'मेरे जीवन में कोई तू कहने वाला...' , पीएम मोदी ने कई अनछुए पहलुओं को सामने रखा

पहली बार पॉडकास्ट इंटरव्यू दिया.

Update: 2025-01-10 09:37 GMT
नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी का कहना है कि उनका जीवन ऐसा रहा है कि बचपन के दोस्तों के साथ संपर्क ही नहीं रह पाया। उन्होंने निखिल कामत के साथ पॉडकास्ट में कहा कि मैंने कम आयु में ही घर छोड़ दिया था। इसके कारण स्कूली दोस्तों से भी संपर्क नहीं रह पाया। मेरे जीवन में तू कहने वाला कोई बचा ही नहीं। उन्होंने कहा कि मैं तो जब सीएम बना तो इच्छा थी कि स्कूली दोस्तों को बुलाकर बैठा जाए। मैंने बुलाया और करीब 35 लोग आए भी, लेकिन उनसे बातचीत में दोस्ती नहीं दिखी। मुझे आनंद नहीं आ सका। इसकी वजह थी कि मैं उनमें दोस्त खोज रहा था, लेकिन उन्हें मेरे भीतर मुख्यमंत्री ही नजर आ रहा था। पीएम मोदी ने कहा कि यह खाई पटी ही नहीं और मेरे जीवन में कोई तू कहने वाला बचा ही नहीं।
उन्होंने कहा कि मुझे ज्यादातर लोग बहुत औपचारिक और सम्मानजनक ढंग से ही संबोधित करते हैं। तू कहने वाले मेरी जिंदगी में नहीं रहे। पीएम मोदी ने कहा कि मेरे एक टीचर थे- रासबिहारी मणियार। वह मुझे चिट्ठी लिखते थे तो हमेशा तू लिखते थे। उनका हाल ही में 94 साल की आयु में निधन हो गया। वह आखिरी और एकमात्र व्यक्ति रहे, जो मुझे तू कहकर संबोधित करते थे। पीएम मोदी ने कहा कि मैं जब गुजरात का सीएम बना तो मेरी दूसरी इच्छा थी कि अपने सभी अध्यापकों का सार्वजनिक रूप से सम्मान करूंगा। मैंने इसके लिए सभी अध्यापकों को ढूंढा और सीएम बनने के बाद सार्वजनिक कार्यक्रम करके सबको सम्मान दिया। मेरे मन में एक मेसेज था कि मैं जो कुछ भी हूं, उसमें इन लोगों का भी योगदान है।
इस दौरान प्रधानमंत्री ने अपने बचपन को याद करते हुए कहा कि मैं स्कूल में कभी उत्कृष्ट छात्र नहीं था, लेकिन मेरे एक टीचर बहुत प्रोत्साहित करते थे। पीएम मोदी ने कहा कि मैंने हमेशा यह ध्यान रखा है कि मिशन के साथ काम किया जाए। राजनीति में सफलता के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा कि जरूरी यह है कि हम एंबिशन नहीं बल्कि मिशन के बारे में सोचें। उन्होंने कहा कि आज की राजनीति की बात करें तो फिर उस हिसाब से महात्मा गांधी जी कहां फिट बैठते हैं। वह तो दुबले-पतले थे और साधारण रहते थे। फिर भी महान रहे और उसकी वजह थी कि उनका जीवन बोलता था। पीएम मोदी ने कहा कि भाषण कला से ज्यादा जरूरी है, संचार कला।
महात्मा गांधी अपने हाथ में खुद से भी ऊंचा डंडा रखते थे, लेकिन अहिंसा की बात करते थे और लोग उसे मानते थे। उन्होंने कभी टोपी नहीं पहनी, लेकिन दुनिया गांधी टोपी पहनती रही। पीएम मोदी ने कहा कि महात्मा गांधी ने राजनीति की, लेकिन कभी सत्ता पर नहीं आए। फिर उनके निधन के बाद समाधि का नाम राजघाट पड़ा।
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सफलता का सीक्रेट
मंच पर भाषण और मन की बात के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पॉडकास्ट में डेब्यू कर लिया है। उन्होंने शुक्रवार को जेरोधा के को-फाउंडर निखिल कामथ से मुलाकात की। पहली ही चर्चा में उन्होंने किसी राजनेता के सफल होने का सीक्रेट भी बताया है। इस दौरान उन्होंने राजनीति में एंट्री से लेकर सफल होने तक पर बात की। उन्होंने कहा है कि एक अच्छा टीम प्लेयर ही अच्छा राजनेता बन सकता है।
बातचीत के दौरान जब सवाल किया गया कि राजनेता में कौनसा टैलेंट होता है। इसपर पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं मानता हूं कि उसके लिए आपका एक डेडिकेशन चाहिए, कमिटमेंट चाहिए, जनता के सुख-दुख के आप साथी होने चाहिए। आप अच्छे टीम प्लेयर होने चाहिए। आप कहें कि मैं तो तीसमार खां हूं, सबको चलाऊंगा, दौड़ाऊंगा, सब मेरा हुक्म मानेंगे तो हो सकता है कि उसकी राजनीति चल जाए या चुनाव जीत जाए, लेकिन वो सफल राजनेता बनेगा यह गारंटी नहीं है।’
उन्होंने कहा, 'जब आजादी का आंदोलन चला, उसमें समाज के सभी वर्ग के लोग जुड़े। सभी राजनीति में नहीं आए...। लेकिन देशभक्ति से प्रेरित आंदोलन था, हर एक के मन में एक जज्बा था कि भारत को आजाद कराने के लिए मुझसे जो होगा मैं करूंगा। तब एक लॉट राजनीत में आए। आजादी के बाद देश में जितने भी बड़े नेता थे, सभी आजादी के आंदोलन से निकले थे, तो उनकी सोच, मेच्योरिटी एकदम अलग है। समाज के प्रति समर्पण भाव।'
पीएम ने कहा, 'इसलिए मेरा मत है कि राजनीति में निरंतर अच्छे लोग आते रहने चाहिए। लोग मिशन लेकर आए एम्बिशन लेकर नहीं। मिशन लेकर निकले हो तो कहीं न कहीं स्थान मिल जाएगा।'
उन्होंने महात्मा गांधी का उदाहरण दिया, पीएम ने कहा, 'आज के युग की नेता की परिभाषा जो आप देखते हैं, तो उसमें महात्मा गांधी कहां फिट होते हैं। पर्सनालिटी में दुबले पतले, भाषण देने की कला न के बराबर थी। तो जीवन बोलता था। ये जो ताकत थी, उसने उनके पीछे पूरे देश को खड़ा कर दिया था। आजकल ये जो प्रोफेशल कैटेगरी में राजनेता का जो रूप देखा जा रहा है कि लच्छादार भाषण होना चाहिए, यह कुछ दिन चल जाता है। आखिर में जीवन ही काम करता है।'
बताया दिलचस्प वाकया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Zerodha के सह-संस्थापक निखिल कामथ के साथ अपने पहले पॉडकास्ट इंटरव्यू में अपने पुराने दिनों की याद करते हुए बताया कि जब वह अक्टूबर 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने तो उन्हें इच्छा हुई कि वह अपने बचपन के दोस्तों को मुख्यमंत्री आवास बुलाएं। उन्होंने बताया कि उनके निमंत्रण पर उनके 35 दोस्त अपने परिजनों के साथ आए लेकिन उन्हें वह नहीं मिला, जो वह ढूंढ़ रहे थे। पीएम ने बताया कि वह उन लोगों में दोस्त खोज रहे थे लेकिन वे सभी मुझमें मुख्यमंत्री देख रहे थे।
प्रधानमंत्री ने बताया कि चूंकि वह बचपन के दिनों में ही घर-बार छोड़कर निकल गए थे, इसलिए दोस्तों के साथ उनका ज्यादा समय नहीं बीता। वह चाहते थे कि बचपन के दोस्तों को बुलाकर वह उनके संग खूब बातें करें और बचपन के पलों को याद करें। पीएम ने कहा कि उनकी इच्छा थी कि कोई दोस्त बनकर तुम, तू कहकर बातें करे लेकिन सभी 35 लोगों में से किसी ने भी ऐसी बात नहीं की, बल्कि सभी मुझमें मुख्यमंत्री देखकर सम्मान देकर बातें करते रहे।
पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने दोस्तों के अलावा अपने उऩ शिक्षकों को भी मुख्यमंत्री आवास बुलाया था, जिन्होंने उन्हें स्कूल के दिनों में पढ़ाया था। उन्होंने कहा कि उनका मकसद उनका सार्वजनिक स्तर पर सम्मान करना था। इसके अलावा उन्होंने अपने सभी रिश्तेदारों और परिजनों को बुलाया था ताकि वह उनके बाल-बच्चों से मिल सकें। पीएम मोदी ने बताया कि उन्हें इस यह जानने की बड़ी इच्छा थी कि उनके नाते-रिश्तेदारों में किसके कितने बच्चे हैं और कौन क्या कर रहा है। उनसे मिलें-जुलें। उन्हें जानें-पहचानें। इसलिए उन सभी को सीएम आवास बुलाया और सबसे परिचय किया।
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पीएम मोदी ने अपनी चौथी इच्छा के बारे में बताया कि इसी कड़ी में उन्होंने उन लोगों को भी मुख्यमंत्री आवास पर बुलाया, जिन्होंने संघ प्रचारक के कतौर पर काम करने के दिनों में उन्हें खाना खिलाया था। पीएम ने इस बात पर चिंता जताई कि उनके जीवन में कोई तू कहने वाला नहीं बचा। उनके मुताबिक सभी लोग औपचारिक संबोधन करते हैं और आप कहकर ही पुकारते हैं।
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