पुलिस ने नकली नोट छापने वाले रैकेट का किया पर्दाफाश, इंजीनियर समेत 6 लोग गिरफ्तार
प्रिंटिंग मशीन, लैपटॉप, पेपर काटने की मशीनें और अन्य सामान जब्त किया।
पुणे: पुणे में पिंपरी-चिंचवड पुलिस ने ऑनलाइन ऑर्डर किए गए चीनी पेपर पर 500 रुपये के नकली भारतीय नोट छापने वाले एक रैकेट का पर्दाफाश किया। अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि एक इंजीनियर समेत छह लोगों को गिरफ्तार भी किया गया।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पुणे में पिंपरी-चिंचवड पुलिस के अधिकार क्षेत्र के तहत देहु रोड पुलिस स्टेशन ने गिरफ्तारी के लिए ऑपरेशन चलाया। वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक नितिन फटांगरे के नेतृत्व में एक टीम ने 500 रुपये के 440 नकली नोट, 4,700 आंशिक रूप से मुद्रित नोटों के बिल, 4,484 मुद्रित और चीनी निर्मित मुद्रा पेपर की 1,000 शीटें, एक प्रिंटिंग मशीन, लैपटॉप, पेपर काटने की मशीनें और अन्य सामान जब्त किया।
पुलिस की टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर कार्रवाई को अंजाम दिया। सूचना मिली थी कि आईटी इंजीनियर रितिक खडसे (22) ने अपने कुछ दोस्तों के साथ प्रिंटिंग का व्यवसाय शुरू किया है। उन्होंने अप्पा बलवंत चौक इलाके से एक पुरानी प्रिंटिंग मशीन खरीदी थी। पैम्फलेट, हैंडबिल और अन्य प्रचार सामग्री प्रकाशित करने के लिए दिघी में अपनी प्रिंटिंग यूनिट शुरू की थी।
पर्याप्त ऑर्डर नहीं मिलने की वजह से उनका व्यवसाय घाटे में चला गया। इसके बाद मुख्य आरोपियों में से एक 41 वर्षीय सूरज यादव (जो ड्राइवर है) ने आसानी से पैसा कमाने के लिए नकली भारतीय मुद्रा नोट छापने का विचार सुझाया। सूरज यादव ने नोटों को डिजाइन करने की कला जानने का दावा किया। पेपर को एक चीनी ई-कॉमर्स पोर्टल से ऑर्डर किया गया था। उन्होंने परीक्षण के तौर पर वॉटर-मार्क, थ्रेड और अन्य सुरक्षा सुविधाओं सहित 500 रुपये मूल्य के 140 नोट छापे।
उन्होंने 1 लाख रुपये के अंकित मूल्य वाले 200 ऐसे नकली नोटों को छापने के लिए 40 हजार रुपये का ऑर्डर हासिल किया। यादव ने जब मुकाई चौक में कुछ ग्राहकों को 140 नकली नोट देने का प्रयास किया, तभी उसे रंगे हाथों पकड़ लिया गया।
अधिकारियों ने कहा कि धोखाधड़ी के लिए गिरफ्तार किए गए अन्य लोगों में प्रणव गव्हाणे (31), आकाश धांगेकर (22), तेजस बल्लाल (19) और सूरज सालुंखे (32) शामिल हैं। सभी छह आरोपियों को एक हफ्ते के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस जांच कर रही है कि रैकेट का जाल कहां तक फैला हुआ है।