जयपुर: राजस्थान में कांग्रेस में चल रही खींचतान के बीच, पायलट खेमे के एक वरिष्ठ विधायक और मंत्री ने कहा है कि वो आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसके बाद गहलोत और पायलट कैंप में एक बार फिर मतभेद खुल कर सामने आ गए हैं। हालांकि, गहलोत खेमे के सभी वरिष्ठ मंत्री चुनाव लड़ना चाहते हैं।
पायलट समर्थक विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष 72 वर्षीय दीपेंद्र सिंह शेखावत ने विधानसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। शेखावत ने कहा, अभी मैं तीन से चार महीने और विधायक रहूंगा और उसके बाद आचार संहिता लग जाएगी। अपने स्वास्थ्य को देखते हुए मैंने फैसला किया है कि मैं अगला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ूंगा।
शेखावत पिछले दिनों एक सार्वजनिक कार्यक्रम में भी चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। दूसरी ओर, 73 वर्षीय राज्य के शिक्षा मंत्री बी.डी. कल्ला, जो अशोक गहलोत खेमे से हैं, ने चुनावी दौड़ से हटने से इनकार कर दिया है। बुजुर्ग नेताओं के चुनाव नहीं लड़ने के मुद्दे पर कल्ला ने कहा, ''अगर कोई और चुनाव लड़ने को तैयार होगा तो मैं सीट छोड़ दूंगा। हालांकि, अभी कोई तैयार नहीं है.. भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए कोई तैयार नहीं है। इसलिए मेरा मैदान बिल्कुल साफ है। मैं चुनाव लड़ूंगा, मैं जीतने वाला उम्मीदवार हूं।''
एक अन्य कांग्रेस मंत्री हेमाराम चौधरी, जो पायलट समर्थक हैं, पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि वह अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने हाल ही में कहा था कि 'बुजुर्ग नेताओं को कुर्सी का मोह छोड़ देना चाहिए और युवाओं को जगह देकर एक मिसाल कायम करनी चाहिए।' दरअसल, सांगोद से भरत सिंह और शिव विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक अमीन खान समेत अन्य कांग्रेस विधायकों ने भी अगला चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। सभी नेताओं ने युवाओं को आगे बढ़ाने की दलील दी है। भरत सिंह और अमीन खान भी युवाओं को आगे बढ़ाने की वकालत करते हुए कई बार विभिन्न सार्वजनिक मंचों से अगला चुनाव नहीं लड़ने की बात कह चुके हैं। कांग्रेस में जिन नेताओं ने चुनाव मैदान से हटने का ऐलान किया है उनमें से ज्यादातर 75 साल से ऊपर के हैं।