पीएम मोदी 25 साल के आयुष की ऐसी हुनर देखकर हुए कायल, कहा- 'मेरे लिए था यह अविस्मरणीय क्षण'

कहा जाता है कि अगर किसी इंसान में कोई खामी हो तो ईश्वर उसका साथ देता है.

Update: 2022-03-24 09:02 GMT

कहा जाता है कि अगर किसी इंसान में कोई खामी हो तो ईश्वर उसका साथ देता है, और उसके पास एक ऐसा हुनर होता है, जिसके जरिए भीड़ से वह अलग अपनी छाप छोड़ता है. कुछ ऐसे ही हैं मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में खरगोन जिले के बड़वाह के रहने वाले आयुष कुंडल (Ayush Kundal ). दिव्यांग होने के बावजूद भी वे अपने हुनर के जरिए लोगों का दिल जीत रहे हैं. उनकी काबिलियत के कायल प्रधानमंत्री मंत्री नरेंद्र (Narendra Modi) मोदी भी हो गए हैं और उन्होंने आयुष से मुलाकात की है. पीएम ने इस क्षण को अविस्मरणीय बताया है और आयुष को ट्विटर पर फॉलो किया है.

पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा, 'आज आयुष कुंडल से मिलना मेरे लिए एक अविस्मरणीय क्षण बन गया. आयुष ने जिस प्रकार पेंटिंग में महारत हासिल की और अपनी भावनाओं को पैर की उंगलियों से आकार दिया, वो हर किसी को प्रेरित करने वाला है. अनवरत प्रेरणा मिलती रहे, इसलिए मैं उन्हें ट्विटर पर फॉलो कर रहा हूं.'पीएम मोदी ने लोगों से अपील करते हुए कहा, 'आप सभी से आग्रह करता हूं कि आप आयुष कुंडल की पेंटिंग को जरूर देखें. आयुष ने अपनी पेंटिंग के लिए एक यूट्यूब चैनल भी बनाया है, जिसमें उनकी जिंदगी के अलग-अलग रंग समाहित हैं.' पीएम मोदी ने आयुष के यूट्यूब चैनल का लिंक भी शेयर किया है.


अमिताभ बच्चन भी आयुष की कला देखकर हो गए थे अभिभूत
आयुष ने बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन की भी पेंटिंग अपने पैरों से बनाई थी, जिसके बाद वे अपने परिजनों के साथ मुंबई गई थे, जहां उन्होंने अमिताभ बच्चन से भेंट की थी और उन्होंने उन्हें पेंटिंग उन्हें भेंट की थी. मिस्टर बच्चन भी उनकी कला को देखकर अभिभूत हो गए थे और आयुष की पेंटिंग को ट्विटर पर शेयर किया. साथ ही साथ उनकी कला की जमकर तारीफ की थी.
आयुष कुंडल का जन्म 27 अप्रैल 1997 को हुआ. वह अपने शरीर के 80 फीसदी हिस्से में सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित है, जिसकी वजह से वह दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों के लिए अपनी मां पर निर्भर रहते हैं. आयुष ने 10 साल की उम्र में दिव्यांग के एक स्कूल में दाखिला लिया था. उन्होंने धीरे-धीरे ड्राइंग और स्केचिंग में रुचि विकसित की. उनका कहना है कि जब उन्होंने रंग को भरना शुरू किया तो फिर पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा.

शुरुआती दिनों में पेंटिंग बनाने में हुई परेशानी
शुरुआती दिनों में उन्हें पैर से ड्राइंग और पेंटिंग बनाने में काफी परेशानी होती थी, लेकिन कहने है न 'करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान'. उन्होंने धीरे-धीरे अपने पैरों से ड्राइंग और पेंटिंग के कौशल में महारत हासिल कर ली. आयुष ने इंदौर में तमाम प्रदर्शनियों में अपने चित्रों का प्रदर्शन कर प्रथम पुरस्कार जीत चुके हैं. आयुष अक्टूबर 2021 में एक प्रोविजलन स्टूडेंट आर्टिस्ट के रूप में एमएफपीए में ज्वॉइन कर चुके हैं.


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