दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'विश्व बौद्ध शिखर सम्मेलन' के उद्घाटन सत्र में हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस धरती की परंपरा है- अतिथि देवो भव: अथार्त अतिथि हमारे लिए देवता के समान होते हैं लोकिन भगवान बुद्ध के विचारों को जीने वाले इतने व्यक्तित्व जब हमारे सामने हों तो साक्षात बुद्ध की उपस्थिति का एहसास होता है. बुद्ध व्यक्ति से आगे बढ़ कर एक बोध हैं, बुद्ध स्वरूप से आगे बढ़कर एक सोच हैं, बुद्ध चित्रण से आगे बढ़कर एक चेतना हैं और बुद्ध की ये चेतना चिरंतर है निरंतर है। यह सोच शाश्वत है, ये बोध अविस्मरणीय है.
आगे पीएम ने कहा - अमृतकाल में भारत के पास अपने भविष्य के लिए विशाल लक्ष्य भी हैं और वैश्विक कल्याण के नए संकल्प भी हैं। भारत ने आज अनेक विषयों पर विश्व में नई पहल की हैं और इसमें हमारी बहुत बड़ी प्रेरणा भगवान बुद्ध हैं. दुनिया में अलग-अलग देशों में शांति मिशन हो या फिर तुर्की के भूकंप जैसी आपदा हो, भारत अपना पूरा सामर्थ्य लगाकर हर संकट के समय मानवता के साथ खड़ा होता है, 'मम भाव' से खड़ा होता है. हमें विश्व को सुखी बनाना है तो स्व से निकलकर संसार, संकुचित सोच को त्यागकर, समग्रता का ये बुद्ध मंत्र ही एकमात्र रास्ता है। आज ये समय की मांग है कि हर व्यक्ति की, हर राष्ट्र की प्राथमिकता अपने देश के हित के साथ ही विश्व हित भी हो.