वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को काशी विश्वनाथ धाम राष्ट्र को समर्पित कर दिया। सैकड़ों संतों और विशिष्ट लोगों की उपस्थिति में बाबा का धाम लोकर्पित हुआ।
पीएम मोदी ने लोकर्पण से पहले गंगा में डुबकी लगाई और वहां से कलश में जल लेकर बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह पहुंचे। बाबा विश्वनाथ का विधिवत पूजन अर्चन करने के बाद धाम को बनाने वाले मजदूरों के बीच पहुंचे और उन पर अपने हाथों से फूलों की वर्षा कर सेल्फी भी ली।
विश्वनाथ धाम पहुंचने से पहले पीएम मोदी ने यहां के कोतवाल काल भैरव का भी पीएम मोदी ने आशीर्वाद लिया। काल भैरव की पूजा अर्चना करने के बाद क्रूज से गंगा के रास्ते वह विश्वनाथ मंदिर पहुंचे। ललित घाट पर क्रूज से उतर कर गंगा में डुबकी लगाई और कलश में जल लेकर पैदल ही विश्वनाथ धाम रवाना हुए। लोकर्पाण से पहले धाम पर बनी एक फिल्म भी पीएम मोदी ने देखी।
बाबा के धाम में अब काशी की वास्तुकला तथा आध्यात्मिक भाव को अभिव्यक्ति देने वाली मेहराबें, बेलबूटेदार दीवारें और स्तंभों के बीच नक्काशीदार प्रस्तर जालियां वास्तु देव के अंग-प्रत्यंग के रूप में अपनी छाप छोड़ रही हैं। घनी बस्ती के बीच बसे विश्वनाथ मंदिर के चारों ओर का इलाका खाली करना आसान काम नहीं था। धाम के लिए 320 भवनों को क्रय करने और धाम के लिए अपेक्षित क्षेत्र तैयार करने से पहले एक वैचारिक चुनौती से भी गुजरना पड़ा। सैकड़ों परिवार भ्रमित और चिंतित थे। कोई आत्मदाह के लिए उद्वेलित था तो कोई अनशन पर बैठा था।
इसके बाद मोदी का ही जलवा था कि जल्द ही स्थितियां सामान्य हो गईं। विरोध धीरे-धीरे थमने लगा। जैसे-जैसे योजना विस्तृत होती गई, आर्थिक स्वावलंबन की दृष्टि से संबंधित मोहल्लों के बाशिंदे अपने-अपने पैतृक भवन सहर्ष देने को तैयार हो गए। सबकी सहमति और समर्थन मिलने के बाद इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर काम शुरू हुआ। एक तरह से विश्वनाथ धाम देश का अब तक का सर्वाधिक अत्याधुनिक और सर्वसुविधा सम्पन्न धर्मस्थल बन गया है।
इस एक परिसर में भक्तों के लिए हर वह सुविधा मुहैया कराई गई है जिसकी आवश्यकता एक सामान्य से सामान्य नागरिक को हो सकती है। विस्तार के दौरान आसपास के भवनों से 27 मंदिर विग्रह प्राप्त हुए। इन सभी को पुरातन भव्यता के साथ जीर्णोद्धार करके एक मणिमाला की तरह पुन: स्थापित किया गया है।
धाम में वाराणसी गैलरी 375 वर्ग मीटर में बसाई गई जहां मल्टीपरपज हॉल भी है। भवन की आंतरिक दीवारों पर चित्रों के माध्यम से पौराणिक धार्मिक आख्यानों का उल्लेख किया गया है। 1143 वर्ग मीटर में तैयार सिटी म्यूजियम में प्राचीन काशी के दर्शन होंगे। मंदिर चौक के पूर्वी द्वार के ठीक बाहर बाईं ओर मुमुक्षु भवन है। उत्तम मृत्यु की कामना से काशीवास करने के लिए यहां 36 लोगों के लिए व्यवस्था तीन तलों में की गई है।
धार्मिक-आध्यात्मिक आयोजनों, प्रदर्शनियों के लिए 986 वर्गमीटर में वैदिक केंद्र एक अनूठा प्रयोग है तो 1061 वर्गमीटर में फैला पर्यटक सुविधा केंद्र एक अभिनव प्रयोग है। इसी के एक हिस्से में मणिकर्णिका घाट पर यहां वहां बेतरतीब रखी जाने वाली लकड़ियां भी सलीके से दिखेंगी। यह हॉल इस घाट पर आने वाले व्यक्ति के उपयोग के लिए होगा। यह हॉल व्यावसायिक रूप से स्थानीय निवासियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट श्रीकाशी विश्वनाथ धाम केवल मंदिर ही नहीं यात्री सुविधाओं के नजरिये से भी खास बनाया गया है। पूरा परिसर आनंद-कानन की अनुभूति भी कराएगा। बेल व रुद्राक्ष के पेड़ तो होंगे ही अशोक, नीम व कदंब की भी छाया परिसर में मिलेगी। पहले पांच हजार स्क्वायर फीट में बना मंदिर परिसर अब 5 लाख स्क्वायर में फैल गया है। सबसे खास ये है कि पहले गंगा घाट से स्नान कर तंग गलियों से होते हुए मंदिर आना होता था। अब गंगा घाट से विश्वनाथ मंदिर जुड़ गया है।
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 मार्च 2019 को किया था। एक अध्यादेश के जरिए उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे परिसर को विशिष्ट क्षेत्र घोषित किया था। इसकी कुल लागत लगभग 900 करोड़ रुपए है।
विश्वनाथ धाम में अब मां गंगा भी मौजूद दिखेंगी। मंदिर गर्भगृह में बाबा विश्वनाथ का पाद प्रक्षालन खुद मां गंगा करेंगी। बाबा विश्वनाथ से गंगा के सीधे जुड़ाव के लिए एक पाइप लाइन बिछा दी गई है।