दिल्ली। पीएम मोदी ने कहा कि 2023 में बजट सत्र का प्रारंभ हो रहा है. प्रारंभ में ही अर्थजगत की आवाज को मान्यता होती है, वैसी आवाज चारों तरफ से सकारात्मक संदेश लेकर आ रही है. आशा की किरण लेकर आ रही है. उमंग की आवाज लेकर आ रही है. भारत के वर्तमान राष्ट्रपति जी पहली बार देश के सदन को संबोधित करेंगी. राष्ट्रपति जी का भाषण भारत के संविधान का गौरव है. संसदीय प्रणाली का गौरव है. विशेष रुप से आज नारी सम्मान का अवसर है. दूर सुदूर जंगलों में जीवन यापन करने वाले देश के महान आदिवासियों के सम्मान का अवसर है. न सिर्फ संसद के लिए बल्कि पूरे देश के लिए गौरव का पल है. आज राष्ट्रपति जी का पहला संबोधन हो रहा है.
जब सदन में पहली बार कोई भी सांसद खड़े होकर बोलने वाला होता है, तो पूरा सदन उनको सम्मानित करता है. उनका आत्मविश्वास बढ़े, ऐसा माहौल पैदा किया जाता रहा है. यह परंपरा है. आज राष्ट्रपति का संबोधन भी पहला संबोधन है. सभी सांसदों की तरफ से उमंग और ऊर्जा से भरा हुआ पल हो, यह मेरा विश्वास है. सभी सांसद इस कटौती पर खरे उतरेंगे. देश की वित्त मंत्री भी महिला हैं, वे बजट लेकर देश के सामने आ रही हैं. आज के वैश्विक परिस्थिति में भारत के बजट की तरफ न सिर्फ भारत का लेकिन पूरे विश्व का ध्यान है. डमाडोल विश्व की आर्थिक परिस्थिति में भारत का बजट, भारत के समान मानवीय की आकांक्षाओं को पूरा करने की कोशिश करेगा, बल्कि विश्व जो आशा की किरण देख रहा है. मुझे पूरे भरोसा है, निर्मला जी इन अपेक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करेंगी. एनडीए सरकार का एक की मकसद रहा है, लक्ष्य रहा है, हमारे केंद्र बिंदू में सिर्फ सबसे पहले देश और सबसे पहले देशवासी वाला भाव रहा है. इस बजट सत्र में तकरार भी रहेगी लेकिन तकरीर भी होनी चाहिए, विपक्ष के सभी साथी तैयारी के साथ बारिकी से अध्ययन करके अपनी बात रखेंगे. सदन बहुत अधिक अच्छे तरीके से चर्चा करके अमृत निकालेंगे.
आर्थिक सर्वेक्षण पेश होने से पहले मंगलवार को बाजार में गिरावट देखी गई. सेंसेक्स 325 अंक गिरकर 59,175 पर पहुंच गया. जबकि निफ्टी 17,559 अंक पर है. वही शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि यह सरकार को तय करना है कि संसद में हंगामा होगा या शांति से चलेगा. उन्होंने कहा कि हिंडनबर्ग का मुद्दा हो, बीबीसी डॉक्यूमेंट्री का या फिर कश्मीरी पंडितों का, सवाल तो पूछे जाएंगे. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि शिवसेना महाराष्ट्र से कंपनियों को बाहर भेजने, फेडरल स्ट्रक्चर को लेकर भी सरकार से सवाल जवाब करेगी. उन्होंने कहा कि नए राष्ट्रपति का यह पहला भाषण है इसलिए हम इसका बहिष्कार नहीं करेंगे, बल्कि सुनना चाहेंगे कि सरकार क्या चाहती है? उन्होंने कहा कि जाहिर है कि सत्र काफी तूफानी होगा.