोर्ट में पेश किया गया. सुनवाई के दौरान ईडी ने कोर्ट से आरोपी मलिक की रिमांड के लिए 14 दिन की हिरासत मांगी. कोर्ट ने 8 दिन के लिए यानी 3 मार्च तक नवाब मलिक को ईडी की रिमांड पर भेजा है. बता दें कि एनसीपी नेता मलिक ने ही इससे पहले वानखेड़े पर सरकारी नौकरी हासिल करने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करने सहित कई आरोप लगाए थे.
वानखेड़े से 8 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ
बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को ठाणे पुलिस को एफआईआर के संबंध में 28 फरवरी तक वानखेड़े के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है. अदालत ने यह भी कहा था कि उन्हें जारी समन के तहत वह शहर की पुलिस के समक्ष पेश होंगे और जांच में अपना पूरा सहयोग देंगे. अधिकारी ने कहा, "जब वह शाम करीब 7.45 बजे पुलिस थाने से बाहर निकले तो उनसे आठ घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की जा चुकी थी." मीडियाकर्मियों के पूछे जाने पर, वानखेड़े ने अपने खिलाफ केस के बारे में यह कहते हुए बोलने से इनकार कर दिया है कि मामला अभी विचाराधीन है. उन्होंने नवाब मलिक के खिलाफ ईडी की कार्रवाई पर टिप्पणी करने से भी इनकार कर दिया.
आबकारी विभाग ने कराई थी FIR
बता दें कि वानखेड़े ने सोमवार को हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर प्राथमिकी को रद्द करने और किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम संरक्षण की मांग की थी. वानखेड़े के खिलाफ राज्य के आबकारी विभाग द्वारा कोपरी पुलिस स्टेशन में 181 (एक लोक सेवक को झूठा बयान), 420 (धोखाधड़ी), 465 (जालसाजी) और 468 (इस उद्देश्य के लिए जालसाजी) सहित विभिन्न भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी.
नाबालिग रहते हुए वानखेड़े को मिला था शराब लाइसेंस
शिकायत के अनुसार, वानखेड़े द्वारा 1997 में शराब लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आबकारी विभाग को प्रस्तुत किए गए दस्तावेज जाली थे. शिकायत में कहा गया है कि जब वानखेड़े नाबालिग (17 वर्ष) थे, तब ही उनके नाम पर शराब लाइसेंस प्राप्त कर लिया गया था.