'ब्लू' बुक के मुताबिक बनता है सिक्योरिटी बॉक्स
सुरक्षा विशेषज्ञ, जिन्होंने सिक्योरिटी बॉक्स की ड्यूटी को अच्छी तरह समझा है, बताते हैं, वहां बिना इजाजत के परिंदा भी नहीं आ सकता। स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप के पास प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर विशेष अधिकार होते हैं। पीएम के दौरे पर कई तरह के प्रोटोकॉल का पालन करना पड़ता है। इन सबके लिए ही 'ब्लू' बुक बनाई गई है। पीएम की सुरक्षा के लिए एसपीजी के विशेषाधिकार, प्रोटोकॉल और कार्रवाई, इससे संबंधित हर बात बुक में लिखी रहती है। इन नियमों की समय-समय पर समीक्षा की जाती है। विशेषज्ञ ने कहा, पचास मीटर के भीतर सिक्योरिटी बॉक्स बनता है। हालांकि इस बॉक्स का घेरा कार्यक्रम के हिसाब से तय होता है। रैली स्थल, उद्घाटन या विज्ञान भवन जैसी किसी जगह पर संबोधन, ऐसी जगहों के लिए सुरक्षा घेरा, छोटा या बड़ा हो सकता है। अगर सड़क मार्ग से प्रधानमंत्री कहीं जा रहे हैं, तो वहां पर बड़े आकार में सिक्योरिटी बॉक्स बनता है।
बॉक्स में एसपीजी का रहता है एकाधिकार
सिक्योरिटी बॉक्स में एसपीजी तैनात होती है। यूं समझ सकते हैं कि इतने क्षेत्र पर एसपीजी का एकाधिकार रहता है। पंजाब में सिक्योरिटी बॉक्स का उल्लंघन हुआ है। वहां पर प्रदर्शनकारी, पीएम की गाड़ी के बहुत करीब तक पहुंच गए थे। एसपीजी के सामने ये एक बड़ा जोखिम था। अगर वहां सिंगल फायर हो जाता, तो उसके बाद की स्थिति का अंदाजा सामान्य आदमी नहीं लगा सकता। 'ब्लू' बुक सिंगल फायर की इजाजत देती है। पीएम की गाड़ी के करीब एसपीजी की इजाजत के बिना कोई जाने का प्रयास करता है तो वह बच नहीं सकता। जिस पुल पर पीएम की गाड़ी रुकी थी, उसके आसपास काले कपड़ों वाला एक संदिग्ध व्यक्ति देखा गया है। वह एक ही दिशा में इधर से उधर टहल रहा था। यहां एसपीजी की क्षमता की बात नहीं हो रही है। अगर सामने दो सौ लोग हैं या हजार, उनके बीच से एसपीजी, पीएम को बचाकर ले जाने में सक्षम है। प्रधानमंत्री की बख्तरबंद गाड़ी आईईडी, मोर्टार, हैंड ग्रेनेड या अन्य तरह के किसी भी बड़े हमले को झेलने में सक्षम है।
जांच रिपोर्ट में मालूम होगा, किसकी कितनी लापरवाही
इस केस की जांच के लिए पंजाब सरकार ने कमेटी गठित कर दी है। तीन दिन में वह कमेटी अपनी रिपोर्ट दे देगी। गुरुवार को सुरजीत सिंह फूल 'बीकेयू क्रांतिकारी' के नेता ने कहा, हमें तो मालूम ही नहीं था कि मोदी साहब, रोड से आ रहे हैं। उनके लिए तो फिरोजपुर में हेलीपैड बना हुआ था। फिरोजपुर के एसपी ने बताया कि पीएम आ रहे हैं। किसानों ने अंदाजा लगाया कि यहां पर यातायात तो बंद ही नहीं किया गया है। क्या हमें पंजाब पुलिस गच्चा दे रही है। किसान इसी अंदेशे के चलते वहां से नहीं उठे। दोपहर को मालूम हुआ कि पीएम साहब वापस चले गए हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, जांच कमेटी के सामने स्थानीय पुलिस को भी बुलाया जाएगा। इसमें एसएचओ/यातायात निरीक्षक से लेकर एसएसपी तक शामिल हैं। लोकल इंटेलिजेंस की टीम भी कमेटी के सामने पेश होगी। क्या पीएम के रूट की सूचना को जानबूझकर लीक किया गया है, कमेटी यह पता लगाएगी। अगर रूट बंद नहीं था और वहां सामान्य तरीके से यातायात चल रहा था, तो इसका मतलब केंद्रीय एवं राज्य की सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी रही है। क्या, अंतिम क्षण में रूट बदलाव हुआ है। जहां पर पीएम की गाड़ी रुकी, वहां क्रेन आदि भी नहीं थी। ये भी देखने वाली बात है कि पंजाब सरकार को केंद्र की तरफ से 1, 2 व 4 जनवरी को पीएम के डायवर्जन प्लान एवं सुरक्षा को लेकर इनपुट भेजा गया था। जांच रिपोर्ट में ही इन सवालों का जवाब मिल सकेगा।